“ परमात्मा करनकरावनहार कैसे है? ”

 : मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :–

बहुत मनुष्य ऐसे समझ बैठे हैं कि यह जो अनादि बना बनाया सृष्टि ड्रामा चल रहा है वो सारा परमात्मा चला रहा है इसलिए वो कहते हैं कि मनुष्य के कुछ नाहीं हाथ… करनकरावनहार स्वामी… सबकुछ परमात्मा ही करता है। सुख दु:ख दोनों भाग परमात्मा ने ही बनाया है। अब ऐसी बुद्धि वालों को कौनसी बुद्धि कहा जायेगा?

पहले पहले उन्हों को यह समझना जरुर है कि यह अनादि बनी बनाई सृष्टि का खेल वो परमात्मा जो अब बनाता है, वही चलता है। जिसको हम कहते हैं यह बनी बनाई का खेल ऑटोमेटिक चलता ही रहता है तो फिर परमात्मा के लिये भी कहा जाता है कि यह सबकुछ परमात्मा ही करता है, यह जो परमात्मा को करनकरावनहार कहते हैं, यह नाम फिर कौनसी हस्ती के ऊपर पड़ा है? अब इन बातों को समझना है।

पहले तो यह समझना है कि यह जो सृष्टि का अनादि नियम है वो तो बना बनाया है, जैसे परमात्मा भी अनादि है, माया भी अनादि है और यह चक्र भी आदि से लेकर अन्त तक अनादि अविनाशी बना बनाया है। जैसे बीज में अण्डरस्टुड वृक्ष का ज्ञान है ना, और वृक्ष में अण्डरस्टुड बीज है, दोनों कम्बाइंड हैं, दोनों अविनाशी हैं, बाकी बीज का क्या काम है, बीज बोना झाड़ निकलना। अगर बीज न बोया जाए तो वृक्ष उत्पन्न नहीं होता।

तो परमात्मा भी स्वयं इस सारी सृष्टि का बीजरूप है और परमात्मा का पार्ट है बीज बोना। परमात्मा ही कहता है मैं परमात्मा हूँ ही तब जब बीज बोता हूँ। अगर बीज नहीं बोया जाए तो वृक्ष कैसे निकलेगा! मेरा नाम परमात्मा ही तब है जब मेरा परम कार्य है, मेरी कार्य ही है जो मैं खुद पार्टधारी बन बीज बोता हूँ।

सृष्टि की आदि भी करता हूँ और अन्त भी करता हूँ, मैं करनधारी बन बीज बोता हूँ। बीज बोने का मतलब है रचना करना। पुरानी सृष्टि की अन्त करना और नई सृष्टि की आदि करना इसको ही कहते हैं परमात्मा सबकुछ करता है।

अच्छा – ओम् शान्ति।

[SOURSE: 28-3-2022 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.]

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