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22-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “देह-अंहकार छोड़ देही-अभिमानी बनो”

संगमयुग सन्तुष्टता का युग है, यदि संगम पर सन्तुष्ट नहीं रहेंगे तो कब रहेंगे। माला बनती ही तब है जब दाना, दाने के सम्पर्क में आता है इसलिए सम्बन्ध-सम्पर्क में सदा सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना, तब माला के मणके बनेंगे। परिवार का अर्थ ही है सदा सन्तुष्ट रहने...

21-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम सभी मनुष्य मात्र के कल्याणकारी हो”

जैसे यह शरीर श्वांस के बिना नहीं रह सकता ऐसे ब्राह्मण जीवन का श्वांस है सेवा। इसलिए हर समय अपनी श्रेष्ठ दृष्टि से, वृत्ति से, कृति से सेवा करते रहो। वाणी से सेवा का चांस नहीं मिलता तो मन्सा सेवा करो। जब सब प्रकार की सेवा करेंगे तब फुल...

20-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “हम अभी यह दुनिया यह सब कुछ छोड़ अपने घर शान्तिधाम जायेंगे फिर सुखधाम में आयेंगे

संगमयुग का एक सेकण्ड और युगों के एक वर्ष से भी ज्यादा है, इस समय एक सेकण्ड भी गंवाया तो सेकण्ड नहीं लेकिन बहुत कुछ गंवाया। इतना महत्व सदा याद रहे तो हर सेकण्ड परमात्म दुआयें प्राप्त करते रहेंगे और जिसकी झोली परमात्म दुआओं से सदा भरपूर है उसके...

19-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “शिवबाबा इस समय तुम्हारे सामने हाज़िर-नाज़िर है”

आप बच्चों के हर संकल्प में परमात्म चिंतन है इसलिए बेफिक्र हो। करावनहार करा रहा है आप निमित्त बन करने वाले हो, सर्व के सहयोग की अंगुली है इसलिए हर कार्य सहज और सफल हो रहा है, सब ठीक चल रहा है और चलना ही है। कराने वाला करा...

18-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “ब्राह्मण जीवन का श्वांस – सदा उमंग और उत्साह”

जिन बच्चों के पास ज्ञान, गुण और शक्तियों का खजाना है वे सदा सम्पन्न अर्थात् सन्तुष्ट रहते हैं, उनके पास अप्राप्ति का नाम-निशान नहीं रहता। हद के इच्छाओं की अविद्या हो जाती है। वह दाता होते हैं। ऐसे सदा सम्पन्न और सन्तुष्ट बच्चों को ही सम्पत्तिवान कहा जाता है।...