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25-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम कर्मयोगी हो कर्म करते हुए बाप की याद में रहो”

बाप ने सभी बच्चों को एक जैसा खजाना देकर बालक सो मालिक बना दिया है। खजाना सबको एक जैसा मिला है लेकिन यदि कोई भरपूर नहीं है तो उसका कारण है कि खजाने को सम्भालना वा बढ़ाना नहीं आता है। अटेन्शन और चेकिंग - यह दोनों पहरे वाले ठीक...

24-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “जैसे खुद नॉलेजफुल बने हो ऐसे औरों को भी बनाते रहो”

आप आत्मा रूपी दीपक की लगन एक दीपराज बाप के साथ लगना ही सच्ची दीपावली है। जैसे दीपक में अग्नि होती है ऐसे आप दीपकों में लगन की अग्नि है, जिससे अज्ञानता का अंधकार दूर होता है।- ओम् शान्ति।...

23-10-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 3-11-1992: “नम्बरवन बनना है तो ज्ञान और योग को स्वरूप में लाओ”

उड़ती कला का अनुभव करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह के पंख चाहिए। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।इसलिए हिम्मतवान बन उमंग और उत्साह के आधार पर उड़ते रहो तो मंजिल पर पहुंच जायेंगे।- ओम् शान्ति।...

22-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “ममत्व मिटा देना है, पूरा-पूरा बलि चढ़ना है”

कोई भी काम करते अपना आक्यूपेशन कभी नहीं भूलो। जैसे पाण्डवों ने गुप्त वेष में नौकरी की लेकिन नशा विजय का था। ऐसे आप भल गवर्मेन्ट सर्वेन्ट हो, नौकरी करते हो लेकिन नशा रहे मैं विश्व कल्याणकारी हूँ तो इस स्मृति से स्वत: समर्थ रहेंगे और सदा सेवा भाव...

21-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “वह बहिश्त की सौगात लेकर आया है इसलिए अपार खुशी में रहो”

जैसे बाप सबसे न्यारा और सबका प्यारा है। न्यारापन ही प्यारा बना देता है। जितना अपनी देह के भान से न्यारे होते जायेंगे उतना प्यारा बनेंगे।ऐसे न्यारी अवस्था में स्थित रहने से कर्म भी अच्छा होगा और बाप के वा सर्व के प्यारे भी बनेंगे। परमात्म प्यार के अधिकारी...

20-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बाप ही इस गरीब भारत को फिर से साहूकार बनाते हैं”

जिन बच्चों को बहानेबाजी का खेल आता है वह कहेंगे - ऐसे नहीं होता तो वैसा नहीं होता। इसने ऐसे किया, सरकमस्टांश वा बात ही ऐसी थी....अब इस बहानेबाजी की भाषा को समाप्त कर दृढ़ प्रतिज्ञा करो कि ऐसा हो या वैसा लेकिन मुझे तो बाप जैसा बनना है।...

19-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम अभी इस शोक वाटिका से अशोक वाटिका में चलते हो”

प्रतिज्ञा में लूज़ होने का मूल कारण है - अलबेलापन। पुरूषार्थ वा प्लैन को कमजोर करने का स्क्रू एक ही है - अलबेलापन। वह नये-नये रूप में आता है। इसी लूज़ स्क्रू को टाइट करो। मुझे बाप समान बनना ही है - इसी दृढ़ संकल्प से तीव्र पुरूषार्थी बन...

18-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “कछुये मिसल सब कुछ समेटकर चुप बैठ स्वदर्शन चक्र फिराओ”

प्रवृत्ति में रहते हुए कभी यह नहीं समझो कि हिसाब-किताब है, कर्मबन्धन है...लेकिन यह भी सेवा है। सेवा के बन्धन में बंधने से कर्मबन्धन खत्म हो जाता है। जब तक सेवा भाव नहीं होता तो कर्मबन्धन खींचता है। कर्मबन्धन होगा तो दुख की लहर आयेगी और सेवा का बन्धन...

17-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “दूसरों का कल्याण करने के निमित्त बनो”

बाप की याद ही छत्रछाया है, जितना याद में रहते उतना साथ का अनुभव होता है। छत्रछाया में रहना अर्थात् सदा सेफ रहना। छत्रछाया के नीचे, मर्यादा की लकीर के अन्दर रहने से कोई की हिम्मत नहीं अन्दर आने की।इसलिए साथ के अनुभव से मायाजीत बनो।- ओम् शान्ति।...

16-10-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 3-11-1992: “रूहानी रॉयल्टी सम्पन्न आत्माओं की निशानियां”

जैसे साकार दुनिया में कहते हैं कि ताजा फल खाओ तो तन्दरूस्त रहेंगे। हेल्दी रहने का साधन फल बताते हैं और आप बच्चे तो हर सेकण्ड प्रत्यक्ष फल खाने वाले हो, हाल है खुशहाल और चाल है फरिश्तों की, हम हेल्दी भी हैं, वेल्दी भी हैं तो हैपी भी...