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23-10-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 3-11-1992: “नम्बरवन बनना है तो ज्ञान और योग को स्वरूप में लाओ”

उड़ती कला का अनुभव करने के लिए हिम्मत और उमंग-उत्साह के पंख चाहिए। किसी भी कार्य में सफलता प्राप्त करने के लिए उमंग-उत्साह बहुत जरूरी है।इसलिए हिम्मतवान बन उमंग और उत्साह के आधार पर उड़ते रहो तो मंजिल पर पहुंच जायेंगे।- ओम् शान्ति।...

22-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “ममत्व मिटा देना है, पूरा-पूरा बलि चढ़ना है”

कोई भी काम करते अपना आक्यूपेशन कभी नहीं भूलो। जैसे पाण्डवों ने गुप्त वेष में नौकरी की लेकिन नशा विजय का था। ऐसे आप भल गवर्मेन्ट सर्वेन्ट हो, नौकरी करते हो लेकिन नशा रहे मैं विश्व कल्याणकारी हूँ तो इस स्मृति से स्वत: समर्थ रहेंगे और सदा सेवा भाव...

21-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “वह बहिश्त की सौगात लेकर आया है इसलिए अपार खुशी में रहो”

जैसे बाप सबसे न्यारा और सबका प्यारा है। न्यारापन ही प्यारा बना देता है। जितना अपनी देह के भान से न्यारे होते जायेंगे उतना प्यारा बनेंगे।ऐसे न्यारी अवस्था में स्थित रहने से कर्म भी अच्छा होगा और बाप के वा सर्व के प्यारे भी बनेंगे। परमात्म प्यार के अधिकारी...

20-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बाप ही इस गरीब भारत को फिर से साहूकार बनाते हैं”

जिन बच्चों को बहानेबाजी का खेल आता है वह कहेंगे - ऐसे नहीं होता तो वैसा नहीं होता। इसने ऐसे किया, सरकमस्टांश वा बात ही ऐसी थी....अब इस बहानेबाजी की भाषा को समाप्त कर दृढ़ प्रतिज्ञा करो कि ऐसा हो या वैसा लेकिन मुझे तो बाप जैसा बनना है।...

19-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम अभी इस शोक वाटिका से अशोक वाटिका में चलते हो”

प्रतिज्ञा में लूज़ होने का मूल कारण है - अलबेलापन। पुरूषार्थ वा प्लैन को कमजोर करने का स्क्रू एक ही है - अलबेलापन। वह नये-नये रूप में आता है। इसी लूज़ स्क्रू को टाइट करो। मुझे बाप समान बनना ही है - इसी दृढ़ संकल्प से तीव्र पुरूषार्थी बन...