12-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
यादगार में योगी के मस्तक पर तीसरा नेत्र दिखाते हैं। आप सच्चे योगी बच्चे भी अपने मस्तक द्वारा तीसरे नेत्र का साक्षात्कार कराने के लिए सदा बुद्धि द्वारा एक बाप के संग में रहो। एक बाप दूसरे हम, तीसरा न कोई, जब ऐसी स्थिति होगी तब तीसरे नेत्र का...
11-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जो बच्चे सदा अन्तर की स्थिति में अथवा अन्तर स्वरूप में स्थित रह अन्तर्मुखी रहते हैं, वे कभी किसी बात में लिप्त नहीं हो सकते।अन्तर स्वरूप की स्थिति में रहने से स्वयं का शक्ति। ॐ शान्ति। ...
10-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जो वायदा है कि साथ रहेंगे, साथ चलेंगे और साथ में राज्य करेंगे - इस वायदे को तभी निभा सकेंगे जब साथी के समान बनेंगे। समानता आयेगी समर्पणता से। जब तक किसी का भी अधिकार है तो सर्व समर्पण में कमी है इसलिए समान नहीं बन सकते। तो साथ...
9-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
सम्पूर्ण कर्मातीत बनने में व्यर्थ संकल्पों के तूफान ही विघ्न डालते हैं। इस व्यर्थ संकल्पों की कम्पलेन को समाप्त करने के लिए अपने मन को हर समय बिज़ी रखो। इससे समय सफल हो जायेगा और व्यर्थ की कम्पलेन खत्म हो जायेगी। - ॐ शान्ति। ...
8-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
अपना तथा दूसरों का जीवन हीरे जैसा बनाने की सेवा करते रहना है। टाइम, मनी, एनर्जी बरबाद नहीं करना है।दूसरों का कल्याण करने के साथ-साथ अपना भी कल्याण करना है। बुद्धि रूपी झोली में ज्ञान रत्न धारण कर दान भी करना है। - ॐ शान्ति। ...
7-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
“मुख्य है ही पवित्रता। अगर पवित्र नहीं बनेंगे तो नॉलेज बुद्धि में ठहर नहीं सकती। योग सीखते-सीखते अगर पतित बन गये तो सब कुछ मिट्टी में मिल जायेगा। जो जितना पढ़ेंगे, पवित्र बनेंगे उतना धनवान बनेंगे। - 🕉 शान्ति।...
6-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
स्वयं को सदा विजयी रत्न समझकर हर संकल्प और कर्म करो तो कभी भी हार हो नहीं सकती। मास्टर सर्वशक्तिमान् कभी हार नहीं खा सकते।अपने सम्पूर्ण स्वरूप को धारण करने की प्रतिज्ञा करो तो विजयी बन जायेंगे। - ॐ शान्ति। ...
5-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
सदा प्रसन्नचित रहने वाले अपने रूहानी वायब्रेशन से औरों को भी प्रसन्न करते हैं। ऐसे नहीं - मैं तो प्रसन्न रहता ही हूँ।- ॐ शान्ति ...
4-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जैसे शरीर निर्वाह के लिए अनेक साधन अपनाते हो ऐसे आत्मिक उन्नति के भी साधन अपनाओ, इसके लिए सदा अकालमूर्त स्थिति में स्थित होने का अभ्यास करो। जो स्वयं को अकालमूर्त (आत्मा) समझकर चलते हैं वह अकाले मृत्यु से, अकाल से, सर्व समस्याओं से बच जाते हैं। - ॐ...
3-12-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
अच्छी सर्विस करने के साथ-साथ दिल व जान से बाप को याद करना है। सवेरे उठते ही प्यार से कहना है -“बाबा गुडमार्निंग''। कर्म करते भी याद का अभ्यास करना है।किसी देहधारी के नाम-रूप में नहीं अटकना है। ज्ञान के चिंतन में रहना है। व्यर्थ बातें नहीं करनी है।...