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27-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम जानते हो हर 5 हजार वर्ष बाद भोलानाथ बाप द्वारा हम यह ज्ञान सुनकर मनुष्य से देवता बनते हैं”

कभी भी योगी पुरूष वा पुरूषोत्तम आत्मायें प्रकृति के प्रभाव में नहीं आ सकती। आप ब्राह्मण आत्मायें पुरूषोत्तम और योगी आत्मायें हो, प्रकृति आप मालिकों की दासी है साधन, साधना का आधार न हों लेकिन साधना, साधनों को आधार बनाये तब कहेंगे प्रकृतिजीत, विजयी आत्मा।- ओम् शान्ति।...

26-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पढ़ाई छोड़ना माना बाप को छोड़ देना”

जैसे योग करने और कराने में योग्य हो ऐसे योग का प्रयोग करने में भी योग्य बनो। सबसे पहले अपने संस्कारों पर योग की शक्ति का प्रयोग करो क्योंकि आपके श्रेष्ठ संस्कार ही श्रेष्ठ संसार के रचना की नींव हैं।जो स्व के संस्कारों को परिवर्तन कर लेते हैं वही...

24-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “सदा यह स्मृति में रहे कि हमारा यह अन्तिम 84 वाँ जन्म है”

त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित रहकर देखो कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे....इस ड्रामा में हमारा विशेष पार्ट नूंधा हुआ है। इतना स्पष्ट अनुभव हो कि कल हम देवता थे और फिर कल बनने वाले हैं। हमें तीनों कालों की नॉलेज मिल गई।- ओम् शान्ति।...

23-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें खाते-पीते – चलते-फिरते बाप की याद में रहना है”

मास्टर का अर्थ है कि हर शक्ति जिस समय आह्वान करो वो शक्ति प्रैक्टिकल स्वरूप में अनुभव हो। जिस समय, जिस शक्ति की आवश्यकता हो, उस समय वो शक्ति सहयोगी बने। शक्ति को ऑर्डर किया और हाज़िर। जैसे शरीर की शक्तियां ऑर्डर में हैं ऐसे सूक्ष्म शक्तियां भी ऑर्डर...