12-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जैसे कोई भी कार्य शुरू करते हो तो पहले संगठित रूप में चारों ओर विशेष टाइम पर एक साथ योग का दान दो। सर्व आत्माओं का एक ही शुद्ध संकल्प हो - विजयी। यह है शुद्धि की विधि, इससे सभी विजयी वा निर्विघ्न बन जायेंगे और किला मजबूत हो...
11-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
यथार्थ चार्ट का अर्थ है हर सबजेक्ट में प्रगति और परिवर्तन का अनुभव करना। ब्राह्मण जीवन में प्रकृति, व्यक्ति अथवा माया द्वारा परिस्थितियां तो आनी ही हैं लेकिन स्व-स्थिति की शक्ति परिस्थिति के प्रभाव को समाप्त कर दे, परिस्थितियां मनोरंजन की सीन अनुभव हो। संकल्प में भी हलचल न...
10-7-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:04-12-1991.
ब्राह्मण अर्थात् हर समय उत्साह भरे जीवन में उड़ने और उड़ाने वाले, उनके पास कभी निराशा आ नहीं सकती क्योंकि उनका आक्यूपेशन है “निराशावादी को आशावादी बनाना,'' यही सच्ची सेवा है। सच्चे सेवाधारियों का उत्साह कभी कम नहीं हो सकता।...
9-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे स्व का दर्शन कर लेते हैं उन्हें सृष्टि चक्र का दर्शन स्वत: हो जाता है। ड्रामा के राज़ को जानने वाले सदा खुशी में रहते हैं, जो स्व को देखते, स्वदर्शन चक्रधारी बनते वह सहज ही आगे बढ़ते रहते हैं।- ओम् शान्ति।...
8-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
सर्व शक्तियां बाप का खजाना हैं और उस खजाने पर बच्चों का अधिकार है। अधिकार वाले को जैसे भी चलाओ वैसे वह चलेगा। ऐसे ही सर्वशक्तियां जब अधिकार में होंगी तब नम्बरवन विजयी बन सकेंगे।शक्तियों रूपी रचना को कार्य में लगाने का अभ्यास हो तब कहेंगे मास्टर सर्वशक्तिमान्।- ओम्...
7-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
विश्वास की नांव सत्यता है। दिल और दिमाग की ऑनेस्टी है तो उसके ऊपर बाप का, परिवार का स्वत: ही दिल से प्यार और विश्वास होता है। विश्वास के कारण फुल अधिकार उसको दे देते हैं। वे स्वत: ही सबके स्नेही बन जाते हैं इसलिए सत्यता की हिम्मत से...
6-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
बापदादा ने बच्चों को सर्व खजाने प्रयोग के लिए दिये हैं। जो जितना प्रयोगी बनते हैं, प्रयोगी की निशानी है प्रगति। अगर प्रगति नहीं होती है तो प्रयोगी नहीं। योग का अर्थ ही है प्रयोग में लाना। ब्लकि उसे कार्य में लगाकर एक से दस गुना बढ़ाना, कम खर्च...
परमात्मा कहते हैं “मैं एक हूँ और एक ही बार आता हूँ।”
परमात्मा कहते हैं "मनुष्य गीत गाते हैं ओ गीता के भगवान अपना वचन निभाने आ जाओ। अब वो स्वयं गीता का भगवान अपना कल्प पहले वाला वचन पालन करने के लिये आये हैं " - ओम् शान्ति।...