22-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “ममत्व मिटा देना है, पूरा-पूरा बलि चढ़ना है”
कोई भी काम करते अपना आक्यूपेशन कभी नहीं भूलो। जैसे पाण्डवों ने गुप्त वेष में नौकरी की लेकिन नशा विजय का था। ऐसे आप भल गवर्मेन्ट सर्वेन्ट हो, नौकरी करते हो लेकिन नशा रहे मैं विश्व कल्याणकारी हूँ तो इस स्मृति से स्वत: समर्थ रहेंगे और सदा सेवा भाव...
22-10-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “remove your attachment from it. Surrender yourself fully”
While doing any work, do not forget your occupation. The Pandavas worked in an incognito way, but they had the intoxication of their victory. In the same way, you may be servants of the Government, you may have some employment, but always have the intoxication of being a world...
21-10-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “He has come with the gift of Paradise. Therefore stay in limitless happiness.”
The Father is detached from all and loving to all. His detachment makes Him loving to everyone. The more you continue to be detached from the consciousness of your body, the more loving you will become.When you are stabilized in this stage of detachment, your actions will be good...
21-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “वह बहिश्त की सौगात लेकर आया है इसलिए अपार खुशी में रहो”
जैसे बाप सबसे न्यारा और सबका प्यारा है। न्यारापन ही प्यारा बना देता है। जितना अपनी देह के भान से न्यारे होते जायेंगे उतना प्यारा बनेंगे।ऐसे न्यारी अवस्था में स्थित रहने से कर्म भी अच्छा होगा और बाप के वा सर्व के प्यारे भी बनेंगे। परमात्म प्यार के अधिकारी...
20-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बाप ही इस गरीब भारत को फिर से साहूकार बनाते हैं”
जिन बच्चों को बहानेबाजी का खेल आता है वह कहेंगे - ऐसे नहीं होता तो वैसा नहीं होता। इसने ऐसे किया, सरकमस्टांश वा बात ही ऐसी थी....अब इस बहानेबाजी की भाषा को समाप्त कर दृढ़ प्रतिज्ञा करो कि ऐसा हो या वैसा लेकिन मुझे तो बाप जैसा बनना है।...
20-10-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “Only the Father makes this poor Bharat wealthy once again.”
The children who know how to play the game of making excuses say, “If it weren’t for this, it would be like this.” “This one did this”, or “The circumstances were like this…” Now, finish this language of making excuses and make this determined promise: No matter what happens,...
19-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम अभी इस शोक वाटिका से अशोक वाटिका में चलते हो”
प्रतिज्ञा में लूज़ होने का मूल कारण है - अलबेलापन। पुरूषार्थ वा प्लैन को कमजोर करने का स्क्रू एक ही है - अलबेलापन। वह नये-नये रूप में आता है। इसी लूज़ स्क्रू को टाइट करो। मुझे बाप समान बनना ही है - इसी दृढ़ संकल्प से तीव्र पुरूषार्थी बन...
19-10-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “You are now going from this cottage of sorrow to the cottage that is free from sorrow.”
The main reason why you become loose in your promise is carelessness. the one screw that makes you weak in your efforts and your plans is carelessness. It comes in new forms. Now, tighten that loose screw. “I definitely have to become equal to the Father”. By having this...
18-10-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “sit in silence by withdrawing your senses like a tortoise and spin the discus of self-realisation.”
While living at home with your family, never think that you are there because of your karmic accounts or bondages. No, that too is service. When you are bound with the bond of service, your karmic bondages finish. Until you have the consciousness of serving, karmic bondages will pull...
18-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “कछुये मिसल सब कुछ समेटकर चुप बैठ स्वदर्शन चक्र फिराओ”
प्रवृत्ति में रहते हुए कभी यह नहीं समझो कि हिसाब-किताब है, कर्मबन्धन है...लेकिन यह भी सेवा है। सेवा के बन्धन में बंधने से कर्मबन्धन खत्म हो जाता है। जब तक सेवा भाव नहीं होता तो कर्मबन्धन खींचता है। कर्मबन्धन होगा तो दुख की लहर आयेगी और सेवा का बन्धन...