Tag: Shiv Baba Srimat

20-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “बाप समान पतितों को पावन बनाने का पुरूषार्थ करो”

जो अपने निज़ी लाइट स्वरूप की स्मृति में रहते हैं उनमें व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने की शक्ति होती है। वे व्यर्थ समय, व्यर्थ संग, व्यर्थ वातावरण को सहज परिवर्तन कर डबल लाइट रहते हैं। ऐसे तीव्र पुरूषार्थी बच्चे सहज ही फरिश्ते पन की स्थिति को प्राप्त कर...

19-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “अपनी एम-आब्जेक्ट सदा याद रखो”

ब्राह्मण जन्म ही विशेष जन्म है, तो जन्म भी श्रेष्ठ, धर्म भी श्रेष्ठ और कर्म भी श्रेष्ठ है। इसी श्रेष्ठता अर्थात् विशेषता की जीवन स्मृति में नेचरल रहे तो सहज पुरूषार्थी बन जायेंगे। विशेष जीवन वाली आत्मायें कभी साधारण कर्म नहीं कर सकती। - ओम् शान्ति।...

18-9-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 15-4-1992: “ब्राह्मणों की दो निशानियाँ – निश्चय और विजय”

कोई भी संकल्प वा संस्कार सेकण्ड में निगेटिव से पॉजिटिव में परिवर्तन हो जाए - इसके लिए सारे दिन में ट्रैफिक ब्रेक का अभ्यास चाहिए, क्योंकि व्यर्थ वा निगेटिव संकल्पों की गति बहुत फास्ट होती है। फास्ट गति के समय पावरफुल ब्रेक लगाकर परिवर्तन करने का अभ्यास करो। तब...

17-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम्हें इस जन्म में कौड़ी से हीरे जैसा बनना है”

प्रवृत्ति में रहते लक्ष्य रखो कि सेवा-स्थान पर सेवा के लिए हैं, जहाँ भी रहते वहाँ का वातावरण सेवा स्थान जैसा हो, प्रवृत्ति का अर्थ है पर-वृत्ति में रहने वाले अर्थात् मेरापन नहीं, बाप का है तो पर-वृत्ति है। कोई भी आये तो अनुभव करे कि ये न्यारे और...

16-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “यह पूज्य और पुजारी, ज्ञान और भक्ति का वन्डरफुल खेल है”

संगमयुग पर स्वयं बाप बच्चों को भिन्न-भिन्न टाइटल्स देते हैं, उन्हीं टाइटल्स को स्मृति में रखो तो श्रेष्ठ स्थिति में सहज ही स्थित हो जायेंगे। सिर्फ बुद्धि से वर्णन नहीं करो लेकिन सीट पर सेट हो जाओ, जैसा टाइटल वैसी स्थिति हो। यदि स्वदर्शन चक्रधारी का टाइटल स्मृति में...