22-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “ममत्व मिटा देना है, पूरा-पूरा बलि चढ़ना है”

शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – अभी तुम्हें दिव्य दृष्टि मिली है – तुम जानते हो यह पुरानी दुनिया खत्म होनी है, इसलिए इससे ममत्व मिटा देना है, पूरा-पूरा बलि चढ़ना है”

प्रश्नः– जो अविनाशी बाप पर पूरा बलि चढ़े हुए बच्चे हैं उनकी निशानी क्या होगी?

उत्तर:- वह अपना पैसा आदि फालतू खर्च नहीं करेंगे। भक्ति मार्ग में दीपावली आदि पर कितना बारूद जलाते हैं। अल्प-काल की खुशी मनाते हैं। तुम जानते हो यह सब वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट आफ मनी, वेस्ट आफ एनर्जी है। यहाँ तुम्हें ऐसी खुशियाँ नहीं मनानी हैं क्योंकि तुम तो वनवास में हो। तुम्हें इन कांटों की दुनिया से फूलों की दुनिया में जाना है।

गीत:- “तुम्हें पाके हमने……….”,

गीत:- “तुम्हें पाके हमने……….”, , अन्य गीत सुनने के लिए सेलेक्ट करे > “PARAMATMA LOVE SONGS”.

-: ज्ञान के सागर और पतित-पावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “मुरली”(अपने सब बच्चों के लिए “स्वयं भगवान द्वारा अपने हाथो से लिखे पत्र हैं”)

“ओम् शान्ति”

शिव भगवानुवाच : मीठे-मीठे बच्चों ने गीत का अर्थ समझा। अब तुम बच्चों ने बाप को पाया है, तुमको बाप मदद देते हैं। 5 विकारों को जीतने की अर्थात् माया पर जीत पहन जगतजीत बनने की। जगत सारी दुनिया को कहा जाता है। बच्चे जानते हैं हम सारे जगत के मालिक बनने वाले हैं। मालिक कब बनेंगे? जब रावणराज्य पूरा हो जायेगा। रावण को वर्ष-वर्ष जलाते हैं क्योंकि संगमयुग पर बाप आकर आत्मा का दीवा जगाए सतयुग का मालिक बनाते हैं।

अचल अडोल शिव ज्योति , unwavering energy
अचल अडोल शिव ज्योति , unwavering energy

दशहरे के बाद दीपावली के दिन मनुष्य बहुत अच्छे-अच्छे कपड़े पहनते हैं। अक्सर करके लक्ष्मी-नारायण, राधे-कृष्ण और देवियों के मन्दिर में जाते हैं। परन्तु देवियों को और लक्ष्मी-नारायण को जानते नहीं। देवियाँ हैं शिव शक्तियाँ, ब्राह्मणियाँ। देवियों के हाथ में अस्त्र शस्त्र दिखाते हैं। वास्तव में देवियों के हाथ में कोई अस्त्र शस्त्र हैं नहीं। वे तो गुप्त हैं। रावण पर जीत पाते हैं तो तुम्हारी आधाकल्प के लिए खुशियाँ कायम हो जाती हैं। अभी तुम खुशियाँ नहीं मनायेंगे। यह कोई दीपमाला थोड़ेही है क्योंकि यह तो आज दीवे जलाते, कल बुझ जाते हैं। दशहरा भी हर वर्ष मनाते रहते हैं। तुम ब्राह्मण कोई अपने घरों में दीपक नहीं जलाते हो।

मन्दिरों आदि में तो दीपक, बिजलियाँ आदि जलाते हैं। मनुष्य नहीं जानते कि दीप माला, दशहरा क्या है। उस समय सारा भारत ही नया होता है। दीपक आदि जगाना, यह सब भक्ति मार्ग है। भक्ति मार्ग में कितने पैसे वेस्ट करते हैं। उस दिन बारूद कितना जलाते हैं। वेस्ट ऑफ टाइम, वेस्ट आफ मनी, वेस्ट ऑफ एनर्जी करते रहते हैं। यह है फारेस्ट आफ थार्नस। (कांटों का जंगल) सब जंगली बन गये हैं।

तुम भी पहले ऐसे थे, कुछ भी नहीं समझते थे। सतयुग में फ़जूल (व्यर्थ) खर्चा नहीं करेंगे। यहाँ तो फ़जूल खर्चा बहुत है। दान पुण्य करने से भी अल्पकाल का फल मिलता है। तुम जानते हो हम अविनाशी बाप पर बलि चढ़े हैं तो हमारा सब कुछ अविनाशी बन जाता है। पुराना शरीर छोड़ नया ले लेते हैं।

तुम बच्चों ने मोह जीत राजा की कथा तो सुनी है ना। यह कहानी सतयुग के लिए नहीं हैं क्योंकि वहाँ अकाले मृत्यु नहीं होता। यह सिर्फ मिसाल देने के लिए कहानी बनाई है कि उस समय सब नष्टोमोहा, मोहजीत रहते हैं। शरीर सहित पुरानी दुनिया से ममत्व मिटाना है क्योंकि तुम नई दुनिया में जा रहे हो। पुरानी दुनिया के साथ किसका ममत्व होता है क्या? इसको बेहद का संन्यास कहा जाता है।

Paradice -Satyug , स्वर्ग - सतयुग
Paradice -Satyug , स्वर्ग – सतयुग

सिर्फ बाबा यह नहीं कहते कि देह से ममत्व मिटाओ। परन्तु जो भी इन ऑखों से देखते हो सबको भूलो क्योंकि अब दिव्य दृष्टि मिली है कि सब खत्म होना है। पुरानी दुनिया विनाश हुई पड़ी है और नया विश्व बनेगा। शिवबाबा हमको राज्य देते हैं।

शिवबाबा का नाम सदैव शिव है क्योंकि उनको अपना शरीर तो है नहीं। ब्रह्मा, विष्णु, शंकर को भी अपना शरीर है। वह है ऊपर। अमरनाथ अमर बनाने की कथा सुनाते हैं। अमरलोक में ले जाने लिए। तुम बच्चे अभी फूल बन रहे हो। कांटों को फूल बनाने में मेहनत तो लगती है। यहाँ तो सब कांटे हैं। एक दूसरे को कांटा लगाते रहते हैं, बात मत पूछो।

तो बाप कहते हैं तुम्हें अब किसी को कांटा नहीं लगाना है। काम कटारी नहीं चलाना है। यह काम की हिंसा आदि-मध्य-अन्त दु:ख देती है। वैसे तो किसको मारो तो जान से खत्म हो जाते हैं। यहाँ तो जन्म-जन्मान्तर दु:खी होते रहते हैं। बाप कहते अभी तुम्हें काम कटारी नहीं चलाना है।

अभी तुम दशहरा मना रहे हो फिर दीपावली हो जाती है। सतयुग में दीपावली नहीं मनायेंगे। वहाँ लक्ष्मी स्वयं राज्य करती है, फिर उसकी बैठ पूजा नहीं करेंगे। मनुष्य जो मन्दिरों में रहते हैं वह देवताओं की बायोग्राफी को नहीं जानते। तुम बच्चे जानते हो। तुम बच्चे हो रूप-बसन्त। बाप कहते हैं मैने भी शरीर धारण किया है। परन्तु मेरा धारण करने का तरीका अलग है।

Garden of Spiritual roses, रूहानी गुलाब का बगीचा
Garden of Spiritual roses, रूहानी गुलाब का बगीचा

अभी हमको दीपावली की खुशी नहीं होती क्योंकि हम वनवास में हैं। हम पियरघर से ससुराल घर जाते हैं। बाबा ने कहला भेजा था, 108 चत्ती वाला कपड़ा पहनो तो देह-अभिमान टूट जाए। इस समय तुम कांटों की दुनिया से फूलों की दुनिया में जा रहे हो। कहते हैं पढ़ेंगे लिखेंगे होंगे नवाब। बाप कहते हैं मैं तुमको नर से नारायण बनाता हूँ। तो पुरुषार्थ ऊंच करना है।

जब मैं पढ़ाता हूँ तो क्यों पद खराब करते हो? मात-पिता को क्यों नहीं फालो करते हो? बाबा ने साक्षात्कार कराया है कि जो अच्छी तरह पढ़ेंगे वह डिनायस्टी में आयेंगे। तुम जानते हो हम पढ़ते हैं स्वर्गवासी बनने के लिए। लोग समझते हैं मनुष्य मरते हैं तो स्वर्गवासी होते हैं। तुम जानते हो कि बाबा ही आकर स्वर्ग में ले जाते हैं और रावण फिर नर्कवासी बना देते हैं।

मनुष्य कहते हैं हिन्दू चीनी भाई-भाई, फिर एक दो को दु:ख देते रहते हैं। तुम जानते हो मात-पिता से सुख घनेरे मिल रहे हैं। फिर घीरे-धीरे कला कमती होती जाती है। कहते हैं चढ़ती कला सर्व का भला… तो अभी सबका भला होता है। कोई नर्क से निकल स्वर्गवासी बनते, कोई शान्तिधाम निवासी बनते हैं तो भला हो गया। सतयुग में कोई दु:ख देने वाली चीज़ होती नहीं। बड़े आदमियों का फर्नीचर भी बढ़िया होता है। वहाँ दु:खदाई जानवर आदि होते नहीं क्योंकि फर्नीचर अच्छा चाहिए।

उसको हेविन कहा जाता है। अल्लाह अवलदीन का खेल है, ठका करने से राजाई मिलती है। तो अल्लाह बाप अवलदीन अर्थात् आदि सनातन देवी-देवता धर्म स्थापन करते हैं। तो बाप सेकेण्ड में वैकुण्ठ का मालिक बना देते हैं। बाबा अवलदीन का साक्षात्कार कराते हैं। ऐसे नहीं बच्चे कहें साक्षात्कार में जायें।

Sacred book of Gods Verses Srimad Bhagwat GEETA , भगवानुवाच भागवत गीता
Sacred book of Gods Verses Srimad Bhagwat GEETA , भगवानुवाच भागवत गीता

बाबा ने कहा है ध्यानी से ज्ञानी मुझे प्रिय हैं। ध्यान में माया प्रवेश करती है। ज्ञान में माया नहीं आती। जो नौंधा भक्ति करते हैं उनको बाप साक्षात्कार कराते हैं। यहाँ कोई नौंधा भक्ति नहीं की जाती है। छोटी-छोटी बच्चियों को साक्षात्कार हो जाता है। यहाँ तो कहा जाता है अगर ध्यान की आदत पड़ गई तो पढ़ाई नहीं पढ़ सकते। शुरू में कितना ध्यान के प्रोग्राम ले आते थे। परन्तु आज हैं नहीं।

ज्ञानी तू आत्मा को किसी बात में संशय नहीं आता, संशय आया पढ़ाई छोड़ी गोया बाप को छोड़ा। अब सूर्यवंशी देवी-देवताओं की राजधानी स्थापन हो रही है। और धर्म स्थापक कोई राजधानी स्थापन नहीं करते, वह तो जब धर्म की वृद्धि हो जाती है तब राजाई चलती है। तो तुम अब विश्व का मालिक बन रहे हो। कोई नया आये तो पूछो परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? कहेंगे बाबा है।

बाबा स्वर्ग स्थापन करते हैं और रावण नर्क बनाते हैं, जिसने स्वर्ग बनाया उसकी पूजा करते हैं, जिसने नर्क बनाया उसको जलाते हैं क्योंकि नर्क में मनुष्य काम चिता पर जलते हैं, तो गुस्से में आकर रावण को जलाते हैं। परन्तु रावण जलता नहीं। सिर्फ कहते हैं परम्परा से चला आता है। परन्तु परम्परा का अर्थ नहीं जानते। दुश्मन की एफीज़ी जलाते हैं। रावण को भला क्यों जलाते हो? क्योंकि रावण तुमको जलाते हैं। तुम रावण को जलाते हो, परन्तु मनुष्य कुछ भी नहीं जानते।

Earth is RAWANS LANKA, पृत्वी रावण कि लंका है।
Earth is RAWANS LANKA, पृत्वी रावण कि लंका है।

सतयुग में तो सम्पूर्ण निर्विकारी होते हैं तो वहाँ रावण को नहीं जलाते हैं। उसको कहा जाता है वाइसलेस वर्ल्ड, हम पैराडाइज़ वासी बनने के लिए बाप से स्वर्ग का वर्सा ले रहे हैं। श्राप देने वाला है रावण। रावण किसको कहा जाता है? 5 विकार स्त्री के 5 विकार पुरुष के। सतयुग में यह विकार नहीं थे। संन्यासी तो बाद में आते हैं। अभी तो देवता धर्म है नहीं। वह फिर से स्थापन हो रहा है।

108 की माला बन रही है तो प्रजा भी तो चाहिए ना। जयपुर का राजा एक था, प्रजा कितनी थी। अभी माला तो बनती है, प्रजा भी चाहिए। जो यहाँ बच्चे बनकर फिर चले जाते हैं, वह हल्की प्रजा में चले जाते हैं। कहते हैं गृहस्थ व्यवहार में रहते जीवनमुक्ति चाहिए। जीवनमुक्त तो एक नहीं होंगे। पूरा घराना चाहिए।

अष्टापा गीता में लिखा है सेकेण्ड में जीवनमुक्ति मिली। लेकिन कैसे मिली? वह नहीं जानते। आदि सनातन देवी-देवता धर्म बहुत सुख देने वाला है। जबकि राजाई मिल रही है तो फिर हम क्यों न श्रीमत पर चलें! क्यों न कमल फूल समान बनें! तुम ब्राह्मण हो ना। तो शंख, चक्र, गदा, पदम तुम्हारे पास हैं।

मनुष्य दीपमाला पर सिर्फ एक दिन नया कपड़ा पहनते हैं, मन्दिरों में जाते हैं। श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर नये कपड़े नहीं पहनते, दीपावली के दिन नये कपड़े पहनते हैं, एवरीथिंग न्यु। उस दिन दुकानदार अपना पुराना खाता खत्म कर नया खाता शुरू करते हैं। तुम भी अब पुराना खाता खत्म कर नया शुरू कर रहे हो। बाप फायदा कराते हैं, रावण घाटा कराते हैं। फायदा कैसे होगा? मनमनाभव, मध्याजीभव। विष्णु मध्य में है ना। मध्याजीभव माना बाप ब्रह्मा द्वारा विष्णु पुरी स्थापन करते हैं। तो पुरानी दुनिया विनाश हो जाती है।

BK Brahma Baba and Shiv Baba, ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और शिव बाबा (दादा)
BK Brahma Baba and Shiv Baba, ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और शिव बाबा (दादा)

तो शिवबाबा कलियुग के अन्त में आते हैं फिर सतयुग की आदि होती है। लिखा भी है कि ब्रह्मा द्वारा स्थापना। ब्रह्मा तो प्रजापिता है ना। तो तुम किसके बच्चे हो? शिव के हो या ब्रह्मा के बच्चे हो? कहते भी हैं तुम मात-पिता…. बरोबर प्रैक्टिकल में मात-पिता अब हैं। पढ़ाई पढ़कर फिर वर्सा पा रहे हो फिर रावण आकर दु:खी बनाते हैं। दु:ख भी धीरे-धीरे बढ़ता है। विषय सागर यह कलियुग है। सतयुग है क्षीरसागर। विष्णु को क्षीरसागर में दिखाते हैं।

तुम जानते हो बरोबर – वह क्या जाने दशहरे, दीपावली को….. हम तो राज़ को समझ गये हैं। जानते हो कल हम स्वर्ग में थे, अब नर्क में हैं। फिर कल स्वर्ग में होंगे। कल क्यों कहते हैं? क्योंकि रात के बाद दिन आता है। कोई आये तो पूछो यह आश्रम किसका है? नाम सुना है प्रजापिता ब्रह्मा? इतने ब्रह्माकुमार कुमारियाँ हैं तो ब्रह्मा बाप हुआ। बाप से वर्सा ही मिलेगा। बाप कहते हैं मुझे याद करो तो मध्याजी भव।

बाप धन्धे की मना नहीं करते। बाबा कहते हैं कि धन्धा भल करो। परन्तु बाबा को याद करो क्योंकि उनसे वर्सा मिलता है। यह भीती है ना, और जगह भीती नहीं होती। स्कूल में भी भीती होती है, तभी कहते हैं कि स्टूडेन्ट लाइफ इज़ दी बेस्ट। यह बेहद की पढ़ाई है। बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी को तुम जानते हो।

स्कूलों में जाकर बताओ कि बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी क्या है। उनको कहना है कि आप तो हद की हिस्ट्री-जॉग्राफी पढ़ाते हो। हम आपको लक्ष्मी-नारायण की बेहद की हिस्ट्री-जॉग्राफी बतायें कि लक्ष्मी-नारायण ने यह पद कैसे पाया। आगे चल तुमको कॉलेजों में भी निमंत्रण मिलेंगे। यह है ईश्वरीय विश्व विद्यालय। वह है स्प्रीचुअल फादर। तो रूहों को स्प्रीचुअल नॉलेज देते हैं।

निराकार साकार में आकर सुनाते हैं। श्रीकृष्ण की तो इसमें कोई बात नहीं है। किसी बात को समझते नहीं हैं। सूत मूँझा हुआ है। स्वतंत्र होने चाहते हैं परन्तु झगड़ा बढ़ता ही जाता है। कहते हैं फ्रीडम चाहिए। सच्ची-सच्ची फ्रीडम तुमको मिलती है रावण से। भारतवासी समझते हैं कि हमने क्रिश्चियन से फ्रीडम पाई, परन्तु फ्रीडम है कहाँ? फ्रीडम तुमको मिलती है, इंडिपिडेंट राजाई। गीत सुना ना कि तुम मिले तो धरती, आसमान, सागर सब हमारा हो जाता है। उसमें हदें हैं नहीं। अच्छा!

“मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों को यादप्यार दे रहे हैं। दादा कहो वा गुप्त माँ कहो। वन्डरफुल राज़ है। बापदादा मीठे-मीठे बच्चों को नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार क्यों कहते? जानते हो बाबा प्यार तब करेंगे जब बाबा मुआफिक सर्विस करते होंगे। जो जैसी मदद करते हैं, वह भी तो प्रजा में आयेंगे ना। उसमें भी नम्बरवार साहूकार प्रजा भी होती है ना। अच्छा। गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।“

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) मात-पिता को पूरा फालो कर पढ़ाई में ऊंच पद पाना है। इस दुनिया में कोई भी शौक नहीं रखना है। वनवास में रहना है।

2) इन ऑखों से जो कुछ दिखाई देता है उसे देखते हुए भी नहीं देखना है। पूरा नष्टोमोहा बनना है। संगम पर कुछ भी वेस्ट नहीं करना है।

वरदान:-     “अपने आक्यूपेशन की स्मृति से सेवा का फल और बल प्राप्त करने वाले विश्व कल्याणकारी भव”

कोई भी काम करते अपना आक्यूपेशन कभी नहीं भूलो। जैसे पाण्डवों ने गुप्त वेष में नौकरी की लेकिन नशा विजय का था। ऐसे आप भल गवर्मेन्ट सर्वेन्ट हो, नौकरी करते हो लेकिन नशा रहे मैं विश्व कल्याणकारी हूँ तो इस स्मृति से स्वत: समर्थ रहेंगे और सदा सेवा भाव होने के कारण सेवा का फल और बल मिलता रहेगा। गाया हुआ है भावना का फल मिलता है तो आपकी सेवा-भावना अनेक आत्माओं को शान्ति, शक्ति का फल देगी।

स्लोगन:-    “गॉडली स्टूडेण्ट स्वरूप सदा स्मृति में रहे तो माया आ नहीं सकती। – ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे

अच्छा – ओम् शान्ति।

o——————————————————————————————————————–o

नोट: यदि आप “मुरली = भगवान के बोल” को समझने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया अपने शहर या देश में अपने निकटतम ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जाएँ और परिचयात्मक “07 दिनों की कक्षा का फाउंडेशन कोर्स” (प्रतिदिन 01 घंटे के लिए आयोजित) पूरा करें।

खोज करो: “ब्रह्मा कुमारिस सेंटर मेरे आस पास”.

“आज की मुरली से आपने क्या सीखा?” कृपया अपना उत्तर संक्षेप में साझा करें । [प्रतिक्रिया लिंक का चयन करें]

o——————————————————————————————————————–o

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *