03-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम हो रूहानी योद्धे”

शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – तुम हो रूहानी योद्धे, तुम्हें बाप से बहुत बड़े-बड़े ज्ञान के गोले मिले हैं जिनसे माया दुश्मन पर जीत पानी है”

प्रश्नः– किस राज़ को समझने से तुम बेफिकर बादशाह बन गये हो?

उत्तर:- सारे ड्रामा के राज़ को समझने से बेफिकर बादशाह बन गये। अभी तुम्हें पता है कि हम पुराना हिसाब-किताब चुक्तू करके 21 जन्मों के लिए ज्ञान योग से अपनी झोली भर रहे हैं। हम शिवबाबा के पोत्रे, ब्रह्मा बाबा के बच्चे हैं… तो फिकर किस बात की करें।

गीत:- तकदीर जगाकर आई हूँ…… ,

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-: ज्ञान के सागर और पतित-पावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “Murli” (हस्त-लिखित पत्र)

“ओम् शान्ति”

शिव भगवानुवाच : बाप बैठ समझाते हैं मेरे लाडले बच्चे, तुम गुप्त सेना हो और तुम बच्चों को ज्ञान का बारूद बड़े-बड़े ज्ञान के गोले मिल रहे हैं। तुम जानते हो – यह वही गीता का एपीसोड अर्थात् वही ड्रामा का पार्ट फिर से बज रहा है। एक गीता शास्त्र ही है जिसका महाभारत लड़ाई से कनेक्शन है। तुम बच्चे गुप्त सेना हो। जैसे वो लोग प्रैक्टिस कर रहे हैं, गोले रिफाइन हो जाएं।

शिव बाबा व ब्रह्मा बाबा, Shiv BABA & Brhama BABA
शिव बाबा व ब्रह्मा बाबा, Shiv BABA & Brhama BABA

वैसे शिवबाबा भी कहते हैं ब्रह्मा द्वारा तुमको बहुत अच्छे-अच्छे ज्ञान के गोले दे रहा हूँ। तो तुम मनुष्यों को अच्छी तरह से शंख-ध्वनि करो कि गीता का पार्ट फिर से बज रहा है और हेविनली डीटी किंगडम स्थापन हो रही है। तुम बच्चे अपने लिए राजाई स्थापन कर रहे हो। वह सेना मेहनत करती है राजा रानी के लिए, तुम अपने लिए ही माया पर जीत पहन 21 जन्मों की बादशाही लेते हो – 5 हजार वर्ष पहले मुआफिक।

यह तो तुम्हारी बुद्धि में है कि बरोबर हम अपनी तकदीर बना रहे हैं। वह तो अल्पकाल के लिए बड़ी तनखा लेते हैं। यहाँ तुम हर एक अपने लिए 21 जन्मों की प्रालब्ध बनाते हो। तुम मम्मा बाबा से भी ऊंच जा सकते हो। परन्तु विवेक कहता है – मम्मा बाबा से ऊंच कोई जा नहीं सकता है। भल सूर्य, चांद को ग्रहण लगता है परन्तु टूट नहीं सकते। सितारे तो टूट पड़ते हैं। बाबा कहते हैं मेरे लाडले बच्चे, मैं तुम बच्चों को क्यों नहीं याद करुँगा? ऐसे सिकीलधे बच्चे क्यों नहीं याद आयेंगे?

परन्तु अनुभव कहता है बच्चे बाप को याद करना भूल जाते हैं। अपने को सजनी समझने से भी बच्चे समझेंगे तो जास्ती ताकत मिलेगी क्योंकि सजनी तो हाफ पार्टनर है – साजन के साथ। बच्चे तो बाप के फुल वारिस हो जाते हैं इसलिए बाबा कहते हैं कि हमको ज्ञानी तू आत्मा से प्यार है। ध्यानी को साक्षात्कार की इच्छा रहती है,

जो सारा दिन बाबा-बाबा करते रहेंगे उनको तो ज्ञानी कहेंगे। बाबा को ज्ञान का बहुत शौक है। अभी तुम्हें ज्ञान के गोले मिल रहे हैं, यह नई बात है ना। ध्यान में बहुत साक्षात्कार आदि करते हैं, परन्तु उनको ज्ञान कुछ नहीं मिलता है। बाबा ऐसे भी नहीं कहते ध्यान खराब है। भक्ति मार्ग में साक्षात्कार होता है तो खुश हो जाते हैं, परन्तु मुक्तिधाम में जा नहीं सकते।

Paradice -Satyug , स्वर्ग - सतयुग
Paradice -Satyug , स्वर्ग – सतयुग

बाबा कहते हैं तुम मेरे धाम में आने वाले हो। तुम जानते हो इस ज्ञान से हम भविष्य प्रिन्स बनेंगे। देवतायें यहाँ तो हैं नहीं जो इन आंखों से देखें। चित्र तो हैं ना। कृष्ण को तुम देखते हो, वहाँ प्रिन्स-प्रिन्सेज की रास विलास होती है अथवा बाल लीला भी देखते हैं। परन्तु महारानी कब बनेंगे, कब वह प्रिन्स मिलेगा? वह तो पता ही नहीं है।

बाबा साक्षात्कार कराते हैं कि निश्चय हो जाए कि हम भविष्य महारानी बन रहे हैं। ज्ञान से भी समझ सकते हैं कि वहाँ हमारी आत्मा और शरीर दोनों पवित्र होंगे। यह जो “हम सो” का मंत्र है, वह अभी का है। शिवबाबा को याद करने से ताकत मिलती है। हातमताई का खेल दिखाते हैं – मुहलरा डालते थे तो माया उड़ जाती थी। बाबा खुद कहते हैं हे लाडले बच्चे, भल सब कुछ काम काज करो सिर्फ बुद्धि से बाप को याद करना है। तुम्हारा है एक परमधाम। वो लोग यात्रा पर जाते हैं तो बहुत फिरते रहते हैं। चारों ही धाम बुद्धि में होंगे। तुम्हारी बुद्धि में सिर्फ एक परमधाम है।

कोई से पूछो तुम क्या चाहते हो? कहेंगे मुक्ति। संन्यासी भी शान्ति के कारण घरबार छोड़ते हैं। जंगल में जाते हैं। समझते हैं हम जन्म मरण से छूट जायें, मोक्ष मिल जाये। परन्तु हमेशा के लिए कोई छूट नहीं सकते। यह अनादि बना बनाया ड्रामा है। इस ड्रामा के राज़ को कोई जानते नहीं। क्रियेटर, डायरेक्टर, प्रिन्सीपल एक्टर को नहीं जानते।

तुम जानते हो इस ड्रामा के पूरे 4 भाग हैं। ऐसे नहीं सतयुग की आयु लम्बी है। जगन्नाथपुरी में चावल का हाण्डा चढ़ाते हैं तो उनके पूरे 4 भाग हो जाते हैं। यह दुनिया है ही 4 युगों का ड्रामा, उनके आदि मध्य अन्त को तुम ही जानते हो, यह खेल है। हम ही देवी-देवतायें राज्य करते थे। फिर हमने ही हराया फिर हम जीत पा रहे हैं। 5 हजार वर्ष की बात है। यहाँ हर एक अपने लिए पुरुषार्थ करते हैं। जितना जो आप समान बनायेंगे, उनको बाबा फिर इनाम भी देते हैं। बाबा कहते हैं योग अग्नि से तुम्हारे पाप आपेही विनाश हो जायेंगे, मैं कुछ नहीं करता हूँ। तुम अपने पुरुषार्थ से राजाई पाते हो, राजा जनक का मिसाल है ना। इनको कहा जाता है साक्षात्कार।

विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel
विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel

तुम जानते हो हम जीवनमुक्ति में जाने के लिए पुरुषार्थ कर रहे हैं, जिसमें ज्ञान की दरकार है। मुक्ति में हमको ठहरना नहीं है। हमारा आलराउन्ड पार्ट है। जैसे रेल में तुम आते हो तो वाया अहमदाबाद करते हो ना। हमको भी जीवनमुक्ति में जाना है वाया मुक्ति। घड़ी-घड़ी परमधाम को याद करो। उन स्कूलों में 5-6 घण्टा पढ़ते हैं यहाँ इतना नहीं पढ़ सकते इसलिए कहा है कि एक घड़ी-आधी घड़ी…. इसमें अमृतवेला अच्छा है। स्नान भी अमृतवेले किया जाता है।

एक बार मुरली सुनकर फिर यह प्वाइंट्स रिपीट करते रहो। टेप में मुरली भरी जाती है। भल तुम 15 दिन के बाद सुनेंगे तो भी सुनने से रिफ्रेश हो जायेंगे। कोई प्वाइंट्स ध्यान में नहीं होगी तो झट ख्याल में आ जायेगा। मुरली के नोट्स अपने पास रखने अच्छे हैं, यह बारूद है ना। बहुत बच्चे तो नोट्स रखते हैं। जैसे बैरिस्टर, सर्जन लोग अपने पास भी बहुत किताब रखते हैं, जो बहुत किताब पढ़े होते हैं, वह अच्छी दवाई देते हैं। कोई तो अच्छी रीति नोट्स भी लेते हैं, कोई नोट्स भी नहीं ले सकते। बाबा कहेंगे यह भी तुम्हारा कर्मबन्धन है। वह भी उनके ही विकर्म हैं।

तुम बच्चे जानते हो हमारी राजधानी स्थापन हो रही है। जैसे पहले अंग्रेज आये तो व्यापार के लिए, परन्तु व्यापार करते-करते देखा यह तो आपस में लड़ते झगड़ते हैं तो क्यों न हम अपना लश्कर बनाकर राज्य ले लेवें। तुम्हारे लिए तो बहुत सहज है। कोई को मारने करने की बात नहीं। तुम योगबल से राज्य भाग्य लेते हो। सतयुग में लक्ष्मी-नारायण को राजाई कहाँ से मिली? कलियुग की रात पूरी हो फिर सतयुग दिन होना है। दिन में राजाई, रात में धमचक्र,

बाबा आते हैं तो हम धनके बन जाते हैं। कलियुग के बाद है सतयुग। अनेक धर्मों के बाद है एक धर्म। जिन्होंने कल्प पहले राजाई ली है, वही अब ले रहे हैं। उनको कहा जाता है हेविनली डीटी किंगडम। अभी तो है हेल और निर्वाणधाम है ब्रह्माण्ड, जहाँ तुम अण्डे मिसल रहते हो। तुम्हारी बुद्धि में सारे ब्रह्माण्ड और सृष्टि की नॉलेज हैं। कितनी सहज बात है।

Sacred book of Gods Verses Srimad Bhagwat GEETA , भगवानुवाच भागवत गीता
Sacred book of Gods Verses Srimad Bhagwat GEETA , भगवानुवाच भागवत गीता

मुख्य है गीता की बात। गीता में भगवान का नाम बदल दिया है। यह है ज्ञान के गोले। एक बात को युक्ति से समझाओ। इस समय सब दुबन (दलदल) में फंसे हुए हैं। बाबा आकर दुबन से निकालने के लिए साधना कराते हैं। माया ने पंख तोड़ दिये हैं, उड़ नहीं सकते हैं। अभी सबको पवित्र बनकर वापिस जाना है।

तुम पुरुषार्थ कर रहे हो – बाबा से फिर से राज्य-भाग्य लेने। बाप समझाते हैं कि तुमको खुशी रहनी चाहिए। जो अच्छी तरह धारण कर आप समान बनाते रहेंगे उनको बहुत खुशी रहेगी। नम्बरवन जो पास होगा उनको जरूर खुशी होगी ना। गवर्मेन्ट भी स्कॉलरशिप देती है। तुम्हारी भी माला बनी हुई है। 108 की भी माला होती है। 16108 की भी होती है। एक बॉक्स बनाते हैं, उसमें डाल देते हैं। अब तुम समझ गये हो यह माला किसकी है? रुद्राक्ष की माला किसको कहा जाता है।

पहले हैं ब्रह्मा की माला। बाप रचना रच रहे हैं ना। जो ब्रह्मा की दिल पर चढ़ते वही शिवबाबा की दिल पर चढ़ेंगे। यह है ब्रह्मा की माला। सब बच्चे हैं ना। तो पहले उनकी माला फिर रुद्र माला बननी है, फिर जाकर विष्णु के गले में पिरोयेंगे। यह हेविनली किंगडम अब स्थापन हो रही है। यह मनुष्य सृष्टि ही स्वर्ग और नर्क बनती है। स्वर्ग में गॉड और गॉडेज रहते हैं, उनको हेविन कहा जाता है। हेविन वाले ही फिर हेल में आते हैं। फिर हम हेल से हेविन में जाते हैं। माया पर जीत पाकर जगतजीत बनते हैं। तुम कहेंगे कि हमने यह पार्ट अनेक बार बजाया है।

कोई कहे क्या सिर्फ तुम ही स्वर्ग देखेंगे, हम स्वर्ग नहीं देखेंगे? बोलो, सब थोड़ेही वहाँ जा सकते हैं। इम्पासिबुल है। हर एक अपना सतो रजो तमो में पार्ट बजाते हैं। यह कोई को पता नहीं है। तुम जानते हो कि हमारी राजाई स्थापन हो रही है। हम स्वर्ग के मालिक बन रहे हैं। ड्रामा तुमको अवश्य ही पुरुषार्थ करायेगा। ड्रामा में इनसे मुरली चलवा रहे हैं। पुरुषार्थ बिगर तुम रह नहीं सकेंगे। बैठ नहीं जायेंगे। कल्प पहले जैसे मुरली चलाई है वही ड्रामा अनुसार चलेगी।

Almighty Supreem GOD - SHIVA
Almighty GOD Supreme – SHIVA .परमपिता परमात्मा – शिव

कितनी गुह्य बातें हैं। ड्रामा को रिपीट जरूर होना है। हम तो बेफिकर बादशाह हैं। परमपिता परमात्मा शिव के पोत्रे हैं। उनको क्या परवाह रखी है। यह है राजयोग। बाबा कहते हैं अब पुराना हिसाब-किताब खलास करो, इनसे बुद्धियोग हटा दो। फिर जितना ज्ञान योग से जमा करेंगे उतना तुम्हारी झोली 21 जन्मों के लिए भरती जायेगी, इसमें डरने की तो कोई बात नहीं है। बाबा तो देने वाला है। कहते हैं जो कुछ तुम्हारा है सो कुर्बान कर दो। यहाँ कोई महल तो नहीं बनाने हैं। इन पैसों से क्या करना पड़ता है। सिर्फ 3 पैर पृथ्वी के लेकर सेन्टर खोल देते हैं। यह जबरदस्त युनिवर्सिटी अथवा हॉस्पिटल है। वह हॉस्पिटल तो अनेक होती हैं। यह तो एक ही हॉस्पिटल है।

जो रिलीजस माइन्डेड होंगे वह तो कहेंगे कि क्यों नहीं हम ऐसा हॉस्पिटल खोलें जो मनुष्य एवर-हेल्दी बन जायें, बाबा हेल्थ वेल्थ देते हैं तो वह कहते हैं कि बाबा यह तुम्हारी चीज़ है, जिस भी काम में चाहो लगाओ। तो निश्चय कर पूरा फॉलो करना चाहिए ना। हर एक अपनी जाति को चढ़ाते हैं ना। तुम कहते हो हम ब्राह्मण हैं, तो फिर क्यों नहीं सब कुछ ट्रांसफर कर देना चाहिए। बाबा 21 जन्म की बादशाही देते हैं। बाबा की सर्विस में लग जाने से तुम कभी भूख नहीं मरेंगे। हमारा खर्चा कुछ है थोड़ेही। तुम सिर्फ पेट के लिए दो रोटी खाते हो और क्या।

मनुष्यों का तो खर्चा बहुत है। शादियों-मुरादियों पर कितना खर्चा करते हैं। हमारा कुछ भी खर्चा नहीं है। तुम्हारी सगाई होती है शिवबाबा के साथ। खर्चा पाई का भी नहीं। सगाई कर हम बाबा के पास चले जाते हैं। यहाँ भी तुम बच्चों को सर्विस करनी है। तुमको अपना यादगार देख खुशी होगी। यह हमारे बाबा मम्मा का यादगार है और हम देवी-देवताओं के भी यादगार है।

मुख्य यादगार हैं ही 5-7, पहले-पहले मुख्य है शिवबाबा का यादगार। उस एक के ही अनेक नाम हैं। फिर है सूक्ष्मवतनवासी ब्रह्मा विष्णु शंकर के यादगार, फिर मनुष्य सृष्टि में संगमयुगी जगत अम्बा, जगत पिता और तुम शक्तियां, बच्चे और सतयुग में हैं लक्ष्मी-नारायण बस। बाकी तो अनेक प्रकार के मन्दिर बनाये हैं। उसमें कितना भटकना पड़ता है। तुम सब बातों से छूट जाते हो और कितना खुशी में रहते हो। ऐसी कोई यूनिवर्सिटी नहीं जहाँ मनुष्य से देवता बनें। तुम्हारी है गॉडली स्टूडेन्ट लाइफ। तुम पास होकर ट्रांसफर हो जायेंगे। 

“अच्छा! मीठे मीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मात-पिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निंग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते।“

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) अमृतवेले मुरली सुनकर फिर प्वाइंट रिपीट करनी है। मुरली के नोट्स जरूर लेने हैं। खुशी में रहने के लिए आप समान बनाने की सेवा करनी है।

2) ब्रह्मा बाप की दिल पर चढ़ने के लिए ज्ञान योग में तीखा बनना है। नम्बरवन पास होकर स्कॉलरशिप लेनी है।

वरदान:-     “ड्रामा में समस्याओं को खेल समझ एक्यूरेट पार्ट बजाने वाले हीरो पार्टधारी भव”

हीरो पार्टधारी उसे कहा जाता – जिसकी कोई भी एक्ट साधारण न हो, हर पार्ट एक्यूरेट हो। कितनी भी समस्यायें हो, कैसी भी परिस्थितियां हों किसी के भी अधीन नहीं, अधिकारी बन समस्याओं को ऐसे पार करें जैसे खेल-खेल में पार कर रहे हैं। खेल में सदा खुशी रहती है, चाहे कैसा भी खेल हो, बाहर से रोने का भी पार्ट हो लेकिन अन्दर रहे कि यह सब बेहद का खेल है। खेल समझने से बड़ी समस्या भी हल्की बन जायेगी।

स्लोगन:-    “जो सदा प्रसन्न रहते हैं वही प्रशन्सा के पात्र हैं। – ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे

आज की मुरली से आपने क्या सीखा? कृपया अपना उत्तर संक्षेप में साझा करें । [प्रतिक्रिया लिंक का चयन करें]

अच्छा – ओम् शान्ति।

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