“भारत का प्राचीन योग परमात्मा द्वारा सिखाया हुआ है”
“भारत का प्राचीन योग परमात्मा द्वारा सिखाया हुआ है" - वो प्राचीन योग भी परमात्मा आकर कल्प-कल्प हमें सिखलाता है।- ओम् शान्ति।...
27-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम इस बेहद लीला रूपी नाटक को जानते हो”
जिनके पास सन्तुष्टता का खजाना है उनके पास सब कुछ है, जो थोड़े में सन्तुष्ट रहते हैं उन्हें सर्व प्राप्तियों की अनुभूति होती है। और जिसके पास सन्तुष्टता नहीं तो सब कुछ होते भी कुछ नहीं है, इसलिए हद के इच्छा मात्रम् अविद्या .... तब कहेंगे सन्तुष्टमणि। - ओम्...
26-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “निरन्तर एक बाप की याद में रहने का पुरूषार्थ करो”
ब्राह्मण जीवन में आदि से अब तक जो भी प्राप्तियां हुई हैं-उनकी लिस्ट स्मृति में लाओ तो खुशी में उड़ते मंजिल पर सहज ही पहुंच जायेंगे। प्राप्ति की खुशी कभी नीचे हलचल में नहीं लायेगी क्योंकि सम्पन्नता अचल बनाती है।- ओम् शान्ति।...
“सम्पन्नता वा सम्पूर्णता के समीपता की निशानियां”
दिव्य बुद्धि के आधार पर हर कर्म होता रहे, यह भी सम्पूर्णता की निशानी है।- ओम् शान्ति।...
25-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम नर्कवासी को स्वर्गवासी बनाने की सेवा करते हो”
अमृतवेले से रात तक आप ब्राह्मण बच्चों को जो श्रेष्ठ भाग्य मिला है, उस भाग्य की लिस्ट सदा सामने रखो और यही गीत गाते रहो - वाह मेरा श्रेष्ठ भाग्य, जो भाग्य-विधाता ही अपना हो गया। इसी नशे में सदा खुशी की डांस करते रहो। कुछ भी हो जाए,...
23-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “अब यह पुराना घर छोड़ बाप के साथ चलना है”
आप आत्मायें अनेक आत्माओं को उड़ाने के निमित्त हो इसलिए उमंग-उत्साह के पंख मजबूत हों। सदा इसी स्मृति में रहो कि हम ब्राह्मण (बी.के.) कभी भी थकेंगे नहीं, जिसमें उमंग-उत्साह होता है वह अथक होते हैं। वह अपने चेहरे और चलन से सदा औरों का भी उमंग-उत्साह बढ़ाते हैं।-...
22-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “बाप को याद करो तो वर्सा मिल जायेगा”
संगमयुग रूहानी मौजों में रहने का युग है इसलिए सदा मौज में रहो, कभी भी मूंझना नहीं। कोई भी परिस्थिति या परीक्षा में थोड़े समय के लिए भी मूंझ हुई और उसी घड़ी अन्तिम घड़ी आ जाए तो अन्त मति सो गति क्या होगी! इसलिए सदा एवररेडी रहो। -...
21-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “महाशिवरात्रि-प्रतिज्ञा करना व्रत लेना और बलि चढ़ना”
जैसे किसी की कोई भी नेचर होती है तो वह स्वत: ही अपना काम करती है। सोचना वा करना नहीं पड़ता। ऐसे विशेषता के संस्कार भी नेचर बन जाएं और हर एक के मुख से, मन से यही निकले कि इस विशेष आत्मा की नेचर ही विशेषता की है।...
19-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम ज्ञान को बुद्धि में रख सदा हर्षित रहो।”
जो बच्चे सदा एक बाप के स्नेह में समाये हुए हैं -बाप उनसे जुदा नहीं और वे बाप से जुदा नहीं। स्नेह में समाई हुई आत्मायें सदा सर्व प्राप्ति सम्पन्न होने के कारण सहज ही “एक बाप दूसरा न कोई'' इस अनुभूति में रहती हैं। समाई हुई आत्माओं के...
18-8-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम हो रूहानी सर्जन और प्रोफेसर।”
जैसे बाप को इतना बड़ा परिवार है फिर भी बेफिक्र बादशाह है, सब कुछ जानते हुए, देखते हुए बेफिक्र। ऐसे फालो फादर करो। वायुमण्डल पर अपना प्रभाव डालो, वायुमण्डल का प्रभाव आपके ऊपर नहीं पड़े क्योंकि वायुमण्डल रचना है और आप मास्टर रचयिता हो। - ओम् शान्ति।...