26-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पढ़ाई छोड़ना माना बाप को छोड़ देना”

शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – आपस में रूठकर कभी पढ़ाई को मत छोड़ना, पढ़ाई छोड़ना माना बाप को छोड़ देना” 

प्रश्नः सर्विस की वृद्धि न होने का कारण क्या है?

उत्तर:- जब आपस में मतभेद होता है तब सर्विस वृद्धि को नहीं पाती। कोईकोई बच्चे मतभेद में आकर पढ़ाई छोड़ देते हैं। बाबा सावधान करते हैं बच्चे मतभेद में नहीं आओ, कभी झरमुई झगमुई की बातें नहीं सुनो, एक बाप की सुनो, बाप को समाचार दो तो बाबा तुम्हें 16 कला सम्पूर्ण बनने की मत देंगे।

प्रश्नः पढ़ाई छोड़ने का पहला मुख्य कारण कौन सा बनता है?

उत्तर:- नामरूप की बीमारी। जब किसी देहधारी के नाम रूप में फँसते हैं तो पढ़ाई में दिल नहीं लगती। माया इसी बात से हरा देती हैयही बहुत बड़ा विघ्न है।

गीत:- “तेरी याद का अमृत पीते हैं………..!” , अन्य गीत सुनने के लिए सेलेक्ट करे > “PARAMATMA LOVE SONGS”.

Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव

-: ज्ञान के सागर और पतितपावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “मुरली( यह अपने सब बच्चों के लिए “स्वयं भगवान द्वारा अपने हाथो से लिखे पत्र हैं।”)

“ओम् शान्ति”

शिव भगवानुवाच बच्चे बैठे हैं दिल में निश्चय है कि बेहद का बाप आया हुआ है, बेहद का वर्सा देते हैं। तुम सम्मुख बैठे हो। जानते हो वह सब आत्माओं का बाप है। इस शरीर द्वारा समझा रहे हैं। कल्पकल्प ऐसे ही समझाते हैं और वर्सा देते हैं, और कोई यह ज्ञान दे नहीं सकते। बाबा समझाते हैं कभी भी किसी देहधारी को याद नहीं करना, 5 तत्वों के शरीर को बुत कहा जाता है। तो तुम्हें 5 तत्वों के शरीर को याद नहीं करना है। भल माया बहुत विघ्न डालती है परन्तु हारना नहीं है।

बुद्धि में रहे मेरा तो एक बाबा दूसरा कोई। इस बाबा के शरीर के साथ भी तुम्हारा लव नहीं होना चाहिए। कोई भी शरीर के साथ लव रखा तो अटक जायेंगे। बाबा जानते हैं बहुत मेल्स की भी आपस में ऐसी दोस्ती हो जाती है, जो एक दो के नाम रूप में फँस मरते हैं। इतनी प्रीत लग जाती है जो शिवबाबा को भूल जाते हैं। दो कन्याओं (फीमेल्स) का भी आपस में इतना लव हो जाता है जैसे आशिक होते हैं। उनको कितनी भी ज्ञान की समझानी दो परन्तु माया छोड़ती नहीं है क्योंकि ईश्वरीय मत के विरुद्ध चलते हैं। भल ज्ञान भी उठा लेवे परन्तु अवस्था डगमग रहती है। योग से जो विकर्म विनाश हों, वह होते नहीं। ऐसे-ऐसे बहुत हैं, बाबा नाम नहीं लेते।

दूसरी बातबाबा समझाते हैं कभी भी पढ़ाई नहीं छोड़ना। भल ब्राह्मणी से नहीं बनती हैं, दिल हट जाती है परन्तु पढ़ाई जरूर पढ़नी है। बाबा को समाचार देते रहना है। आखिर बाबा मतभेद मिटा देंगे। मतभेद के कारण बहुत बच्चे अपना खाना खराब कर देते हैं, (रजिस्टर पर दाग लगा देते हैं), पढ़ाई छोड़ देते हैं। पढ़ाई कोई भी हालत में छोड़नी नहीं चाहिए। ऐसे बहुत गिर पड़ते हैं।

बाबा सावधान करते हैं बच्चे तुमको कोई से भी झरमुईझगमुई की बातें नहीं सुननी हैं। एक बाप की ही सुननी है। बहुत बच्चे हैं जो देहअभिमान की बीमारी में रोगी हो मरते हैं। बच्चों को फरमान हैहमेशा बाप को याद करते, उनकी ही महिमा करते रहो। शिवबाबा ही कलियुगी पतित दुनिया को पावन श्रेष्ठाचारी बनाते हैं। बाबा को बच्चों का ख्याल रहता है कि माया कहाँ बच्चों को मार न डाले वा बीमार न कर दे।

FIVE VICES, पांच विकार
FIVE VICES, पांच विकार

बच्चे अगर समाचार नहीं देते तो समझ जाता हूँ कि माया का जोर से थप्पड़ लगा है, इसलिए मुरली में समझाया जाता है। तकदीर में नहीं है तो अपने ही धन्धे में लग जाते हैं। कोई तो एक दो के नाम रूप में ऐसे फँसते हैं जैसे आशिक माशुक बने हैं। फिर मम्मा बाबा को भी याद नहीं करते। एक दो को याद करते रहते हैं। यह सब विघ्न माया डालती है।

कोई की तकदीर में नहीं है तो कितना भी बाबा समझाये, वाह्यात बातें करो फिर भी करते रहते हैं। कोई अज्ञान में जीवन कहानी लिखते हैं। हमको थोड़ेही जीवन कहानी आदि बनानी है। हमको बाबा के सिवाए किसको याद नहीं करना हैं। नेहरू मरा तो उनको कितना याद करते हैं। तुम भी ऐसे याद करो तो बाकी तुम्हारे और उनमें फ़र्क क्या रहा?

ज्ञान मार्ग में बड़ी समझ चाहिए। जब तक शिवबाबा से योग नहीं तो बुद्धि का ताला नहीं खुलता। सर्विस नहीं कर सकते, पद भ्रष्ट कर लेते हैं इसलिए बाबा सावधान करते हैं कि कोई भी मतभेद हो तो बाबा को लिखो। सभी 16 कला सम्पूर्ण तो नहीं बने हैं। कोई कच्चे भी हैं, भूलें करते होंगे। सेन्सीबुल बच्चे जो हैं, फट से समाचार लिखेंगे। कोई देखते हैं कि फलाने में अभी तक क्रोध है तो उनसे दिल हट जाती है फिर घर बैठ जाते हैं। कोई ब्राह्मणी भी कह देती है कि तुम इस सेन्टर पर मत आओ।

बाबा को सर्विस समाचार देना चाहिए। बाबा खुश होगा कि बच्चा सर्विस समाचार देता है। बाबा आज फलाने को समझाया कि परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? बाबा स्वर्ग का वर्सा देते हैं। 5 हजार वर्ष पहले भी दिया था। यह लक्ष्मीनारायण के चित्र खड़े हैं। बाबा समझाते रहते हैं कभी कोई देखे कि इस कारण डिससर्विस होती है तो फौरन समाचार देना है। सब सम्पूर्ण तो नहीं बने हैं। बच्चों को सब कुछ समझाना होता है।

Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव

बाप कहते हैं मैं बच्चों के आगे प्रत्यक्ष होता हूँ। बहुत बच्चे जो मुझे जानते ही नहीं, उनके सम्मुख कैसे हूँगा। बच्चों को कहता हूँमीठे बच्चे श्रीमत पर चल अपना पुरुषार्थ कर जीवन ऊंच बनाओ। तुम सारे विश्व के मालिक बनने वाले हो। जितना जास्ती मुझे याद करेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे, इसमें खर्चे की कोई बात नहीं, सिर्फ एज्यूकेशन है।

जिसकी तकदीर में है वह पक्के हो जाते हैं। माया ऐसी है जो 6-8 वर्ष वाले भी देखो आज हैं नहीं। बाप से नहीं रूठते हैं परन्तु ब्राह्मणियों से रूठते हैं। बाबा तो यहाँ बैठा है। शिवबाबा से रूठा तो खत्म हो जायेंगे। बाबा के सिवाए मुरली कैसे सुन सकेंगे?

दूसरी बात जो कभी ध्यान का पार्ट चलता है फलानी में मम्मा आई, बाबा आयायह भी माया है। बहुत खबरदारी से चलना है। बात कैसे करते हैं, उससे समझ जाना है। कोईकोई में माया का भूत जाता है फिर कहते हैं शिवबाबा आया, मुरली चलाते हैंयह सब माया विघ्न डालती है। बहुत ट्रेटर निकल जाते हैं। बहुत धोखा देते हैं। इन सब बातों से बहुत सम्भाल करनी है। पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना है। नहीं तो माया बहुत हैरान करेगी। तूफान बहुत आयेंगे।

जैसे वैद्य लोग कहते हैं कि बीमारी बाहर निकलेगी, डरना नहीं। बाबा समझाते हैं माया चलतेचलते ऐसी अंगूरी लगायेगी जो बाबा को भुला देगी। हराने की बहुत कोशिश करेगी। युद्ध है ही 5 विकारों रूपी रावण से। जितना बाबा को याद करेंगे तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। माया जीते जगत जीत भी बनेंगे। बाकी स्थूल लड़ाई की कोई बात नहीं। योगबल से ही विश्व की राजाई मिल सकती है। इस समय योगबल भी है, बाहुबल भी है।

सतयुग का राजकुमार श्रीं कृष्ण ,Satyug Prince Sri Krishna
सतयुग का राजकुमार श्रीं कृष्ण ,Satyug Prince Sri Krishna

यह क्रिश्चियन दोनों मिल जायें तो विश्व के मालिक बन सकते हैं। इतनी ताकत इन्हों में है, परन्तु लाँ नहीं है। एक कहानी भी है दो बिल्लों की। कृष्ण को भी देखो कैसे हाथ में गोला दिखाया है। तो तुम्हारी याद कायम रहनी चाहिए। कोई भी कारण से पढ़ाई नहीं छोड़नी चाहिए। विघ्न तो जरूर पड़ेंगे। माया ऐसी है जो माथा मूड लेती है, हार्टफेल कर देती है इसलिए बाप कहते हैं और सब बातों को छोड़ मामेकम् याद करो। बीज को याद करने से झाड भी याद जायेगा। गृहस्थ व्यवहार में रहते यह कोर्स उठाओ।

भगत लोग सवेरे उठकर भक्ति करते हैं। काशी में कोठियां बनी हुई हैं। हर एक कोठी में बैठ विश्वनाथ गंगा कहते हैं, जानते कुछ नहीं। ईश्वर सर्वव्यापी कह देते हैं। अपने को तत्व योगी, ब्रह्म योगी कहलाते हैं। यह बाबा सब बातों का अनुभवी है। इनके रथ में बैठ कहते हैं इन सबको छोड़ो, बाकी तो सब खिलौने बना दिये हैं। विष्णु का, शंकर का, कृष्ण का खिलौना बनाए बैठ पूजा करते हैं। जानते किसको नहीं, पूजा में बहुत खर्चा करते हैं। पत्थर की मूर्ति बनाए उसको श्रृंगारते हैं। साहूकार तो जेवर भी पहनाते हैं।

यह तो तुम जानते हो भक्ति में जो कुछ भावना से करते हैं, उसका फल कुछ कुछ हम दे देते हैं। दूसरे जन्म में अच्छा भगत बन जाते हैं। कोई धन दान करते हैं तो धनवान के घर में, बहुत दान करते हैं तो राजाई घर में जन्म मिलता है। फिर भी इस दुनिया में सदा के लिए सुख तो है नहीं इसलिए संन्यासी इस सुख को मानते नहीं। काग विष्ठा के समान समझते हैं।

तो वह राजयोग कैसे सिखलायेंगे। सारे विश्व का मालिक तो बेहद के बाप सिवाए कोई बना सके। अब बाप तुम बच्चों को सम्मुख समझा रहे हैं, मैं फिर से आया हूँ तुमको राजयोग सिखलाने। श्रीकृष्ण के 84 जन्मों के अन्त में मैंने प्रवेश किया है, इनका नाम ब्रह्मा रखा है। मुझे ब्रह्मा जरूर चाहिए तो प्रजापिता ब्रह्मा भी चाहिए। जिसमें प्रवेश करके आऊं, नहीं तो कैसे आऊं? यह मेरा रथ मुकरर है। कल्प-कल्प इसमें ही आता हूँ।

(Below)BK Brahma Baba (Father) and (Above)Shiv Baba (Grand father), (निचे) ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और (ऊपर) शिव बाबा (दादा)
(Below)BK Brahma Baba (Father) and (Above)Shiv Baba (Grand father), (निचे) ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और (ऊपर) शिव बाबा (दादा)

लिखा भी हुआ है ब्रह्मा द्वारा स्थापना। किसकी? विष्णुपुरी की। अभी तुम भारत को विष्णुपुरी बना रहे हो। दूसरे कोई इस बात को समझते नहीं कि परमपिता परमात्मा का पार्ट है, कृष्ण जयन्ती मनाते हैं, नर्क को स्वर्ग बनाने वाला बाप है ना। जो ब्राह्मण बन पूरा पुरुषार्थ करेंगे वो ब्राह्मण से देवता बनेंगे, गायन है कि परमपिता परमात्मा 3 धर्म, ब्राह्मण, सूर्यवंशी, चन्द्रवंशी धर्म स्थापन करते हैं। वहाँ दो युगों में एक ही धर्म है और कोई धर्म है नहीं। बाकी दो युगों में देखो कितने धर्म हैं।

बच्चों को पढ़ाई पर पूरा ध्यान देना चाहिए। नहीं तो बहुत रोना पड़ेगा। सबके लिए ट्रिब्युनल बैठेगी। बतायेंगे कि तुमने यहयह पाप किया इसलिए हम तुमको बहुत समझाता हूँ कि पाप नहीं करना, पुण्य आत्मा बनना। पाप करेंगे तो सौगुणा सज़ा के निमित्त बनेंगे। मेरे बनकर विकार में गये, बाप के श्रीमत की अवज्ञा की तो तुम्हारे पर बहुत सजा आयेगी। वह सजायें भी बहुत कड़ी होती हैं।

बाप कहते हैं मैं परमधाम का रहने वाला हूँ। यहाँ पुरानी दुनिया में आकर तुमको वर्सा देता हूँ। फिर भी तुम नाम बदनाम करते हो, तब तो कहा हुआ है सतगुरू का निदंक सूर्यवंशी घराने में ठौर पाये। गिर पड़ते हैं, बहुत कसम उठाते हैं। हम आपके सपूत बच्चे होकर रहेंगे। ब्लड से भी लिखते हैं। परमपिता परमात्मा से प्रतिज्ञा भी करते हैं कि बच्चा बन आपसे पूरा वर्सा लूँगा, परन्तु माया ऐसी हैवह आज हैं नहीं। प्रतिज्ञा कर फिर अपवित्र बना तो बहुत धोखा खायेगा। ईश्वर की अवज्ञा हुई ना।

बाबा इशारे में सब समझाते रहते हैं। माया बहुत हैरान करेगी। नहीं तो युद्ध काहे की। विश्व का मालिक बनना, कम बात नहीं है। ग़फलत नहीं करनी है। पढ़ाई बिल्कुल नहीं छोड़नी है। बाबा से राय लो फिर जवाबदार बाबा हो जायेगा। पढ़ाई में मनुष्य कितनी मेहनत करते हैं। इम्तहान के टाइम बहुत मेहनत करते हैं। तुम भी आगे चल जब समय नजदीक देखेंगे तो रात दिन पढ़ाई में लग जायेंगे। अब वह समय जल्दी आने वाला है। अच्छा!

मीठेमीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। ओम् शान्ति।

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) आपस में वाह्यात (व्यर्थ) बातें नहीं करनी है। कभी भी मतभेद में नहीं आना है, पढ़ाई किसी भी हालत में नहीं छोड़नी है।

2) बाबा की अवज्ञा कभी नहीं करनी है। प्रतिज्ञा कर उस पर कायम रहना है। सर्विस का सदा शौक रखना है।

वरदान:-        समय पर योग की शक्तियों का प्रयोग करने वाले स्व के संस्कार सो संसार परिवर्तक भव

जैसे योग करने और कराने में योग्य हो ऐसे योग का प्रयोग करने में भी योग्य बनो। सबसे पहले अपने संस्कारों पर योग की शक्ति का प्रयोग करो क्योंकि आपके श्रेष्ठ संस्कार ही श्रेष्ठ संसार के रचना की नींव हैं। तो चेक करो कि कोई भी संस्कार समय पर धोखा तो नहीं देते हैं? कैसी भी बात हो, व्यक्ति या वायुमण्डल हो लेकिन श्रेष्ठ संस्कारों को परिवर्तन कर साधारण वा व्यर्थ न बना दें। जो स्व के संस्कारों को परिवर्तन कर लेते हैं वही संसार को परिवर्तन करने के निमित्त बन जाते हैं।

स्लोगन:-       “नम्बर आगे लेना है तो स्वभाव इज़ी और पुरूषार्थ अटेन्शन वाला हो। ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे।  

अच्छा – ओम् शान्ति।

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नोट: यदि आपमुरली = भगवान के बोल को समझने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया अपने शहर या देश में अपने निकटतम ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जाएँ और परिचयात्मक “07 दिनों की कक्षा का फाउंडेशन कोर्स” (प्रतिदिन 01 घंटे के लिए आयोजित) पूरा करें।

खोज करो:ब्रह्मा कुमारिस ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजयोग सेंटर” मेरे आस पास.

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