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25-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “हाइएस्टऔर होलीएस्ट आत्मा की निशानियां”

ज्ञान सुनने और सुनाने के साथ-साथ ज्ञान को स्वरूप में लाओ। ज्ञान स्वरूप वह है जिसका हर संकल्प, बोल और कर्म समर्थ हो। सबसे मुख्य बात - संकल्प रूपी बीज को समर्थ बनाना है। यदि संकल्प रूपी बीज समर्थ है तो वाणी, कर्म, सम्बन्ध सहज ही समर्थ हो जाता...

24-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “सदा यह स्मृति में रहे कि हमारा यह अन्तिम 84 वाँ जन्म है”

त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित रहकर देखो कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे....इस ड्रामा में हमारा विशेष पार्ट नूंधा हुआ है। इतना स्पष्ट अनुभव हो कि कल हम देवता थे और फिर कल बनने वाले हैं। हमें तीनों कालों की नॉलेज मिल गई।- ओम् शान्ति।...

23-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें खाते-पीते – चलते-फिरते बाप की याद में रहना है”

मास्टर का अर्थ है कि हर शक्ति जिस समय आह्वान करो वो शक्ति प्रैक्टिकल स्वरूप में अनुभव हो। जिस समय, जिस शक्ति की आवश्यकता हो, उस समय वो शक्ति सहयोगी बने। शक्ति को ऑर्डर किया और हाज़िर। जैसे शरीर की शक्तियां ऑर्डर में हैं ऐसे सूक्ष्म शक्तियां भी ऑर्डर...

22-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “देह-अंहकार छोड़ देही-अभिमानी बनो”

संगमयुग सन्तुष्टता का युग है, यदि संगम पर सन्तुष्ट नहीं रहेंगे तो कब रहेंगे। माला बनती ही तब है जब दाना, दाने के सम्पर्क में आता है इसलिए सम्बन्ध-सम्पर्क में सदा सन्तुष्ट रहना और सन्तुष्ट करना, तब माला के मणके बनेंगे। परिवार का अर्थ ही है सदा सन्तुष्ट रहने...

21-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम सभी मनुष्य मात्र के कल्याणकारी हो”

जैसे यह शरीर श्वांस के बिना नहीं रह सकता ऐसे ब्राह्मण जीवन का श्वांस है सेवा। इसलिए हर समय अपनी श्रेष्ठ दृष्टि से, वृत्ति से, कृति से सेवा करते रहो। वाणी से सेवा का चांस नहीं मिलता तो मन्सा सेवा करो। जब सब प्रकार की सेवा करेंगे तब फुल...