15-4-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – एक दो को खुशी की खुराक खिलाते रहो”

शिव भगवानुवाच : “एक दो को खुशी की खुराक खिलाते रहो, सदा खुशमौज़ में रहना और खुशी बांटना, यही है जब-रदस्त खातिरी करना” 

प्रश्नः अपनी ऊंची अवस्था बनाने की विधि क्या है? किन मुख्य बातों का ध्यान रखना है?

उत्तर:- ऊंची अवस्था बनानी है तो ..

  1. नष्टोमोहा बनने की हिम्मत रखनी है।
  2. अपना चार्ट रखना है कि बाबा को याद करते समय उनसे क्याक्या बातें की? कितना समय याद किया?
  3. नींद को जीतने वाला बनना है।
  4. पुराने शरीर की सम्भाल भी करनी है फिर इसे भूलना भी है।
  5. दैवी स्वभाव बनाना है। स्वभाव के वशीभूत होकर किसी को भी सताना नहीं है।
  6. सब डिफेक्ट निकाल प्युअर डायमण्ड बनना है।
  7. सबको सुख देने वाला खुशबूदार फूल बनना है।
गीत:- भोलेनाथ से निराला…………….!”,

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Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव

-: ज्ञान के सागर और पतितपावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “मुरली( यह अपने सब बच्चों के लिए “स्वयं भगवान द्वारा अपने हाथो से लिखे पत्र हैं।”)

ओम् शान्ति

शिव भगवानुवाच: ज्ञान का तीसरा नेत्र देने वाला रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को समझाते हैं। ज्ञान का तीसरा नेत्र सिवाए बाप के और कोई दे नहीं सकता। अभी तुम बच्चों को ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है। अभी तुम बच्चे जानते हो अभी यह पुरानी दुनिया बदलने वाली है। बिचारे मनुष्य नहीं जानते कि कौन बदलाने वाला है और कैसे बदलाते हैं क्योंकि उन्हों को ज्ञान का तीसरा नेत्र ही नहीं है। तुम बच्चों को अभी ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है जिससे तुम सृष्टि के आदि मध्य अन्त को जान गये हो। यह है ज्ञान की सैक्रीन। सैक्रीन की एक बूंद भी कितनी मीठी होती है। ज्ञान का भी एक ही अक्षर है मन्मनाभव। सभी से कितना मीठा है। अपने को आत्मा समझ और बाप को याद करो।

बाप शान्तिधाम और सुखधाम का रास्ता बता रहे हैं। बाप आये हैं बच्चों को स्वर्ग का वर्सा देने। तो बच्चों को कितनी खुशी रहनी चाहिए। कहते भी हैं खुशी जैसी खुराक नहीं। जो सदैव खुशी मौज में रहते हैं उनके लिए वह जैसे खुराक होती है। 21 जन्म मौज में रहने की यह जबरदस्त खुराक है। यह खुराक सदैव एक दो को खिलाते रहो। एक दो की जबरदस्त खातिरी यह करनी है। ऐसी खातिरी और कोई मनुष्य, मनुष्य की कर न सके।

तुम श्रीमत पर सभी की रूहानी खातिरी करते हो। सच्चीसच्ची खुशखैराफत भी यह है किसको बाप का परिचय देना। मीठे बच्चे जानते हैं बेहद के बाप द्वारा हमको जीवनमुक्ति की खुराक मिलती है। सतयुग में भारत जीवनमुक्त था, पावन था। बाप बहुत बड़ी ऊंच खुराक देते हैं, तब तो गायन है अतीन्द्रिय सुख पूछना हो तो गोपगोपियों से पूछो। यह ज्ञान और योग की कितनी फर्स्ट क्लास वन्डरफुल खुराक है। और यह खुराक एक ही रूहानी सर्जन के पास है। और किसको इस खुराक का मालूम ही नहीं है। बाप कहते हैं मीठे बच्चों तुम्हारे लिए तिरी (हथेली) पर सौगात ले आया हूँ। मुक्ति, जीवनमुक्ति की यह सौगात मेरे पास ही रहती है, कल्पकल्प मैं ही आकर तुमको देता हूँ फिर रावण छीन लेता है। तो अभी तुम बच्चों को कितना खुशी का पारा चढ़ा रहना चाहिए।

तुम जानते हो हमारा एक ही बाप, टीचर और सच्चासच्चा सदगुरू है जो हमको साथ ले जाते हैं। मोस्ट बील्वेड बाप से विश्व की बादशाही मिलती है। यह कम बात है क्या! सदैव हर्षित रहना चाहिए। गाडली स्टूडेन्ट लाईफ इज़ दी बेस्ट। यह अभी का ही गायन है ना। फिर नई दुनिया में भी तुम सदैव खुशियां मनाते रहेंगे। दुनिया नहीं जानती कि सच्चीसच्ची खुशियाँ कब मनाई जायेंगी। मनुष्यों को तो सतयुग का ज्ञान ही नहीं है तो यहाँ ही मनाते रहते हैं। परन्तु इस पुरानी तमोप्रधान दुनिया में खुशी कहाँ से आई। यहाँ तो त्राहित्राहि करते रहते हैं। कितना दु:ख की दुनिया है।

राजयोग क्या है?
What is Rajyoga?: Human Soul Gains 07 powers from GOD via gains from 04 pillers of Divine Virtues, Gods Company, Purity in actions and Pure food in practical life, ” “राजयोग क्या है?”

बाप तुम बच्चों को कितना सहज रास्ता बताते हैं। गृहस्थ व्यवहार में रहते कमल फूल समान रहो। धन्धाधोरी आदि करते भी मुझे याद करते रहो। जैसे आशुक और माशुक होते हैं। वह तो एक दो को याद करते रहते हैं। वह उनका आशिक, वह उनका माशुक होता है। यहाँ यह बात नहीं है यहाँ तो तुम सभी एक माशुक के जन्मजन्मान्तर से आशिक हो रहते हो। बाप कब तुम्हारा आशिक नहीं बनता। तुम उस माशुक को आने लिए याद करते आये हो। जब दु: जास्ती होता है तो जास्ती सुमिरण करते हैं। तब तो गायन भी है दु: में सुमिरण सब करैं, सुख में करे कोय। इस समय बाप भी सर्वशक्तिवान है। दिन-प्रतिदिन माया भी सर्वशक्तिवान तमोप्रधान होती जाती है

इसलिए अब बाप कहते हैं मीठे बच्चे देहीअभिमानी बनो। अपने को आत्मा समझ मुझ बाप को याद करो और साथसाथ दैवीगुण भी धारण करो तुम ऐसे (लक्ष्मीनारायण) बन जायेंगे। इस पढ़ाई में मुख्य बात है ही याद की। ऊंच ते ऊंच बाप को बहुत प्यार, स्नेह से याद करना चाहिए। वह ऊंच ते ऊंच बाप ही नई दुनिया स्थापन करने वाला है। बाप कहते हैं मैं आया हूँ तुम बच्चों को विश्व का मालिक बनाने इसलिए अब मुझे याद करो तो तुम्हारे अनेक जन्मों के पाप कट जायें। पतित पावन बाप कहते हैं तुम बहुत पतित बन गये हो इसलिए अब तुम मुझे याद करो तो तुम पावन बन और पावन दुनिया का मालिक बन जायेंगे।

पतितपावन बाप को ही बुलाते हैं ना। अब बाप आये हैं तो जरूर पावन बनना पड़े। बाप दु:खहर्ता, सुखकर्ता है। बरोबर सतयुग में पावन दुनिया थी तो सभी सुखी ही थे। अब बाप फिर से कहते हैं बच्चे शान्तिधाम और सुखधाम को याद करते रहो। अभी है संगमयुग। खिवैया तुमको इस पार से उस पार ले जाते हैं। नईया कोई एक नहीं, सारी दुनिया जैसे एक बड़ा जहाज है, उनको पार ले जाते हैं।

बाप मीठेमीठे बच्चों को समझाते हैं अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। तुम भी बाप की सर्विस में लग जाओ। आन गॉड फादरली सर्विस। बाप ही तुमको विश्व का मालिक बनाने आये हैं। जो अच्छा पुरुषार्थ करते हैं उनको महावीर कहा जाता है। देखा जाता है कौन महावीर हैं जो बाबा के डायरेक्शन पर चलते हैं। बाप का फरमान है अपने को आत्मा समझ भाईभाई देखो। इस शरीर को भूल जाओ। बाबा भी इस शरीर को नहीं देखते हैं। बाप कहते हैं मैं आत्माओं को देखता हूँ। बाकी यह तो ज्ञान है कि आत्मा शरीर बिगर बोल नहीं सकती। मैं भी इस शरीर में आया हूँ। लोन लिया हुआ है। शरीर के साथ ही आत्मा पढ़ सकती है।

(Below)BK Brahma Baba (Father) and (Above)Shiv Baba (Grand father), (निचे) ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और (ऊपर) शिव बाबा (दादा)
(Below)BK Brahma Baba (Father) and (Above)Shiv Baba (Grand father), (निचे) ब.क. ब्रह्मा बाबा (बाप) और (ऊपर) शिव बाबा (दादा)

बाबा की बैठक यहाँ है। यह है अकाल तख्त। आत्मा अकालमूर्त है। आत्मा कब छोटी बड़ी नहीं होती है, शरीर छोटा बड़ा होता है। जो भी आत्मायें हैं उन सभी का तख्त यह भ्रकुटी का बीच है। शरीर तो सभी के भिन्नभिन्न होते हैं। किसको अकाल तख्त पुरुष का है, किसका अकाल तख्त स्त्री का है। किसका अकाल तख्त बच्चे का है। बाप बैठ बच्चों को रूहानी ड्रिल सिखलाते हैं। जब कोई से बात करो तो पहले अपने को आत्मा समझो। हम आत्मा फलाने भाई से बात करते हैं। बाप का पैगाम देते हैं कि शिवबाबा को याद करो। याद से ही जंक उतरनी है।

 सोने में जब अलाय पड़ती है तो सोने की वैल्यु कम हो जाती है। तुम आत्माओं में भी जंक पड़ने से तुम वैल्युलेस हो गये हो। अब फिर पावन बनना है। तुम आत्माओं को अब ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है। उस नेत्र से अपने भाईयों को देखो। भाईभाई को देखने से कर्मेन्द्रियाँ कब चंचल नहीं होंगी। राजभाग लेना है, विश्व का मालिक बनना है तो यह मेहनत करो। भाईभाई समझ सभी को ज्ञान दो। तो फिर यह टेव (आदत) पक्की हो जायेगी। सच्चे-सच्चे ब्रदर्स तुम सभी हो।

बाप भी ऊपर से आये हैं, तुम भी आये हो। बाप बच्चों सहित सर्विस कर रहे हैं। सर्विस करने की बाप हिम्मत देते हैं। हिम्मते मर्दातो यह प्रैक्टिस करनी है। मैं आत्मा भाई को पढ़ाता हूँ। आत्मा पढ़ती है ना। इसको स्प्रीचुअल नॉलेज कहा जाता है। जो रूहानी बाप से ही मिलती है। संगम पर ही बाप आकर यह नॉलेज देते हैं कि अपने को आत्मा समझो। तुम नंगे आये थे फिर यहाँ शरीर धारण कर तुमने 84 जन्म पार्ट बजाया है। अब फिर वापिस चलना है इसलिए अपने को आत्मा समझ भाईभाई की दृष्टि से देखना है। यह मेहनत करनी है। अपनी मेहनत करनी है, दूसरे में हमारा क्या जाता। चैरिटी बिगेन्स एट होम अर्थात् पहले खुद को आत्मा समझ फिर भाईयों को समझाओ। तो अच्छी रीति तीर लगेगा। यह जौहर भरना है। मेहनत करेंगे तब ही ऊंच पद पायेंगे। कुछ सहन भी करना पड़ता है।

कोई उल्टीसुल्टी बात बोले तो तुम चुप रहो। तुम चुप रहेंगे तो फिर दूसरा क्या करेगा। ताली दो हाथ से बजती है। एक ने मुख की ताली बजाई, दूसरा चुप कर दे तो वह आपेही चुप हो जायेंगे। ताली से ताली बजने से आवाज हो जाता है। बच्चों को एक दो का कल्याण करना है। बाप समझाते हैं बच्चे सदैव खुशी में रहने चाहते हो तो मन्मनाभव। अपने को आत्मा समझ बाप को याद करो। भाईयों (आत्माओं) तरफ देखो। भाईयों को भी यह नॉलेज दो। यह टेव (आदत) पड़ जाने से फिर कब क्रिमिनल आई धोखा नहीं देंगी। ज्ञान के तीसरे नेत्र से तीसरे नेत्र को देखो। बाबा भी तुम्हारी आत्मा को ही देखते हैं। कोशिश यह करनी है सदैव आत्मा को ही देखें। शरीर को देखें ही नहीं। योग कराते हो तो भी अपने को आत्मा समझ भाईयों को देखते रहेंगे तो सर्विस अच्छी होगी। बाबा ने कहा है भाईयों को समझाओ।

पिताश्री ब्रहमा परमात्मा ज्ञान देरहे ,Father Brahma teaching Godly Verses
पिताश्री ब्रहमा परमात्मा ज्ञान देरहे ,Father Brahma teaching Godly Verses

 भाई सभी बाप से वर्सा लेते हैं। यह रूहानी नॉलेज एक ही बार तुम ब्राह्मण बच्चों को मिलती है। तुम ब्राह्मण हो फिर देवता बनने वाले हो। इस संगमयुग को थोड़ेही छोड़ेंगे, नहीं तो पार कैसे जायेंगे। कूदेंगे थोड़ेही। यह वन्डरफुल संगमयुग है। तो बच्चों को रूहानी यात्रा पर रहने की टेव (आदत) डालनी है। तुम्हारे ही फायदे की बात है। बाप की शिक्षा भाईयों को देनी है। बाप कहते हैं मैं तुम आत्माओं को ज्ञान दे रहा हूँ। आत्मा को ही देखता हूँ। मनुष्यमनुष्य से बात करेगा तो उनके मुँह को देखेगा ना। तुम आत्मा से बात करते हो तो आत्मा को ही देखना है। भल शरीर द्वारा ज्ञान देते हो परन्तु इसमें शरीर का भान तोड़ना होता है।

 तुम्हारी आत्मा समझती है परमात्मा बाप हमको ज्ञान दे रहे हैं। बाप भी कहते हैं आत्माओं को देखता हूँ, आत्मायें भी कहती हम परमात्मा बाप को देख रहे हैं। उनसे नॉलेज ले रहे हैं, इसको कहा जाता है स्प्रीचुअल ज्ञान की लेनदेन, आत्मा की आत्मा के साथ। आत्मा में ही ज्ञान है। आत्मा को ही ज्ञान देना है। यह जैसे जौहर है। तुम्हारे ज्ञान में यह जौहर भर जायेगा, तो किसको भी समझाने से झट तीर लग जायेगा। बाप कहते हैं प्रैक्टिस करके देखो तीर लगता है ना। यह नई टेव डालनी है तो फिर शरीर का भान निकल जायेगा। माया के तूफान कम आयेंगे, बुरे संकल्प नहीं आयेंगे। क्रिमिनल आई भी नहीं रहेगी।

हम आत्मा ने 84 का चक्र लगाया। अब नाटक पूरा होता है। अब बाबा की याद में रहना है। याद से ही तमोप्रधान से सतोप्रधान बन, सतोप्रधान दुनिया के मालिक बन जायेंगे। कितना सहज है। बाप जानते हैं बच्चों को यह शिक्षा देना भी मेरा पार्ट ही है। कोई नई बात नहीं। हर 5000 वर्ष बाद हमको आना होता है। मैं बंधायमान हूँ। बच्चों को बैठ समझाता हूँ मीठे बच्चे रूहानी याद की यात्रा में रहो तो अन्त मते सो गति हो जायेगी। यह अन्तकाल है ना। मामेकम् याद करो तो तुम्हारी सद्गति हो जायेगी। याद की यात्रा से पाया मजबूत हो जायेगा। यह देहीअभिमानी बनने की शिक्षा एक ही बार तुम बच्चों को मिलती है। कितना वन्डरफुल ज्ञान है। बाबा वन्डरफुल है तो बाबा का ज्ञान भी वन्डरफुल है, जो और कोई बता न सके।

यह है तुम ब्राह्मणों का सर्वोत्तम ऊंच ते ऊंच कुल। इस समय तुम्हारा जीवन अमूल्य है इसलिए इस शरीर की भी सम्भाल करनी है। तमोप्रधान होने कारण शरीर की आयु भी कम होती गई है। अब तुम जितना योग में रहेंगे, उतना आयु बढ़ेगी। तुम्हारी आयु बढ़तेबढ़ते 150 वर्ष हो जायेगी सतयुग में, इसलिए शरीर की भी सम्भाल करनी है। ऐसे नहीं यह तो मिट्टी का पुतला है, कहाँ यह खलास हो जाये, नहीं। इनको जीते रखना है। यह अमूल्य जीवन है ना। कोई बीमार होते हैं तो उनसे तंग नहीं होना चाहिए। उनको भी बोलो शिवबाबा को याद करो। जितना याद करेंगे उतना उनके पाप कटते जायेंगे। उनकी सर्विस करनी चाहिए। जीता रहे, शिवबाबा को याद करता रहे।

84 जन्मों कि सीढ़ी , Ladder of 84 Human Births
84 जन्मों कि सीढ़ी , Ladder of 84 Human Births

बच्चों में नष्टोमोहा बनने की भी हिम्मत चाहिए। फट से नष्टोमोहा हो जाना चाहिए। बेहद का बाप मिला है तो उनसे पूरा वर्सा लेना है। बाबा ने बच्चों को समझाया है चार्ट रखो। बाबा को याद करने समय बाबा से क्या बातें की? कितना बाबा की महिमा की, भोजन पर कितना समय याद किया, फिर भूल गया। अपनी अवस्था को ऊंच बनाना बहुत जरूरी है, नींद को जीतने वाला बनना है। याद को बढ़ाते जाओ। औरों को सिखलाते जाओ, इसमें नष्टोमोहा जरूर बनना पड़े। पुराने शरीर को भूलना पड़े, बाप के बने हो तो उनको ही याद करना पड़े। जो बाप हमको हीरे जैसा बनाते हैं उनको कितना लव से याद करना चाहिए।

अपनी जाँच करनी है मेरा दैवी स्वभाव है? मनुष्य को स्वभाव बहुत सताता है। हरेक को अपना तीसरा नेत्र मिला है, तो उससे जाँच करनी है। मेरी याद बाबा तक पहुँचती है? जो डिफेक्ट है उनको निकाल प्युअर डायमण्ड बनना है। थोड़ा भी डिफेक्ट होगा तो वैल्यु कम हो जायेगी, इसलिए मेहनत कर अपने को वैल्युबुल हीरा बनाना है। बाबा जानते हैं कर्मातीत अवस्था तो पिछाड़ी में नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार आनी है। फिर भी पुरुषार्थ कराने लिए तो बाबा कहेंगे ना। नम्बरवार पुरुषार्थ अनुसार ही बाबा को भी प्यारे लगेंगे जो औरों को सुख देने वाला खुशबूदार फूल है, वह छिपा नहीं रह सकता।

बाप फिर भी बच्चों को कहते हैं मीठे बच्चे मामेकम् याद करो तो मैल निकल जाये। बाप को याद करते दिल एकदम ठर जानी चाहिए। (शीतल हो जानी चाहिए) बाप की याद सतानी चाहिए। बाबा, मीठे बाबा, आप हमको क्या से क्या बना रहे हो! और तो कोई जानते ही नहीं तुम क्या बन रहे हो। तो ऐसे मीठे बाबा को बहुत लव से याद करना है। कई बाँधेलियाँ बहुत याद करती हैं। पता नहीं कैसे अपने को छुड़ाकर आती हैं। उन्हों का जितना लव रहता है उतना और बच्चों में नहीं। एकदम बाबा को याद कर स्नेह में ऑसू बहाती हैं। बाबा आपसे कब मिलेंगी! विश्व का मालिक बनाने वाला बाबा, बाबा कब आकर सम्मुख मिलेंगी! ऐसे बहुत प्रेम से बाबा को याद करती हैं। सभी दु: मिटाने वाले बाबा आप ने कितना हमारा सौभाग्य बनाया है, आप हमको विश्व का मालिक बनाते हैं। याद का भी बल उनको बहुत मिलता है। अच्छा!

मीठे मीठे सिकीलधे ब्राह्मण कुल भूषण सभी बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।

धारणा के लिए मुख्य सार:-

1) कोई भी उल्टी बातें बोले तो चुप रहना है। मुख की ताली नहीं बजानी है। सहन करना है। एक दो का कल्याण करना है।

2) ज्ञान के तीसरे नेत्र से आत्मा भाई को देखना है। अपने को भाई समझ भाई को ज्ञान देना है। रूहानी ड्रिल करनी और करानी है। अपनी मेहनत करनी है, दूसरों को नहीं देखना है।

वरदान:-        अपनी विल पावर द्वारा हर एक को विल कराने वाले श्रेष्ठ सेवाधारी भव

वर्तमान समय कई आत्मायें आपके सहयोग के लिए चात्रक हैं लेकिन अपनी शक्ति नहीं है। उन्हें आपको अपने शक्तियों की मदद विशेष देनी पड़ेगी इसलिए निमित्त बने हुए सेवाधारियों में सर्व शक्तियों की पावर चाहिए। जैसे ब्रह्मा बाप ने लास्ट में बच्चों को शक्तियों की विल की, उस विल से यह कार्य चल रहा है, ऐसे फालो फादर। अपने शक्तियों की विल आत्माओं के प्रति करो तो समय के प्रमाण सेवा सम्पन्न हो जायेगी।

स्लोगन:- “जहाँ एकता और एकाग्रता की शक्ति है वहाँ सफलता सहज प्राप्त होती है। ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे।  

अच्छा – ओम् शान्ति।

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नोट: यदि आपमुरली = भगवान के बोल को समझने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया अपने शहर या देश में अपने निकटतम ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जाएँ और परिचयात्मक “07 दिनों की कक्षा का फाउंडेशन कोर्स” (प्रतिदिन 01 घंटे के लिए आयोजित) पूरा करें।

खोज करो:ब्रह्मा कुमारिस ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजयोग सेंटर” मेरे आस पास.

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