22-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “जितना समय मिले सच्ची कमाई करो”
माया की छाया से बचने का साधन है-बाप की छत्रछाया। छत्रछाया में रहना अर्थात् खुश रहना। सब फिक्र बाप को दे दिया। जिनकी खुशी गुम होती है, कमजोर हो जाते हैं उन पर माया की छाया का प्रभाव पड़ ही जाता है क्योंकि कमजोरी माया का आह्वान करती है।...
21-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम गरीब बच्चे ही बाप से ज्ञान की मुट्ठी ले साहूकार बनते हो”
प्रकृति की हलचल में जब आत्मायें चिल्लाती हैं, मर्सी और रहम मांगती हैं तो अपने मर्सीफुल स्वरूप को इमर्ज कर उनकी पुकार सुनो। दुख दर्द की दुनिया को परिवर्तन करने के लिए स्वयं को सम्पन्न बनाओ। परिवर्तन की शुभ भावना को तीव्र करो। - ओम् शान्ति।...
20-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “बाप समान पतितों को पावन बनाने का पुरूषार्थ करो”
जो अपने निज़ी लाइट स्वरूप की स्मृति में रहते हैं उनमें व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने की शक्ति होती है। वे व्यर्थ समय, व्यर्थ संग, व्यर्थ वातावरण को सहज परिवर्तन कर डबल लाइट रहते हैं। ऐसे तीव्र पुरूषार्थी बच्चे सहज ही फरिश्ते पन की स्थिति को प्राप्त कर...
19-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “अपनी एम-आब्जेक्ट सदा याद रखो”
ब्राह्मण जन्म ही विशेष जन्म है, तो जन्म भी श्रेष्ठ, धर्म भी श्रेष्ठ और कर्म भी श्रेष्ठ है। इसी श्रेष्ठता अर्थात् विशेषता की जीवन स्मृति में नेचरल रहे तो सहज पुरूषार्थी बन जायेंगे। विशेष जीवन वाली आत्मायें कभी साधारण कर्म नहीं कर सकती। - ओम् शान्ति।...
18-9-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 15-4-1992: “ब्राह्मणों की दो निशानियाँ – निश्चय और विजय”
कोई भी संकल्प वा संस्कार सेकण्ड में निगेटिव से पॉजिटिव में परिवर्तन हो जाए - इसके लिए सारे दिन में ट्रैफिक ब्रेक का अभ्यास चाहिए, क्योंकि व्यर्थ वा निगेटिव संकल्पों की गति बहुत फास्ट होती है। फास्ट गति के समय पावरफुल ब्रेक लगाकर परिवर्तन करने का अभ्यास करो। तब...
17-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम्हें इस जन्म में कौड़ी से हीरे जैसा बनना है”
प्रवृत्ति में रहते लक्ष्य रखो कि सेवा-स्थान पर सेवा के लिए हैं, जहाँ भी रहते वहाँ का वातावरण सेवा स्थान जैसा हो, प्रवृत्ति का अर्थ है पर-वृत्ति में रहने वाले अर्थात् मेरापन नहीं, बाप का है तो पर-वृत्ति है। कोई भी आये तो अनुभव करे कि ये न्यारे और...
16-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “यह पूज्य और पुजारी, ज्ञान और भक्ति का वन्डरफुल खेल है”
संगमयुग पर स्वयं बाप बच्चों को भिन्न-भिन्न टाइटल्स देते हैं, उन्हीं टाइटल्स को स्मृति में रखो तो श्रेष्ठ स्थिति में सहज ही स्थित हो जायेंगे। सिर्फ बुद्धि से वर्णन नहीं करो लेकिन सीट पर सेट हो जाओ, जैसा टाइटल वैसी स्थिति हो। यदि स्वदर्शन चक्रधारी का टाइटल स्मृति में...
15-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “इस दु:ख के घाट पर बैठ शान्तिधाम और सुखधाम को याद करो”
महान आत्मा वो है जिसमें स्वयं को बदलने की शक्ति है और जो किसी भी परिस्थिति में फुलस्टॉप लगाने में स्वयं को पहले आफर करते हैं - “मुझे करना है, मुझे बदलना है'', ऐसी आफर करने वालों को दुआयें मिलती हैं। फुलस्टॉप लगाकर अलबेलेपन को परिवर्तन कर अलर्ट बन...
14-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “यह रावण की शोकवाटिका है अभी तुम रावण को भगा रहे हो”
बिन्दु स्वरूप बाप और बिन्दु स्वरूप आत्मा - दोनों की स्मृति फुलस्टॉप अर्थात् बिन्दु लगाने में समर्थ बना देती है। समर्थ आत्मा के पास स्व के ऊपर कन्ट्रोल करने की कन्ट्रोलिंग पावर होती है। समर्थ आत्मा यही समझती कि यह मरना नहीं लेकिन स्वर्ग में स्वराज्य लेना है। -...
13-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम आपस में भाई-भाई हो, तुम्हें रूहानी स्नेह से रहना है”
ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन पवित्रता है। ये फाउण्डेशन मजबूत है तो सम्पूर्ण सुख-शान्ति की अनुभूति होती है। यदि अतीन्द्रिय सुख वा स्वीट साइलेन्स का अनुभव कम है तो जरूर पवित्रता का फाउण्डेशन कमजोर है। ये व्रत धारण करना कम बात नहीं है। - ओम् शान्ति।...