Tag: परमात्म ज्ञान

3-1-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “यह सृष्टि वा जमाना दु:ख का है इससे नष्टोमोहा बनो”

आज्ञाकारी अर्थात् बापदादा के आज्ञा रूपी कदम पर कदम रखने वाले। ऐसे आज्ञाकारी को ही सर्व संबंधों से परमात्म दुआयें मिलती हैं। यह भी नियम है। यह तो परमात्म दुआयें हैं जो आज्ञाकारी आत्माओं को सदा डबल लाइट बना देती हैं। - ओम् शान्ति।...

2-1-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें बेहद का बाप सारी पुरानी दुनिया का संन्यास सिखलाते हैं”

जैसे आजकल की दुनिया में बड़ी पोजीशन वाले अपने कार्य की दिनचर्या को समय प्रमाण सेट करते हैं ऐसे आप जो विश्व के नव निर्माण के आधारमूर्त हो, बेहद ड्रामा के अन्दर हीरो एक्टर हो, हीरे तुल्य जीवन वाले हो, आप भी अपने मन और बुद्धि को समर्थ स्थिति...

01-1-2023 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 26-3-1993: “अव्यक्त वर्ष में लक्ष्य और लक्षण को समान बनाओ”

आप बच्चे मरजीवा बने ही हो सदा सन्तुष्ट रहने के लिए। जहाँ सन्तुष्टता है वहाँ सर्वगुण और सर्वशक्तियां हैं क्योंकि रचयिता को अपना बना लिया, तो बाप मिला सब कुछ मिला। सर्व इच्छायें इक्ट्ठी करो उनसे भी पदमगुणा ज्यादा मिला है। उसके आगे इच्छायें ऐसे हैं जैसे सूर्य के...

31-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “सबको बाप का परिचय देना है”

महानता की निशानी निर्मानता है। जितना महान उतना निर्मान क्योंकि सदा भरपूर हैं। जैसे वृक्ष जितना भरपूर होगा उतना झुका हुआ होगा। तो निर्मानता ही सेवा करती है और जो निर्मान रहता है वह सर्व द्वारा मान पाता है। - ओम् शान्ति।...

30-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “दूरदेश से बाप आये हैं धर्म और राज्य दोनों की स्थापना करने”

सर्व शक्तियों से सम्पन्न निश्चयबुद्धि बच्चों की विजय निश्चित है ही। आपके पास तो सब शक्तियां हैं। सबसे बड़ा धन अविनाशी धन सदा साथ है, तो धन की भी शक्ति है, बुद्धि और पोजीशन की भी शक्ति है, इन्हें सिर्फ यूज़ करो, स्व के प्रति कार्य में लगाओ तो समय...

29-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “कोई कितना भी गुणवान हो – मीठा हो – धनवान हो तुम्हें उसकी तरफ आकर्षित नहीं होना है”

ब्राह्मण जीवन का आधार है याद और सेवा। इसलिए याद और सेवा दोनों में तीव्रगति चाहिए। याद और नि:स्वार्थ सेवा है तो मायाजीत बनना बहुत सहज है फिर हर कर्म में विजय दिखाई देगी। - ओम् शान्ति। ...

28-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बेहद के बाप से तुम बहुत ऊंची पढ़ाई पढ़ रहे हो”

ये पांच विकार लोगों के लिए जहरीले सांप हैं लेकिन आप योगी तपस्वी आत्माओं के लिए ये सांप गले की माला बन जाते हैं इसलिए आप ब्राह्मणों के और ब्रह्मा बाप के अशरीरी, तपस्वी शंकर स्वरूप के यादगार में सांपों की माला गले में दिखाते हैं। तो जब विकारों...

27-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम जानते हो हर 5 हजार वर्ष बाद भोलानाथ बाप द्वारा हम यह ज्ञान सुनकर मनुष्य से देवता बनते हैं”

कभी भी योगी पुरूष वा पुरूषोत्तम आत्मायें प्रकृति के प्रभाव में नहीं आ सकती। आप ब्राह्मण आत्मायें पुरूषोत्तम और योगी आत्मायें हो, प्रकृति आप मालिकों की दासी है साधन, साधना का आधार न हों लेकिन साधना, साधनों को आधार बनाये तब कहेंगे प्रकृतिजीत, विजयी आत्मा।- ओम् शान्ति।...

26-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पढ़ाई छोड़ना माना बाप को छोड़ देना”

जैसे योग करने और कराने में योग्य हो ऐसे योग का प्रयोग करने में भी योग्य बनो। सबसे पहले अपने संस्कारों पर योग की शक्ति का प्रयोग करो क्योंकि आपके श्रेष्ठ संस्कार ही श्रेष्ठ संसार के रचना की नींव हैं।जो स्व के संस्कारों को परिवर्तन कर लेते हैं वही...

25-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “हाइएस्टऔर होलीएस्ट आत्मा की निशानियां”

ज्ञान सुनने और सुनाने के साथ-साथ ज्ञान को स्वरूप में लाओ। ज्ञान स्वरूप वह है जिसका हर संकल्प, बोल और कर्म समर्थ हो। सबसे मुख्य बात - संकल्प रूपी बीज को समर्थ बनाना है। यदि संकल्प रूपी बीज समर्थ है तो वाणी, कर्म, सम्बन्ध सहज ही समर्थ हो जाता...