14-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “अहंकार में नहीं आना है शुद्ध घमण्ड में रहना है”

शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – श्रीमत पर चल स्वच्छ शुद्ध बन धारणा कर फिर युक्तियुक्त सेवा करनी है, अहंकार में नहीं आना है शुद्ध घमण्ड में रहना है”

प्रश्नः– किस एक बात के कारण बाप को इतनी बड़ी नॉलेज देनी पड़ती है?

उत्तर:- गीता के रचयिता निराकार परमपिता परमात्मा को सिद्ध करने के लिए बाप तुम्हें इतनी बड़ी नॉलेज देते हैं। सबसे बड़ी भूल यही है जो गीता में पतित-पावन बाप की जगह श्रीकृष्ण का नाम डाला है, इसी बात को सिद्ध करना है। इसके लिए भिन्न-भिन्न युक्तियां रचनी है। बाप की माहिमा और श्रीकृष्ण की महिमा अलग-अलग बतानी है।

गीत:- “मरना तेरी गली में ………………….”

गीत:- “मरना तेरी गली में ………………….”, अन्य गीत सुनने के लिए सेलेक्ट करे > “PARAMATMA LOVE SONGS”.

Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव

-: ज्ञान के सागर और पतित-पावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “मुरली”( यह अपने सब बच्चों के लिए “स्वयं भगवान द्वारा अपने हाथो से लिखे पत्र हैं।”)

“ओम् शान्ति”

शिव भगवानुवाच : बच्चों ने गीत सुना, कहते हैं आये हैं तेरे दर पर जीते जी मरने के लिए। किसके दर पर? फिर भी यही बात निकलती कि अगर गीता का भगवान श्रीकृष्ण को कहें तो यह सब बातें हो न सकें। वह है सतयुग का प्रिन्स। गीता श्रीकृष्ण ने नहीं सुनाई। गीता परमपिता परमात्मा ने सुनाई। सारा मदार इस बात पर है। एक बात को समझ जाएं तो भारत के जो इतने शास्त्र हैं – सब झूठे सिद्ध हो जाएं। यह हैं सब भक्तिमार्ग के, इनमें कर्मकान्ड तीर्थ यात्रा, जप-तप आदि की कहानियां लिखी हुई हैं। भक्ति मार्ग में तुम इतनी मेहनत करते आये हो, वह तो दरकार नहीं। यह तो सेकेण्ड की बात है।

सिर्फ यह एक बात सिद्ध करने के लिए भी बाप को कितनी नॉलेज देनी पड़ती है। प्राचीन नॉलेज जो भगवान ने ही दी है, वही नॉलेज है। सारी बात गीता पर है। परमपिता परमात्मा ने ही आकर देवी-देवता धर्म की स्थापना अर्थ सहज राजयोग और ज्ञान सिखलाया है, जो अब प्राय:लोप है। मनुष्य समझते हैं श्रीकृष्ण फिर आकर गीता सुनायेगा। परन्तु अब तुमको यह अच्छी तरह सिद्ध करना है कि गीता परमपिता परमात्मा ने, जो ज्ञान का सागर है, उसने सुनाई है।

श्रीकृष्ण की महिमा और परमपिता परमात्मा की महिमा अलग-अलग है। वह है सतयुग का प्रिन्स, जिसने सहज राजयोग से राज्य-भाग्य पाया है। पढ़ते समय नाम रूप और है फिर जब राज्य पाया है तब और है। पहले पतित है फिर पावन बना है, यह सिद्ध कर बताना है। पतित-पावन श्रीकृष्ण को कभी नहीं कहेंगे। पतित-पावन है ही एक बाप। अब वही श्रीकृष्ण की आत्मा जो काली अर्थात् श्याम बन गई है। अब फिर से पतित-पावन द्वारा राजयोग सीख भविष्य पावन दुनिया का प्रिन्स बन रही है। यह सिद्ध कर समझाने में युक्तियां चाहिए।

फारेनर्स को सिद्धकर बताना है। नम्बरवन है ही गीता सर्वशास्त्रमई श्रीमत भगवत गीता माता। अब माता को जन्म किसने दिया? बाप ही माता को एडाप्ट करते हैं। ऐसे नहीं कहेंगे कि क्राइस्ट ने बाइबिल को एडाप्ट किया। क्राइस्ट ने जो शिक्षा दी उनका बाइबिल बनाकर पढ़ते रहते हैं। अब गीता की शिक्षा किसने दी जो पुस्तक बनाकर पढ़ते रहते हैं। यह किसको पता नहीं और सबके शास्त्रों का पता है। यह जो सहज राजयोग की शिक्षा है वह किसने दी, यह सिद्ध करना है।

Sacred book of Gods Verses Srimad Bhagwat GEETA , भगवानुवाच भागवत गीता
Sacred book of Gods Verses Srimad Bhagwat GEETA , भगवानुवाच भागवत गीता

दुनिया तो दिन-प्रतिदिन तमोप्रधान होती जाती है। यह सब ख्यालात स्वच्छ बुद्धि में ही बैठ सकते हैं। जो श्रीमत पर नहीं चलते उनको धारणा भी नहीं हो सकती। श्रीमत कहेगी तुम बिल्कुल समझा नहीं सकते हो। बाबा फट से कह देंगे – मुख्य बात यह है कि गीता का भगवान परमपिता परमात्मा है। वही पतित-पावन है। मनुष्य तो सर्वव्यापी कह देते हैं वा ब्रह्म तत्च कह देते। जो आता है वह कह देते हैं – बिगर समझ। भूल सारी गीता से निकली है, जो गीता का रचयिता श्रीकृष्ण को कह दिया है। तो समझाने के लिए युक्तियां रचनी पड़े। गुप्ता जी को भी कहते थे कि बनारस में यह सिद्धकर समझाओ कि गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं।

अब देहली में सम्मेलन होता है। सब रिलीज़स मनुष्यों को बुला रहे हैं क्या उपाय करें जो शान्ति हो जाए? अब शान्ति स्थापन करना इनके हाथ में तो है नहीं। कहते भी हैं पतित-पावन आओ। फिर यह पतित कैसे शान्ति स्थापन कर सकते? जबकि बुलाते रहते हैं। परन्तु पतित-पावन को जानते नहीं। कह देते हैं रघुपति राघो राजाराम। वह तो है नहीं। झूठा बुलावा करते हैं, जानते कुछ भी नहीं। अब यह कौन जाकर बताये।

बड़े अच्छे बच्चे चाहिए। ऐसे बहुत हैं जो अपने को बहुत ज्ञानी समझते हैं। परन्तु है कुछ भी नहीं। मिसाल है चूहे को मिली हल्दी की गांठ.. नम्बरवार हैं। इसमें बड़ी युक्ति चाहिए, जिससे सिद्ध हो जाए – गीता भगवान ने रची है। वह कह देते कोई भी हो, हैं तो सब भगवान।

BK Brahma Baba and Shiv Baba, ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और शिव बाबा (दादा)
BK Brahma Baba and Shiv Baba, ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और शिव बाबा (दादा)

बाबा कहते हैं – भगवानुवाच, मैं उस श्रीकृष्ण की आत्मा, जो 84 जन्म पूरे कर अन्तिम जन्म में है, उनको एडाप्ट कर ब्रह्मा बनाए उन द्वारा गीता ज्ञान देता हूँ। वह ब्रह्मा फिर इस सहज राजयोग से फर्स्ट प्रिन्स सतयुग का बन जाता है। यह समझानी और कोई की बुद्धि में नहीं है। तुम बच्चों में भी यथार्थ रीति अभी वह शुद्ध घमण्ड आया नहीं है।

इतनी प्रदर्शनी आदि करते हैं – अजुन सिद्ध नहीं करते। पहले यह भूल सिद्धकर बतानी है कि श्रीमत भगवत गीता है सब शास्त्रों की माई बाप। उसका रचयिता कौन था? जैसे क्राइस्ट ने बाइबिल को जन्म दिया। वह है क्रिश्चियन धर्म का शास्त्र। अच्छा बाइबिल का बाप कौन? क्राइस्ट। उनको माई बाप नहीं कहेंगे। मदर की तो वहाँ बात नहीं। यह तो यहाँ माता पिता है। क्रिश्चियन ने रीस की है श्रीकृष्ण के धर्म से। वह क्राइस्ट को मानने वाले हैं।

अब गीता किसने सुनाई? उससे कौन सा धर्म स्थापन हुआ? यह कोई नहीं जानते। कभी नहीं कहते कि पतित-पावन परमपिता परमात्मा ने यज्ञ रचा। गोले के चित्र से समझ सकेंगे कि बरोबर परमपिता परमात्मा ने ज्ञान दिया है। राधे-कृष्ण तो सतयुग में बैठे हैं, उन्होंने अपने को ज्ञान नहीं दिया। ज्ञान देने वाला दूसरा चाहिए। कोई ने तो उसको पास कराया होगा ना। यह राजाई प्राप्त करने का ज्ञान किसने दिया?

विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel
विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel

किस्मत आपेही तो नहीं बनती। किस्मत बनाने वाला बाप या टीचर होता है। गुरू तो गति देते, परन्तु गति सद्गति का भी कोई अर्थ नहीं समझते। सद्गति प्रवृत्ति मार्ग वालों की होती है। गति माना सब बाप के पास जाते हैं। यह बातें कोई समझते नहीं हैं। वह तो भक्ति के बड़े-बड़े दुकान खोल बैठे हैं। सच्चे ज्ञान का एक भी दुकान नहीं। सब हैं भक्ति के।

बाप कहते हैं यह वेद शास्त्र आदि सब भक्ति मार्ग की सामग्री है। यह जप तप आदि करने से मैं नहीं मिलता हूँ। मैं तो बच्चों को ज्ञान देकर पावन बनाता हूँ। सारे सृष्टि की सद्गति करता हूँ। वाया गति में जाकर सद्गति में आना है। सब तो सतयुग में नहीं आयेंगे, यह ड्रामा बना हुआ है। जो कल्प पहले तुमको सिखाया था, जो चित्र बनाये थे, वह अब भी बनवा रहे हैं। यह जो बड़ी भूल है, वह सिद्ध हो जाए फिर युक्ति से चित्र बनायेंगे।

कहते हैं 3 धर्मो की टांगों पर सृष्टि खड़ी है। एक देवता धर्म की टांग टूटी हुई है, इसलिए हिलती रहती है। पहले एक टांग पर सृष्टि बड़ी फर्स्टक्लास रहती। एक ही धर्म था, जिसको अद्वैत राज्य कहा जाता है। फिर वह एक टांग गुम हो 3 टांगे निकली हैं, जिसमें कुछ भी ताकत नहीं रहती। आपस में ही लड़ाई झगड़ा चलता रहता है। धनी को जानते ही नहीं। निधनके बन पड़े हैं।

समझाने की बड़ी युक्ति चाहिए। प्रदर्शनी में भी मुख्य यह बात समझानी है कि गीता का भगवान श्रीकृष्ण नहीं, परमपिता परमात्मा है, जिसका बर्थ प्लेस भारत है। श्रीकृष्ण है साकार, वह है निराकार। उनकी महिमा अलग है। ऐसे युक्ति से कार्टून बनाना चाहिए जो सिद्ध हो जाए कि गीता परमात्मा ने गाई और श्रीकृष्ण को ऐसा बनाया।

कहते हैं ब्रह्मा का दिन ज्ञान और ब्रह्मा की रात भक्ति। अभी है रात। सतयुग स्थापन करने वाला कौन? ब्रह्मा आया कहाँ से? सूक्ष्मवतन में भी कहाँ से आया? प्रजापिता ब्रह्मा को परमात्मा एडाप्ट करते हैं। परमपिता परमात्मा ही पहले-पहले सूक्ष्म सृष्टि रचते हैं। वहाँ ब्रह्मा दिखाते हैं। वहाँ प्रजापिता होता नहीं। प्रजापिता ब्रह्मा कहाँ से आया? यह बातें कोई समझ न सकें। श्रीकृष्ण के अन्तिम जन्म में इनको परमपिता परमात्मा ने अपना रथ बनाया है। यह किसकी बुद्धि में नहीं है। यह बड़ा भारी क्लास है। टीचर जानते हैं यह स्टूडेण्ट कौन सा है? तो क्या बाप नहीं समझते होंगे? यह बेहद के बाप का बेहद का क्लास है। यहाँ की बात ही निराली है। शास्त्रों में प्रलय दिखा-कर रोला कर दिया है।

Paradice Ruler- Laxmi-Narayan, मधुबन - स्वर्ग महाराजा- लक्ष्मी-नारायण
Paradice Ruler- Laxmi-Narayan, मधुबन – स्वर्ग महाराजा- लक्ष्मी-नारायण

तुम जानते हो श्रीकृष्ण ने गीता नहीं सुनाई। उसने तो गीता का ज्ञान सुनकर राज्य पद पाया है। तुमको सिद्ध कर बताना है – गीता का भगवान निराकार शिव है, उनके गुण यह हैं। इस भूल के कारण ही भारत कौड़ी जैसा बना है। अभी परमापिता परमात्मा ने ज्ञान का कलष माताओं पर रखा है। मातायें ही स्वर्ग का द्वार खोलती हैं। यह सब बातें नोट कर समझानी चाहिए।

भक्ति वास्तव में गृहस्थियों के लिए है। ये है प्रवृत्ति मार्ग का सहज राजयोग। हम सिद्ध कर समझाने के लिए आये हैं। बच्चों को युक्तियुक्त काम करना है। बच्चों को ही बाप का शो करना है। सदैव हर्षित मुख, अचल, स्थेरियम, मस्त रहना है, आगे चलकर ऐसे बच्चे निकलते जरूर हैं। ब्रह्माकुमार कुमारी वह जो 21 जन्म के लिए बाप से वर्सा दिलाये। कुमारियों की महिमा भारी है, मुख्य मम्मा है। वह ज्ञान सूर्य है, यह है गुप्त मम्मा (ब्रह्मा)। इस राज़ को मुश्किल ही कोई समझते हैं। मन्दिर भी उस मम्मा के हैं। इस गुप्त बूढ़ी मम्मा का कोई मन्दिर नहीं। यह माता-पिता कम्बाइन्ड है।

श्रीकृष्ण तो सतयुग का प्रिन्स है। गीता के भगवान की महिमा अलग है। वह पतित-पावन, लिबरेटर, गाइड है। तो परमात्मा की महिमा बिल्कुल अलग है। एक कैसे हो सकते। मुख्य बात ही यह है कि गीता किसने सुनाई? वेद शास्त्र आदि सब गीता के बाल बच्चे हैं और सब भक्ति की सामग्री है, ज्ञान मार्ग में कुछ होता नहीं। अच्छा!

मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। ओम् शान्ति।“

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) हर काम बहुत युक्तियुक्त करना है। हर्षितमुख, अचल, स्थिर और ज्ञान की मस्ती में रहकर बाप का शो करना है।

2) ज्ञान की नई और निराली बातें सिद्ध करनी है।

वरदान:-     “शान्ति की शक्ति द्वारा असम्भव को सम्भव करने वाले योगी तू आत्मा भव”

शान्ति की शक्ति सर्वश्रेष्ठ शक्ति है। और सभी शक्तियां इसी एक शक्ति से निकली हैं। साइन्स की शक्ति भी इसी शान्ति की शक्ति से निकली है। शान्ति की शक्ति द्वारा असम्भव को भी सम्भव कर सकते हो। जिसे दुनिया वाले असम्भव कहते वह आप योगी तू आत्मा बच्चों के लिए सहज सम्भव है। वह कहेंगे परमात्मा तो बहुत ऊंचा हजारों सूर्यो से तेजोमय है, लेकिन आप अपने अनुभव से कहते – हमने तो उसे पा लिया, शान्ति की शक्ति से स्नेह के सागर में समा गये।

स्लोगन:-    “निमित्त बन निर्माण का कार्य करने वाले ही सच्चे सेवाधारी हैं। – ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे

अच्छा – ओम् शान्ति।

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नोट: यदि आप “मुरली = भगवान के बोल” को समझने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया अपने शहर या देश में अपने निकटतम ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जाएँ और परिचयात्मक “07 दिनों की कक्षा का फाउंडेशन कोर्स” (प्रतिदिन 01 घंटे के लिए आयोजित) पूरा करें।

खोज करो:ब्रह्मा कुमारिस ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजयोग सेंटर” मेरे आस पास.

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