28-12-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “You are studying a very high study with the unlimited Father.”
The five vices are like a poisonous snake for people, but for you yogi and tapaswi souls, this snake becomes a garland around your necks. This is why they have portrayed a snake as a garland around the neck in the memorial of the bodiless and tapaswi Shankar...
28-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बेहद के बाप से तुम बहुत ऊंची पढ़ाई पढ़ रहे हो”
ये पांच विकार लोगों के लिए जहरीले सांप हैं लेकिन आप योगी तपस्वी आत्माओं के लिए ये सांप गले की माला बन जाते हैं इसलिए आप ब्राह्मणों के और ब्रह्मा बाप के अशरीरी, तपस्वी शंकर स्वरूप के यादगार में सांपों की माला गले में दिखाते हैं। तो जब विकारों...
27-12-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “You know that you hear this knowledge from the Innocent Lord every 5000 years and change from human beings into deities.”
Yogi souls and most elevated souls can never be influenced by matter. You Brahmin souls are the most elevated, yogi souls and matter is the servant of you masters.Let the facilities not be the basis of your spiritual endeavour, but let your spiritual endeavour make the facilities support you...
26-12-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “To stop studying means to leave the Father.”
Just as you are capable of having yoga and conducting yoga, in the same way, become just as capable in experimenting with yoga. First of all, experiment with the power of yoga on your sanskars because your elevated sanskars are the foundation for the creation of the elevated world....
26-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पढ़ाई छोड़ना माना बाप को छोड़ देना”
जैसे योग करने और कराने में योग्य हो ऐसे योग का प्रयोग करने में भी योग्य बनो। सबसे पहले अपने संस्कारों पर योग की शक्ति का प्रयोग करो क्योंकि आपके श्रेष्ठ संस्कार ही श्रेष्ठ संसार के रचना की नींव हैं।जो स्व के संस्कारों को परिवर्तन कर लेते हैं वही...
25-12-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “Signs of being the Highest and the Holiest souls.”
As well as listening to and relating knowledge, also put knowledge into your form. Those whose every thought, word and action is powerful are said to be embodiments of knowledge. The most important thing is to make your seed of thought powerful. If your seed of thought is powerful,...
25-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “हाइएस्टऔर होलीएस्ट आत्मा की निशानियां”
ज्ञान सुनने और सुनाने के साथ-साथ ज्ञान को स्वरूप में लाओ। ज्ञान स्वरूप वह है जिसका हर संकल्प, बोल और कर्म समर्थ हो। सबसे मुख्य बात - संकल्प रूपी बीज को समर्थ बनाना है। यदि संकल्प रूपी बीज समर्थ है तो वाणी, कर्म, सम्बन्ध सहज ही समर्थ हो जाता...
24-12-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “Remain constantly aware that this is the last of your 84 births.”
Observe every scene while stable in the trikaldarshi stage and see what you were, what you are and what you are going to become. You have a special part fixed in this drama. Experience very clearly that you were a deity yesterday and that you are going to become...
24-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “सदा यह स्मृति में रहे कि हमारा यह अन्तिम 84 वाँ जन्म है”
त्रिकालदर्शी स्थिति में स्थित रहकर देखो कि हम क्या थे, क्या हैं और क्या होंगे....इस ड्रामा में हमारा विशेष पार्ट नूंधा हुआ है। इतना स्पष्ट अनुभव हो कि कल हम देवता थे और फिर कल बनने वाले हैं। हमें तीनों कालों की नॉलेज मिल गई।- ओम् शान्ति।...
23-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें खाते-पीते – चलते-फिरते बाप की याद में रहना है”
मास्टर का अर्थ है कि हर शक्ति जिस समय आह्वान करो वो शक्ति प्रैक्टिकल स्वरूप में अनुभव हो। जिस समय, जिस शक्ति की आवश्यकता हो, उस समय वो शक्ति सहयोगी बने। शक्ति को ऑर्डर किया और हाज़िर। जैसे शरीर की शक्तियां ऑर्डर में हैं ऐसे सूक्ष्म शक्तियां भी ऑर्डर...