10-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “भारत को पाक (पावन) बनाने की सेवा पर रहना है”

शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – इस नापाक (पतित) भारत को पाक (पावन) बनाने की सेवा पर रहना है, विघ्नों को मिटाना है, दिलशिकस्त नहीं होना है”

प्रश्नः– गृहस्थ व्यवहार में रहते कौन सी स्मृति में रहना बहुत जरूरी है?

उत्तर:- गृहस्थ व्यवहार में रहते यह स्मृति रहे कि हम गॉडली स्टूडेन्ट हैं। स्टूडेन्ट को पढ़ाई और टीचर सदा याद रहता है। वह कभी ग़फलत में अपना टाइम वेस्ट नहीं करते, उन्हें समय का बहुत कदर रहता है।

प्रश्नः– मनुष्यों में सबसे बड़े ते बड़ा अज्ञान कौन सा है?

उत्तर:- जिसकी पूजा करते हैं उसे ही नाम रूप से न्यारा कह देते हैं – यह सबसे बड़े ते बड़ा अज्ञान है। पुकारते हैं, मन्दिर बनाकर पूजते हैं, तो भला वह नाम रूप से न्यारा कैसे हो सकता है। तुम्हें सबको परमात्मा का सत्य परिचय देना है।

गीत:- “बचपन के दिन भुला न देना….”,

गीत:- अन्य गीत सुनने के लिए सेलेक्ट करे > “PARAMATMA LOVE SONGS”.

-: ज्ञान के सागर और पतित-पावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “मुरली” (“मुरली” दुनिया भर में अपने बच्चों के लिए “स्वयं भगवान द्वारा अपने हाथो से लिखे पत्र हैं”)

“ओम् शान्ति”

शिव भगवानुवाच : यह बेहद के बाप ने बच्चों को शिक्षा दी अथवा सावधान किया जबकि राम के बने हो तो इस बचपन अथवा ईश्वरीय बचपन को भुला नहीं देना। ऐसे न हो कि राम के बचपन से हटकर रावण की तरफ चले जायें। फिर तो बहुत-बहुत पछताना पड़ेगा। यह भी समझाया है कि अगर महान ते महान मूर्ख देखना हो तो यहाँ देखो जो पढ़ाई छोड़ देते हैं। तो तुम समझ सकते हो कि उनकी क्या गति होगी। यहाँ के महारथी हैं गज, उनको ग्राह रूपी माया खा लेती है।

यह बाप सम्मुख बैठ समझाते हैं – मीठे-मीठे सिकीलधे बच्चे माया बड़ी दुश्तर है। ऐसा न हो कहाँ बेहद के बाप का हाथ छोड़ दो। यह है परमपिता परे ते परे रहने वाला पिता, पतित-पावन। ऐसे बाप का हाथ कभी छोड़ना नहीं। नहीं तो बहुत रोना पड़ेगा। बहुत अच्छे-अच्छे बच्चे जिनको बाबा बड़े-बड़े टाइटिल देते, वह भी हाथ छोड़ देते हैं। बाबा कोई को जास्ती प्यार करते हैं कि कहाँ गिर न जाये। गीत भी गाया हुआ है। ऐसा न हो माया तुमको घसीट ले फिर बहुत पछताना पड़ेगा। वास्तव में सच्ची-सच्ची युद्ध तुम्हारी है, तुम माया पर जीत पाते हो।

अभी तुम नापाक से पाक बने हो। पतित स्थान को तुम पावन स्थान बनाते हो। पाक स्थान तो यहाँ है नहीं। इस समय सारी दुनिया नापाक स्थान है। पावन तो हैं देवी-देवतायें। तुम नापाक (पतित) भारत को पावन बना रहे हो। यह जो प्रदर्शनी आदि करते हो, नापाक को पाक बनाने। तुम भारत की सच्ची सेवा करते हो ना। हाँ विघ्नों को भी मिटाना होता है, इसमें हार्टफेल अथवा सुस्त नहीं होना है। कोई भी हालत में सर्विस जरूर करनी है, पतितों को पावन बनाने की।

तुम्हारा धन्धा ही यह है और कोई बातों से तुम्हारा तैलुक नहीं। देखना है हमने कितनों को नापाक से पाक बनाया है। यह भारत स्वर्ग था, पावन दुनिया थी। इस समय नापाक और पाक का किसको भी ज्ञान नहीं है। पाक स्थान है ही नई दुनिया, फिर पुरानी होने से नापाक, पतित तमोप्रधान बन पड़ते हैं।

विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel
विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel

तो रूहानी बाप बैठ रूहानी बच्चों को सम्मुख समझाते हैं। अब तुम्हारी बुद्धि में है बरोबर हम पवित्र स्थान स्थापन कर रहे हैं। पवित्र स्थान भारत था, अब अपवित्र स्थान बना है। मकान नया है फिर पुराना जरूर बनेगा। यह समझ नई दुनिया में नहीं रहती। अभी तुम बच्चों को समझ मिली है। भल लाखों वर्ष कहते हैं आखिर पुराना तो होगा ना। पुराना नाम ही कलियुग का है। नवयुग और पुराने युग को सिर्फ तुम जानते हो।

अभी नव युग आ रहा है। हम फिर से यह नॉलेज बाप द्वारा ले रहे हैं, पवित्र बन स्वराज्य पाने के लिए। स्टूडेन्ट कभी पढ़ाई और टीचर को भूल सकते हैं क्या? तुम भी स्टूडेन्ट हो, गृहस्थ व्यवहार में रहते यह याद रहे कि हम पढ़ रहे हैं। इस पढ़ाई में टाइम बहुत लगता है। बीच में कोई गिर पड़ता है, कोई हरा देता है। मुख से कहते, लिख भी देते हैं शिवबाबा केअरआफ ब्रह्मा। बाप को बड़े प्रेम से पत्र लिखते हैं, हम जीव की आत्मा परमपिता परमात्मा को पत्र लिखती हैं।

वह पुकार रहे हैं हे परमात्मा रक्षा करो, शान्ति दो। सिवाए बाप के कोई शान्ति दे न सके। बाबा को तो आना ही है। भक्तों का रक्षक भी गाया हुआ है। जीवनमुक्ति दो, शान्ति दो, मुक्त करो, हम जीते जी मुक्त हों। वह तो सतयुग में होते हैं। यहाँ तो जीवनबंध हैं। इन बातों को तुम अच्छी तरह समझते हो और स्वयं बाप समझा रहे हैं, और कोई की बुद्धि में ड्रामा का राज़ नहीं है। तीनों कालों, आदि-मध्य-अन्त को कोई नहीं जानते हैं।

तुम सब कुछ जानते हो परन्तु हो साधारण, गुप्त, वह बाहर में जाकर जिस्मानी ड्रिल करते हैं, सीखते हैं। तुम्हारी ड्रिल है रूहानी। कोई को पता ही नहीं है कि यह कोई वारियर्स हैं, लड़ाई करने वाले। महाभारत की लड़ाई दिखाते हैं, वह कैसे हुई? महाभारत की लड़ाई भगवान ने कराई है, ऐसे कहते हैं। अब भगवान हिंसक युद्ध कैसे करायेगा। भगवान ने युद्ध सिखलाई है, रावण पर जीत पाने की। समझाते हैं तुम 16 कला सम्पूर्ण थे। तुम मूल-वतन से अशरीरी आये फिर यहाँ चोला धारण कर पहले सतयुग में राज्य किया। स्मृति में आता है ना? कहते हैं हाँ बाबा, अब हमको स्मृति आई है कि बरोबर हम दैवी राज्य के मालिक थे। फिर हराया। अब हम युद्ध के मैदान में खड़े हैं। माया पर जीत जरूर पायेंगे।

Earth is RAWANS LANKA, पृत्वी रावण कि लंका है।
Earth is RAWANS LANKA, पृत्वी रावण कि लंका है।

काम चिता पर चढ़ने से मनुष्य का मुँह काला हो जाता है। काला अक्षर कड़ा है इसलिए सांवरा कहा जाता है। कृष्ण और नारायण को सांवरा रंग देते हैं, ऐसा कोई मनुष्य होता नहीं। मनुष्य तो गोरे सांवरे होते हैं। आइरन एजड को सांवरा कहेंगे। लौकिक बाप भी कहते हैं तुम काला मुँह करके कुल को कलंक लगाते हो। बेहद का बाप कहते हैं तुमने आसुरी मत पर चलकर दैवीकुल को कलंकित किया है, इसलिए तुम सांवरे बन गये हो। पूरा सांवरा बनने में आधाकल्प लगता है और गोरा बनने में सेकण्ड। बच्चों को ड्रामा के आदि मध्य अन्त की स्मृति आई है और धर्म वालों को स्मृति नहीं आ सकती। विस्मृति भी तुमको हुई, स्मृति भी तुमको आई।

तुम दैवी राज्य स्थान के मालिक थे। यहाँ राजायें ढेर थे, इसलिए नाम रखा है राजस्थान। अभी यह पंचायती राज्य है। अभी तुम पुरूषार्थ कर रहे हो – महारानी महाराजा बनने का। ड्रामा प्लैन अनुसार ऐसे ही हुआ था। स्वर्ग चक्र लगाए नर्क बनता है। अब तुम नापाक से पाक स्थान में जाकर राज्य करने का पुरूषार्थ कर रहे हो। तुम्हारी पढ़ाई सिम्पुल है। अल्फ बे को याद करना है। बाबा कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम्हारे विकर्म विनाश होंगे। राजाई को याद करो तो राजाई मिलेगी। वह लोग कहते हैं कहो मैं भैंस हूँ, भैंस हूँ.. यह बात तो सत्य नहीं है।

तुम आत्मा कहती हो हम विष्णु बनेंगे, कैसे बनेंगे? कहते हैं मुझे याद करो और विष्णु-पुरी राजधानी को भी याद करो। प्रवृत्ति मार्ग होने कारण विष्णु का नाम लिया जाता है। वहाँ भी लक्ष्मी-नारायण के तख्त पिछाड़ी विष्णु का चित्र निशानी रहती है। चित्रों में भी ऐसे-ऐसे बनाते हैं। बाबा ने राज़ समझाया है – वहाँ की ऐसी रसम-रिवाज़ है फिर वह लक्ष्मी-नारायण चक्र लगाए ब्रह्मा सरस्वती वा जगत पिता, जगत अम्बा बनते हैं। ब्रह्मा को कहते हैं ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर। शिव को फादर कहेंगे। सभी आत्मायें ब्रदर्स हैं। ग्रेट-ग्रेट ग्रैन्ड फादर मनुष्य बनते हैं। तो अब देह-अभिमान निकाल आत्म-अभिमानी बनना है। आत्म-अभिमानी परमात्मा बाप बनाते हैं।

यहाँ तुमको डबल लाइट है, नॉलेज है। आत्म-अभिमानी भी बनते हो फिर बाप को भी याद करते हो क्योंकि वर्सा लेना है। देवताओं ने पुरुषार्थ कर पास्ट जन्म में बाप से वर्सा लिया है। उनको याद करने की दरकार नहीं। तो बच्चों को नई-नई प्वाइंट्स बुद्धि में धारण करनी है। युक्तियाँ बहुत मिलती रहती हैं। पहले-पहले बुद्धि में यह बात बिठाओ कि ऊंचे ते ऊंचा कौन सा स्थान है? निर्वाणधाम। हम आत्मायें निर्वाणधाम के निवासी हैं। परमपिता परमात्मा है ऊंचे ते ऊंच। उनका ऊंच ते ऊंच स्थान है। ऊंचे ते ऊंचा नाम है। ऊंचे ते ऊंची उनकी महिमा है। वह आया भी भारत में है, तब तो यहाँ यादगार बना है ना।

Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव

जिसका कोई नाम रूप ही नहीं तो वह चीज़ कहाँ से आयेगी जो उनको पूजेंगे। तो यह भी भूल है ना। परमात्मा को नामरूप से न्यारा कहना, यह तो अज्ञान हो गया। शिव-रात्रि भी भारत में मनाते हैं। भारत ही प्राचीन सतयुग था, अब नहीं है। तो जरूर बाप ने ही सतयुग की स्थापना की होगी। फिर दु:ख कौन देता है? कब से शुरू होता है? यह कोई नहीं जानते। बाप बैठकर समझाते हैं। अब वह 21 पीढ़ी का फिर से तुमको बेहद का वर्सा देने आया हूँ। तुमने कल्प-कल्प यह पुरूषार्थ किया है।

बेहद सुख का वर्सा, बेहद के बाप से लिया है, जबकि यह अन्तिम जन्म है तो क्यों न पवित्र बन भविष्य के लिए पूरा वर्सा लेना चाहिए। भक्त भगवान को याद करते हैं तो जरूर वर्सा पाने के लिए। भगवान है ही पतित-पावन, सद्गति दाता। नर से नारायण बनाने वाला और कोई तो बना न सके। सतयुग में फट से लक्ष्मी-नारायण का राज्य होता है तो जरूर कहेंगे पिछले जन्म में पुरुषार्थ किया है इसलिए बाप अब तुमको पुरुषार्थ करा रहे हैं, भविष्य में ऐसा पद पाने लिए। पतित दुनिया की अन्त में ही आकरके पावन बनायेंगे ना। वह है वाइसलेस वर्ल्ड। फिर कलायें कमती होती जाती हैं। अब है विशश वर्ल्ड।

बाप कहते हैं इन 5 विकारों का दान दो और पवित्र बनो। याद भी करो और पवित्र भी बनो। बी होली, बी राजयोगी। गृहस्थ व्यवहार में रहते एक शिव बाबा को याद करो और कब किसको याद किया तो व्यभिचारी बनें। भक्ति मार्ग में गृहस्थ व्यवहार में रहते भी कब किसी को, कब किसी को याद करते हैं। तो वह व्यभिचारी याद हो जाती है और फिर वह पवित्र भी नहीं रहते हैं तो बाप कहते हैं कि गृहस्थ व्यवहार में याद मुझ एक बाप को करो। यह अन्तिम जन्म मेरे नाम पर कमल फूल समान पवित्र बन सिर्फ मुझे याद करते रहो। यह एक जन्म मेरे मददगार बनो, जो मदद करेंगे वही फल पायेंगे।

सतयुग का राजकुमार श्रीं कृष्ण ,Satyug Prince Sri Krishna
सतयुग का राजकुमार श्रीं कृष्ण ,Satyug Prince Sri Krishna

तुम हो गये ईश्वरीय खुदाई खिदमतगार। बाप भारत की खुद खिदमत करते हैं ना। बाप कहते हैं बच्चे तुमको लायक बनना है। गुण भी जरूर चाहिए। यहाँ गुणवान बनना है। फिर 21 जन्मों के लिए देवता बन राज्य करेंगे। बाबा ने समझाया है कृष्ण का चित्र बड़ा अच्छा है। नर्क को लात मारते हैं, स्वर्ग हाथ में है। भारत में ही यह कायदा है। कोई मरता है तो मुँह शहर की तरफ, पैर शमशान तरफ करते हैं। फिर जब शमशान के नजदीक आते हैं तो मुँह फिराकर शमशान तरफ करते हैं।

अभी तो तुम जीते जी जाने के लिए तैयार हो तो तुम्हारा मुँह नई दुनिया तऱफ होना चाहिए। सुखधाम जाना है वाया शान्तिधाम। यह है बेहद की बात। पुरानी दुनिया को लात मार रहे हो, नई दुनिया में जा रहे हो इसलिए दु:खधाम को भूलना पड़ता है। सुखधाम और शान्तिधाम को याद करना है। दु:खधाम में भल तुम रहे पड़े हो, परन्तु याद उनको करो। अव्यभिचारी योग चाहिए, एक बाप दूसरा न कोई। समझानी तो बहुत सहज अच्छी मिलती है।

अर्जुन बहुत शास्त्र पढ़ा हुआ था, तो उनको कहा यह सब भूल जाओ और पढ़ाने वालों को भी भूल जाओ। बाप भी ऐसे कहते हैं। अभी जो कुछ सुना है सब भूलो। हम तुमको सभी शास्त्रों का सार समझाते हैं। सचखण्ड का मालिक बनाते हैं। वह तुमको झूठखण्ड का मालिक बनाते हैं। बाप कहते हैं अब जज करो कि हम राइट हैं या वह तुम्हारे चाचे, मामे वा शास्त्रवादी राइट हैं?

वह लड़ाई है हद की, तुम्हारी है बेहद की। जिससे तुम बेहद की राजाई लेते हो। बाप कहते हैं यह विकार अब दान में दे दो। अभी पुरुषार्थ नहीं करेंगे तो बहुत-बहुत पछतायेंगे इसलिए ग़फलत छोड़ो, सर्विस में लग जाओ, कल्याणकारी बनो। इस कलियुग में महान दु:ख है। अब तो अजुन बहुत दु:ख के पहाड़ गिरने वाले हैं फिर सतयुग में सोने के पहाड़ खड़े हो जायेंगे। अच्छा!

“मीठे मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।“

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) अल्फ और बे को याद करने की सिम्पल पढ़ाई पढ़नी और पढ़ानी है। अव्यभिचारी याद में रहना है। इस झूठखण्ड को बुद्धि से भूल जाना है।

2) खुदाई खिदमतगार बन भारत को नापाक से पाक बनाने की सेवा करनी है। बाप का पूरा-पूरा मददगार बनना है।

वरदान:-     “दुहर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझ सदा एवररेडी रहने वाले तीव्र पुरूषार्थी भव”

जो बच्चे तीव्र पुरूषार्थी हैं वह हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझकर एवररेडी रहते हैं। ऐसा नहीं सोचते कि अभी तो विनाश होने में कुछ टाइम लगेगा, फिर तैयार हो जायेंगे।उस अन्तिम घड़ी को देखने के बजाए यही सोचो कि अपनी अन्तिम घड़ी का कोई भरोसा नहीं इसलिए एवररेडी, अपनी स्थिति सदा उपराम रहे। सबसे न्यारे और बाप के प्यारे, नष्टोमोहा। सदा निर्मोही और निर्विकल्प, निरव्यर्थ, व्यर्थ भी न हो तब कहेंगे एवररेडी।

स्लोगन:-    “नाजुक समय पर पास विद ऑनर बनना है तो एडॅजेस्ट होने की शक्ति को बढ़ाओ। – ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे

अच्छा – ओम् शान्ति।

o——————————————————————————————————————–o

“आज की मुरली से आपने क्या सीखा?” कृपया अपना उत्तर संक्षेप में साझा करें । [प्रतिक्रिया लिंक का चयन करें]

नोट: यदि आप “मुरली = भगवान के बोल” को समझने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया अपने शहर या देश में अपने निकटतम ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जाएँ और परिचयात्मक “07 दिनों की कक्षा का फाउंडेशन कोर्स” (प्रतिदिन 01 घंटे के लिए आयोजित) पूरा करें।

खोज करो: “ब्रह्मा कुमारिस सेंटर मेरे आस पास” –

o——————————————————————————————————————–o

Add a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *