“This Godly knowledge is not received in the golden age.”
“This Godly knowledge is not received in the golden age.” - It is ignorant ones who need knowledge, whereas they are all embodiments of knowledge there that they would need knowledge. – Om Shanti....
“यह ईश्वरीय ज्ञान सतयुग में नहीं मिलता“
“यह ईश्वरीय ज्ञान सतयुग में नहीं मिलता“ - अब ज्ञान की जरूरत है अज्ञानियों को। परन्तु वहाँ तो सब ज्ञान स्वरूप हैं, वहाँ कोई अज्ञानी रहता ही नहीं है, जो ज्ञान देने की जरूरत रहे। - ओम् शान्ति।...
“योग करने के लिये पहले ज्ञान क्यों ?”
“योग करने के लिये पहले ज्ञान क्यों" : हमेशा ऐसे कहा जाता है पहले समझ चाहिए, नहीं तो उल्टा कर्म चलेगा इसलिए पहले ज्ञान जरूरी है। - ओम् शान्ति।...
“Why do we need knowledge before we can have yoga?”
“Why do we need knowledge before we can have yoga?” : It is always said that we first need understanding, otherwise wrong actions will be performed and this is why knowledge is essential first. – Om Shanti....
परमात्मा के महावाक्य – “मैं इस आसुरी दुनिया का विनाश कर दैवी सृष्टि की स्थापना करता हूँ”
"नई दुनिया के लिये सप्ताह कोर्स करो क्योंकि नई दुनिया की स्थापना होगी अर्थात् जीते रहेंगे तो अपने लिये यह दुनिया है ही नहीं।"- ओम् शान्ति।...
God’s elevated versions: “I inspire the destruction of this devilish world and am establishing the deity world.”
Do the seven day course for the new world, because the new world will be established and all of you will continue to live there, so this world is not for us.– Om Shanti....
“The ancient yoga of Bharat is taught by God.”
“The ancient yoga of Bharat is taught by God.” - God Himself comes and teaches us this ancient yoga every cycle.– Om Shanti ...
“भारत का प्राचीन योग परमात्मा द्वारा सिखाया हुआ है”
“भारत का प्राचीन योग परमात्मा द्वारा सिखाया हुआ है" - वो प्राचीन योग भी परमात्मा आकर कल्प-कल्प हमें सिखलाता है।- ओम् शान्ति।...
“Signs of coming close to completion and perfection.”
To continue to perform every action on the basis of a divine intellect is also a sign of perfection – Om Shanti....
“सम्पन्नता वा सम्पूर्णता के समीपता की निशानियां”
दिव्य बुद्धि के आधार पर हर कर्म होता रहे, यह भी सम्पूर्णता की निशानी है।- ओम् शान्ति।...