Tag: ईश्वरीय ज्ञान

“बदनसीबी और खुशनसीबी अब इन दोनों शब्दों का मदार किस पर चलता है?”

वह कभी किसको दु:ख नहीं दे सकते। वह हमारे सारे कर्मों का खाता चुक्तू कराते हैं तब ही हम कहते हैं तुम मात पिता हम बालक तेरे...। - ओम् शान्ति।...

19-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

“एक बाप दूसरा न कोई'' - जो बच्चे ऐसी स्थिति में सदा रहते हैं उनकी बुद्धि सार स्वरूप में सहज स्थित हो जाती है। जहाँ एक बाप है वहाँ स्थिति एकरस और लवलीन है। एक की याद में एकरस रहो तो सहजयोगी बन जायेंगे।- ओम् शान्ति।...

18-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

जो बच्चे सर्व शक्तियों से सदा सम्पन्न हैं वही मास्टर सर्वशक्तिमान् हैं। कोई भी शक्ति अगर समय पर काम नहीं आती तो मास्टर सर्वशक्तिमान् नहीं कह सकते। एक में ही हर्जा है, एक ही फेल कर देगी इसलिए एक भी शक्ति कम न हो और समय पर वह...

17-7-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:11-12-1991.

“सत्यता की सभ्यता ही रीयल रॉयल्टी है'' - यह प्योरिटी की ही विशेषता है इसलिए सिर्फ देव आत्माओं के आगे ही यह महिमा गाते हैं कि आप सम्पूर्ण निर्विकारी हो, और श्रेष्ठ कीर्ति अर्थात् श्रेष्ठ पवित्रता का ही कीर्तन होता है। - ओम् शान्ति।...

16-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

सदा निश्चिंत वही रह सकते हैं जिनकी बुद्धि समय पर यथार्थ जजमेंट देती है क्योंकि दिन-प्रतिदिन समस्यायें, सरकमस्टांश और टाइट होने हैं, ऐसे समय पर कर्म और योग का बैलेन्स होगा तो निर्णय शक्ति द्वारा सहज पार कर लेंगे।सदैव यह निश्चय पक्का होगा कि जो हो रहा है उसमें...

15-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

बापदादा कहते हैं कि कर्म अलग नहीं, कर्म और योग दोनों साथ-साथ हैं। ऐसा कर्मयोगी कैसा भी कर्म होगा उसमें सहज सफलता प्राप्त कर लेगा।कर्म के साथ योग है माना मन और बुद्धि की एकाग्रता है तो सफलता बंधी हुई है। कर्मयोगी आत्मा को बाप की मदद भी स्वत:...

“इस कलियुगी संसार को असार संसार क्यों कहते हैं?”

इस संसार को पाप का सागर कहते हैं, जिससे पार कर पुण्य आत्मा वाली दुनिया में चलना चाहते हैं। तो दुनियायें दो हैं, एक सतयुगी सार वाली दुनिया, दूसरी है कलियुगी असार की दुनिया।- ओम् शान्ति।...

14-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

बापदादा ने बच्चों को सर्व खजानों से सम्पन्न बनाया है लेकिन जो समय पर हर खजाने को काम में लगाते हैं उनका खजाना सदा बढ़ता जाता है। खजानों से सम्पन्न ज्ञानी-योगी तू आत्मायें पहले सोचती हैं फिर करती हैं। उन्हें समय प्रमाण टच होता है वे फिर कैच करके...

13-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

सदा शक्तिशाली, विजयी वही रह सकते हैं जो स्मृति स्वरूप हैं, उन्हें ही सहज पुरुषार्थी कहा जाता है। वे हर परिस्थिति में सदा अचल रहते हैं, बीती की हलचल को भी स्मृति में लाने के बजाए फुलस्टॉप लगा देते हैं। उनके पास कभी अलबेलापन नहीं आ सकता।- ओम् शान्ति।...

12-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

जैसे कोई भी कार्य शुरू करते हो तो पहले संगठित रूप में चारों ओर विशेष टाइम पर एक साथ योग का दान दो। सर्व आत्माओं का एक ही शुद्ध संकल्प हो - विजयी। यह है शुद्धि की विधि, इससे सभी विजयी वा निर्विघ्न बन जायेंगे और किला मजबूत हो...