“भारत का प्राचीन योग परमात्मा द्वारा सिखाया हुआ है”

मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-

Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती
Ma Jagdamba , माँ जगदम्बा स्वरस्वती

अपना यह ईश्वरीय योग भारत में प्राचीन योग के नाम से मशहूर है। इस योग को अविनाशी योग क्यों कहते हैं? क्योंकि अविनाशी परमपिता परमात्मा द्वारा सिखाया गया है। भल योग और मनुष्य आत्मायें भी सिखाती हैं इसलिये योगाश्रम वगैरा खोलते रहते हैं परन्तु वो प्राचीन योग सिखला नहीं सकते।

अगर ऐसा योग होता तो फिर वो बल कहाँ! भारत तो दिन प्रतिदिन निर्बल होता जाता है इससे सिद्ध है वह योग अविनाशी योग नहीं है, जिसके साथ योग लगाना है वह खुद ही सिखला सकता है।

बाकी औरों से तो योग लगाना ही नहीं है तो फिर सिखलायेंगे कैसे? यह तो स्वयं परमात्मा ही कार्य कर सकता है, वही हमें पूरा भेद बता सकता है। बाकी तो सब तरफ कहते रहते हैं, हम योग सिखलायेंगे।

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Paradice -Satyug , स्वर्ग – सतयुग

यह तो हम जानते हैं कि सच्चा योग तो खुद परमात्मा ही सिखलाए सूर्यवंशी चन्द्रवंशी घराना स्थापन कर दैवी राज्य स्थापन करते हैं। अब वो प्राचीन योग भी परमात्मा आकर कल्प-कल्प हमें सिखलाता है। तू आत्मा मुझ परमात्मा के साथ निरन्तर योग लगाओ तो तेरे पाप नष्ट हो जायेंगे।

अच्छा – ओम् शान्ति।

SOURSE: 20-7-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.

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