Tag: ज्ञान

29-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम्हें अपनी दैवी मीठी चलन से बाप का शो करना है”

सारे दिन में जो भी आत्मा सम्बन्ध-सम्पर्क में आये उसे महादानी बन कोई न कोई शक्ति का, ज्ञान का, गुणों का दान दो। - ओम् शान्ति।...

28-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “होली मनाना अर्थात् दृढ़ संकल्प की अग्नि में कमजोरियों को जलाना”

महान आत्मा बनने का आधार है -“पवित्रता के व्रत को प्रतिज्ञा के रूप में धारण करना''I व्रत का अर्थ है मन में संकल्प लेना और स्थूल रीति से परहेज करना। आप सबने पवित्रता का व्रत लिया और वृत्ति श्रेष्ठ बनाई। सर्व आत्माओं के प्रति आत्मा भाई-भाई की वृत्ति बनने...

27-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम इस बेहद लीला रूपी नाटक को जानते हो”

जिनके पास सन्तुष्टता का खजाना है उनके पास सब कुछ है, जो थोड़े में सन्तुष्ट रहते हैं उन्हें सर्व प्राप्तियों की अनुभूति होती है। और जिसके पास सन्तुष्टता नहीं तो सब कुछ होते भी कुछ नहीं है, इसलिए हद के इच्छा मात्रम् अविद्या .... तब कहेंगे सन्तुष्टमणि। - ओम्...

26-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “निरन्तर एक बाप की याद में रहने का पुरूषार्थ करो”

ब्राह्मण जीवन में आदि से अब तक जो भी प्राप्तियां हुई हैं-उनकी लिस्ट स्मृति में लाओ तो खुशी में उड़ते मंजिल पर सहज ही पहुंच जायेंगे। प्राप्ति की खुशी कभी नीचे हलचल में नहीं लायेगी क्योंकि सम्पन्नता अचल बनाती है।- ओम् शान्ति।...

25-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम नर्कवासी को स्वर्गवासी बनाने की सेवा करते हो”

अमृतवेले से रात तक आप ब्राह्मण बच्चों को जो श्रेष्ठ भाग्य मिला है, उस भाग्य की लिस्ट सदा सामने रखो और यही गीत गाते रहो - वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य, जो भाग्य-विधाता ही अपना हो गया। इसी नशे में सदा खुशी की डांस करते रहो। कुछ भी हो जाए,...

23-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “अब यह पुराना घर छोड़ बाप के साथ चलना है”

आप आत्मायें अनेक आत्माओं को उड़ाने के निमित्त हो इसलिए उमंग-उत्साह के पंख मजबूत हों। सदा इसी स्मृति में रहो कि हम ब्राह्मण (बी.के.) कभी भी थकेंगे नहीं, जिसमें उमंग-उत्साह होता है वह अथक होते हैं। वह अपने चेहरे और चलन से सदा औरों का भी उमंग-उत्साह बढ़ाते हैं।-...

22-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “बाप को याद करो तो वर्सा मिल जायेगा”

संगमयुग रूहानी मौजों में रहने का युग है इसलिए सदा मौज में रहो, कभी भी मूंझना नहीं। कोई भी परिस्थिति या परीक्षा में थोड़े समय के लिए भी मूंझ हुई और उसी घड़ी अन्तिम घड़ी आ जाए तो अन्त मति सो गति क्या होगी! इसलिए सदा एवररेडी रहो। -...

21-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “महाशिवरात्रि-प्रतिज्ञा करना व्रत लेना और बलि चढ़ना”

जैसे किसी की कोई भी नेचर होती है तो वह स्वत: ही अपना काम करती है। सोचना वा करना नहीं पड़ता। ऐसे विशेषता के संस्कार भी नेचर बन जाएं और हर एक के मुख से, मन से यही निकले कि इस विशेष आत्मा की नेचर ही विशेषता की है।...