24-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “सदा यह स्मृति में रहे कि हमारा यह अन्तिम 84 वाँ जन्म है”

शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – सदा यह स्मृति में रहे कि हमारा यह अन्तिम 84 वाँ जन्म है, अब वापिस घर जाना है, फिर अपने राज्य में आना है” 

प्रश्नः बाप पक्का सौदागर है, कैसे?

उत्तर:- जो अभी साहूकार हैं, जिन्हें पैसे का नशा है, बाबा कहते हैं, तुम यहाँ की अपनी राजाई सम्भालो। उनका बाप स्वीकार नहीं करता है। गरीबों को ही बाबा ऊंच ते ऊंच बनाते हैं। गरीबों की पाईपाई सफल कर उन्हें साहूकार बना देते इसलिए बाप को पक्का सौदागर कहा जाता है।

प्रश्नः बच्चों में कौन सी सुस्ती बिल्कुल नहीं होनी चाहिए?

उत्तर:- कई बच्चे मुरली सुनने वा पढ़ने में सुस्ती करते हैं। मुरली मिस कर देते हैं। बाबा कहते हैं बच्चे इसमें सुस्त मत बनो। तुम्हें एक भी मुरली मिस नहीं करनी है।

गीत:- “तेरी याद का अमृत पीते हैं………..!”

गीत:- “तेरी याद का अमृत पीते हैं………..!”, , अन्य गीत सुनने के लिए सेलेक्ट करे > “PARAMATMA LOVE SONGS”.

Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव

-: ज्ञान के सागर और पतितपावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “मुरली( यह अपने सब बच्चों के लिए “स्वयं भगवान द्वारा अपने हाथो से लिखे पत्र हैं।”)

ओम् शान्ति

शिव भगवानुवाच बच्चों से बेहद का बाप पूछते हैं और जो भी गुरू गोसांई आदि हैं वह अपने फालोअर्स को बच्चे नहीं कहेंगे। आजकल तो अच्छेअच्छे जवान विद्वान भी भाषण करते हैं वा बुजुर्ग मातायें अथवा पुरुष हैं, उनमें हिम्मत ही नहीं आयेगी जो कहें कि हे बच्चों। यह अक्षर वह कह सकते हैं जो गृहस्थ व्यवहार में हों। बच्चा अक्षर फैमली का है। बाप कह सकते हैं। वह संन्यासी आदि तो फैमली के नहीं हैं। वह हैं निवृत्ति मार्ग वाले। तो गृहस्थ व्यवहार के ख्यालात बुद्धि में नहीं आते। यह तो मातपिता है तो जरूर बच्चेबच्चे कहेंगे। तुम भी समझते हो बेहद का बाप हम बच्चों को बैठ समझाते हैं।

Threeloks-THREE Worlds ,त्रिलोक
Threeloks-THREE Worlds ,त्रिलोक

पूछते हैं बच्चों तुम्हारा घर कौन सा है? (परमधाम) परमधाम से कोई समझेंगे नहीं। कहना चाहिए शान्तिधाम, निर्वाणधाम। तुमको याद करना है अपने घर को। जानते हो बाबा आया हुआ है, हमको श्रृंगार कर घर ले जायेंगे। फिर हम सुखधाम में आयेंगे। अभी तो यह है दु:खधाम। इनका तुमको संन्यास करना है। यह बेहद का संन्यास सिवाए परमपिता परमात्मा के और कोई सिखला सके। वह तो हद का अर्थात् घरबार का संन्यास करते हैं।

यह तो मातपिता है ना। मातपिता घरबार कैसे छुड़ायेंगे? उनका तो धर्म ही है निवृत्ति मार्ग का। जैसे औरऔर धर्म हैं। आर्य समाजी, राधा स्वामीअभी राधा का स्वामी कौन है? यह कोई भी नहीं जानते हैं। वास्तव में राधेकृष्ण तो प्रिन्सप्रिन्सेज़ हैं। आपस में दोनों सखासखी ठहरे। उनको राधा का स्वामी नहीं कहेंगे। जब राधा का स्वामी बनता है फिर नाम बदलकर लक्ष्मीनारायण नाम पड़ेगा। श्री नारायण स्वामी है। हाँ, जब तक शादी नहीं की है तब तक स्वामी नहीं कहेंगे। यह समझने की बातें हैं।

बाप ने बच्चों से पूछा अपना शान्तिधाम, सुखधाम याद है? यह रावणपुरी दु:खधाम है। पुरी रहने की होती है। रावणपुरी में रामसीता हैं नहीं। यूँ तो तुम सब सीतायें हो और बाप कहते हैंमैं हूँ राम। मुझे तुम सीताओं को रावण की जेल से छुड़ाना है। जो सारी दुनिया समुद्र के बीच में है, उन पर रावण का राज्य है। रामराज्य तो सतयुग में था, जिसमें लक्ष्मीनारायण राज्य करते थे। था भारत पर राज्य। परन्तु उस समय और कोई खण्ड होने कारण कहा जाता है, यह भी विश्व के मालिक थे। हैं भारत के मालिक और कोई खण्डों का नाम निशान नहीं रहता।

तो सारी दुनिया के मालिक ठहरे ना, और वहाँ तुम्हारा मीठे पानी पर राज्य चलता है। तो यह तुम बच्चों की बुद्धि में रहना चाहिए कि अब नाटक पूरा हुआ है, अभी वापिस घर जाना है। हमने 84 का चक्र लगाया है। मनुष्यों की बुद्धि में कुछ नहीं आता। ऐसे ही सुनीसुनाई बात कह देते हैं। तुम जानते होहम 84 का चक्र लगाकर आये हैं। अभी हमको वापिस जाना है। फिर नयेसिर चक्र शुरू होगा। पुरानी दुनिया कलियुग से नयेसिर शुरू नहीं हो सकता। परन्तु नया चक्र सतयुग से शुरू होगा। यह सब बातें तुम बच्चों को ही समझाई जाती हैं, परन्तु कितनी बातें बच्चे भूल जाते हैं। धारणा न होने कारण फिर वह खुशी का पारा नहीं चढ़ सकता।

84 जन्मों कि सीढ़ी , Ladder of 84 Human Births
84 जन्मों कि सीढ़ी , Ladder of 84 Human Births

हमारा यह 84 वाँ अन्तिम जन्म है। फिर हम अपने घर जायेंगे। जब तक पवित्र नहीं बने हैं तब तक कोई वापिस नहीं जा सकते। जन्म लेना ही है। जो तुम पहलेपहले थे अब पिछाड़ी में हो। सब धर्म वाले अभी अन्त में भिन्न नाम, रूप देश, काल में हैं। गुरूनानक जिसने सिक्ख धर्म स्थापन किया, उसकी आत्मा कहाँ है? यहाँ ही भिन्न नामरूप में है। सबको पूरा पार्ट बजाना ही है।

अभी तुम पुरुषार्थ कर रहे होनई दुनिया में जाने के लिए। पिछाड़ी में सबको हिसाबकिताब चुक्तू कर फिर जाना है। गुरूनानक की आत्मा फिर अपने समय पर आयेगी। सतयुग, त्रेता, द्वापर में वह सके। वह आती ही है कलियुग में। अपने समय पर आकर धर्म स्थापन करेगी। नम्बरवार अवतार आते हैं, जो आकर अपना धर्म स्थापन करते हैं।

पहला नम्बर अवतार है भगवान का। अब निराकार कैसे अवतार ले? बताते हैं मैंने इस चोले का आधार लिया है। यह अपने जन्मों को नहीं जानते। शरीर तो इनका है ना। गाया भी जाता हैआये देश पराये। और सब अपने देश, अपने शरीर में आते हैं। हाँ धर्म स्थापक दूसरे के शरीर में सकते हैं, फिर उनका नाम होता है। पवित्र आत्मा आकर प्रवेश करेगी। जो पहली आत्मा है वह धर्म स्थापन नहीं करेगी, जो आत्मा प्रवेश करेगी वही स्थापना करेगी।

सितम आदि पहले वाली आत्मा सहन करती है। जैसे क्राइस्ट की आत्मा आई वह तो सतोप्रधान थी, उनको कुछ सहन नहीं करना है। उनको तो पहले सतो में ही आना है। तो जो पहली आत्मा है, वह सहन करती है। दु: तो आत्मा को ही होता है ना, जब शरीर के साथ है। धर्मराज भी शरीर धारण कराए सज़ा देंगे। आत्माओं को फील होता है कि हम सज़ा खा रहे हैं इसलिए कहा जाता है पाप आत्मा, पुण्य आत्मा। पाप शरीर, पुण्य शरीर नहीं कहा जाता है। संन्यासी तो कह देते हैं आत्मा निर्लेप है, शरीर पर पाप लगता है। अनेक प्रकार के गुरू लोग हैं।

Human KALPA-TREE, मानव कल्प वृक्ष
Human KALPA-TREE, मानव कल्प वृक्ष

बाबा ने बहुत गुरूओं का अनुभव किया है। बाबा हर एक से पूछते रहते थेक्यों संन्यास किया? घरबार कैसे छोड़ा? बतलाते नहीं थे। तो मैं कहता था कि मैं कैसे समझूँ कि मैं भी कर सकूँगा वा नहीं? ऐसीऐसी बातें बड़े शुरूडनेस (समझदारी) से करते थे। अभी समझते हैं कि यह सारा जो मनुष्य सृष्टि रूपी झाड़ है इनकी जड़जड़ीभूत अवस्था है। अभी फिर से नया शुरू होना है। प्रलय तो होती नहीं। शास्त्रों में महाप्रलय दिखाई है। वह तो होती नहीं। कहते हैं श्रीकृष्ण सागर में पीपल के पत्ते पर आया। यह सब हैं गपोड़े।

बाप कहते हैंमैं तो आता हूँ आदि सनातन देवीदेवता धर्म की स्थापना करने। हमेशा पहले स्थापना फिर विनाश, पालना.. ऐसे कहना चाहिए। ऐसे नहीं कि पहले स्थापना, पालना, पीछे विनाश कहो। तो कोई सेन्सीबुल सुनेगा तो कहेगा यह तोते मुआफिक पढ़े हुए हैं। स्थापना, पालना फिर विनाश कैसे होगा! इसलिए कायदेमुज़ीब करेक्ट अक्षर बोलने हैं। स्थापना, विनाश, पालना। अभी ऊंचे ते ऊंच बाप की तुमको श्रीमत मिलती है। देते हैं ब्रह्मा के तन द्वारा, यह बाबा का शरीर मुकरर है। सेन्सीबुल बच्चे जो होंगे उनको कोई राय पूछनी होगी तो श्रीमत लेंगे। श्रीमत पर चलने से कभी धोखा नहीं खायेंगे।

शिवबाबा की ही श्रीमत है। बाबा दूर थोड़ेही है। बाप देखते हैं बच्चे रांग चलते हैं वा राइट चलते हैं। हर एक को सर्जन से राय मिल सकती है। यह है सबसे बड़ा सर्जन। कोई भी बात में तकलीफ हो तो बाबा बैठा है। श्रीमत पर चलते रहो। समझो कोई गरीब बच्चा है, धारणा अच्छी है, सर्विसएबुल है, परन्तु गरीब है इसलिए आकर मिल नहीं सकता। ऐसे को टिकट भी मिल सकती है। बाप तो गरीबनिवाज़ है ना। ऐसे तो बाप को बच्चे चाहिए जो गरीब से गरीब हो और पढ़कर ऊंचे ते ऊंचा चढ़ जाये।

आजकल सब गरीब हैं। 10-20 लाख तो कुछ भी नहीं हैं। 10-20 करोड़ हो तो साहूकार कहा जाए। बाबा ने समझाया हैपदमपति यह वर्सा ले नहीं सकेंगे। वह अर्पण हो सकें। बाबा एलाउ करेंगे। गरीबों की पाईपाई सफल होती है। ऐसी क्या पड़ी है, यह भी पक्का सौदागर है इसलिए साहूकार आते ही नहीं हैं। बाप कहते हैं तुम अपनी राजाई सम्भालते रहो।

विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel
विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel

अब तुम बच्चे जानते होबाबा आकर सब वेदों, शास्त्रों का सार समझाते हैं। यह भी बाबा ने समझाया हैविष्णु को ब्रह्मा बनने में 5 हजार वर्ष लगते हैं और ब्रह्मा से विष्णु को निकलने में एक सेकण्डऔर कोई यह बातें समझ सके। बाबा कितना अच्छा हिसाब समझाते हैं। विष्णु की नाभी कमल से 84 जन्मों बाद अभी ब्रह्मा निकला है। अभी ब्रह्मा सरस्वती सो फिर लक्ष्मीनारायण बन जाते हैं। सूर्यवंशी बनेंगे फिर चन्द्रवंशी बनेंगे। यह सारा चक्र बुद्धि में है। ब्रह्मा सो विष्णु, विष्णु सो ब्रह्मा यह टापिक बहुत अच्छी है। सारे चक्र का राज़ इसमें आ जाता है।

यह सब बातें सेन्सीबुल बच्चे अच्छी रीति धारण कर सकेंगे और प्वाइंट्स लिखते करेक्ट करते रहेंगे। भाषण जब करते हैं, कोई को याद नहीं रहता तो कागज सामने रखते हैं। तुम बच्चों को ओरली समझाना है। बैरिस्टर लोग बहुत अभ्यास करते हैं। फिर दूसरा वकील आरग्यू करेंगे तो किताब खोलकर देखेंगे। फिर बोलेंगे जज साहेब देखो फलानी लॉ बुक में यह है। वह फिर कहेंगे फलाने बुक में यह है। उन्हों के पास बहुत प्वाइंटस रहती हैं। इंजीनियर की भी बुद्धि चलती रहती है।

तो हमको ऐसेऐसे प्लैन्स बनाने हैं। तुमको भी विचार चलाना है। टापिक की लिस्ट बनानी चाहिए। इस पर यहयह प्वाइंट्स समझायेंगे। फिर सारी नॉलेज बुद्धि में जायेगी, फिर एक्यूरेट भाषण करेंगे। अचानक भाषण करेंगे तो गड़बड़ होगी। यह भी नम्बरवार प्रैक्टिस है। तब तो जो तीखे हैं उनको बुलाते हैं, आकर भाषण करो। समझते हैं यह बड़ी बहन है।

भाईयों में जगदीश होशियार है। तो कहेंगे यह बड़ा भाई है तो फिर रिगार्ड पूरा रखना चाहिए। फिर बड़े का काम है छोटों को सिखाना। स्कूल में मैनर्स भी सिखलाते हैं। इसमें भी मैनर्स अच्छे चाहिए। दैवीगुण धारण करने हैं। मूडी नहीं बनना है। कभी मीठा, कभी कैसा वह फिर सर्विस नहीं कर सकते। बहुत मीठा बनना चाहिए। बहुत प्यार से किसको समझाना है तब अच्छा पद मिल सकता है। सभी को राज़ी करना है।

BK विश्व नवनिर्माण प्रदर्शनी, BK New world Exhibition
BK विश्व नवनिर्माण प्रदर्शनी, BK New world Exhibition

 यह तो जानते हो बाबा आकर सभी मनुष्य मात्र को खुश करते हैं। सर्व के सद्गति दाता, सर्व को सुखशान्ति देने वाला है। प्रेम का सागर, सुख का सागर है। तुम्हारा बाप है तो बाप जैसा मीठा बनना पड़े। तुम कल्पकल्प बाप का शो निकालते हो। शिव शक्ति पाण्डव सेना तुम स्वर्ग की स्थापना करते हो, टाइम लगता है। जब तक आसुरी गुण बदल दैवीगुण बन जायें।

आत्मा पर जो जंक चढ़ी हुई है वह कैसे निकलेगी? योगबल से। जितना बाबा की याद में रहेंगे उतना कट उतरेगी। बच्चों को मुरली एक भी मिस नहीं करनी चाहिए। बहुत बच्चे सुस्त हैं जो कभी मुरली भी नहीं पढ़ते हैं। मुरली में बहुत अच्छीअच्छी प्वाइंट्स निकलती हैं। तो कभी भी मुरली मिस नहीं होनी चाहिए। परन्तु बाबा जानते हैं अच्छेअच्छे बी.के. भी मुरली की परवाह नहीं करते। समझते हैं हम होशियार हैं। अच्छा!

मीठेमीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। ओम् शान्ति।

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) सभी को राज़ी करना है। मूडी दिमाग वाला नहीं बनना है। बहुतबहुत मीठा बनना है। अच्छे मैनर्स सीखने और सिखलाने हैं।

2) हर कदम पर सुप्रीम सर्जन से राय लेनी है। श्रीमत पर चलते रहना है। सेन्सीबुल बन हर प्वाइंटस स्वयं में धारण करनी है।

वरदान:-        त्रिकालदर्शी स्थिति में रह ड्रामा के हर समय के पार्ट को देखने वाले मास्टर नॉलेजफुल भव

त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित रहकर देखो कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे….इस ड्रामा में हमारा विशेष पार्ट नूंधा हुआ है। इतना स्पष्ट अनुभव हो कि कल हम देवता थे और फिर कल बनने वाले हैं। हमें तीनों कालों की नॉलेज मिल गई। जैसे कोई भी देश में जब टॉप प्वाइंट पर खड़े होकर सारे शहर को देखते हैं तो मजा आता है ऐसे संगमयुग टॉप पाइंट है, इस पर खड़े होकर नॉलेजफुल बन हर पार्ट को देखो तो बहुत मजा आयेगा।

स्लोगन:-       “जो सदा योगयुक्त हैं उन्हें सर्व का सहयोग स्वत: प्राप्त होता है। ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे।  

अच्छा – ओम् शान्ति।

o——————————————————————————————————————–o

नोट: यदि आपमुरली = भगवान के बोल को समझने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया अपने शहर या देश में अपने निकटतम ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जाएँ और परिचयात्मक “07 दिनों की कक्षा का फाउंडेशन कोर्स” (प्रतिदिन 01 घंटे के लिए आयोजित) पूरा करें।

खोज करो:ब्रह्मा कुमारिस ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजयोग सेंटर” मेरे आस पास.

आशा है कि आपको आज कीमुरलीकी प्रस्तुति पसंद आई होगी?”, “आपका अनुभव कैसा रहा?” कृपया अपने उत्तर साझा करें। कृपया इस पोस्ट को *लाइक* करें और नीचे दिए गए सोशल मीडिया विकल्पों में सेइस ब्लॉग पोस्ट को साझा करें ताकि दूसरे भी लाभान्वित हो सकें।

o——————————————————————————————————————–o

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *