“मेहनत धारण करने में बाकी ज्ञान तो सेकण्ड की बात है।”
मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-

वास्तव में ज्ञान प्राप्त करना तो एक ही सेकेण्ड का काम है परन्तु अगर मनुष्य एक सेकेण्ड में समझ जाएं तो उनके लिये एक ही सेकेण्ड लगता है सिर्फ अपने स्वधर्म को जान जावें कि मैं असुल में शान्त स्वरूप आत्मा हूँ और परमात्मा की संतान हूँ। अब यह समझना तो एक सेकण्ड की बात है परन्तु इसमें निश्चय करने में कोई हठयोग, कोई जप तप कोई भी प्रकार का साधन करना, कोई जरुरत नहीं है बस, सिर्फ ओरीज्नल अपने रूप को पकड़ो।
बाकी हम जो इतना पुरुषार्थ कर रहे हैं वो किसके लिये? अब इस पर समझाया जाता है, हम जो इतना पुरुषार्थ कर रहे हैं वो सिर्फ इतनी बात पर ही कर रहे हैं। जैसे अपनी प्रैक्टिकल जीवन को बनाना है, तो अपने इस बॉडीकान्सेस से पूरा निकलना है।

असुल में सोल कॉन्सेस रूप में स्थित होने वा इन दैवीगुणों को धारण करने में मेहनत अवश्य लगती है। इसमें हम हर समय, हर कदम पर सावधान रहते हैं, अब जितना हम माया से सावधान रहेंगे तो भल कितनी भी घटनायें सामने आयेंगी मगर हमारा सामना नहीं कर सकेगी।
माया सामना तब करती है जब हम अपने आपको विस्मृत करते हैं, अब यह जो इतनी मार्जिन है सिर्फ प्रैक्टिकल लाइफ बनाने की। बाकी ज्ञान तो सेकण्ड की बात है।
अच्छा – ओम् शान्ति।
SOURSE: 29-6-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.