“मनुष्य जीवन की एम आबजेक्ट क्या है? उसे प्राप्त करने का यथार्थ तरीका”
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मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य :
1) “मनुष्य की एम आबजेक्ट क्या है? उसे प्राप्त करने का यथार्थ तरीका”
- हरेक मनुष्य को यह सोचना जरूर है, अपनी अच्छी जीवन बनाने के लिये क्या उचित है?
- मनुष्य की लाइफ किसलिए है, उसमें क्या करना है?
- अब अपनी दिल से पूछें कि वो मेरी जीवन में पलटा (परिवर्तन) हो रहा है?
- मनुष्य जीवन में पहले तो नॉलेज चाहिए फिर इस जीवन की एम आबजेक्ट क्या है?
- यह तो जरुर मानेंगे कि इस जीवन को सर्वदा सुख और शान्ति चाहिए। क्या अभी वो मिल रही है?
- इस घोर कलियुग में तो दु:ख अशान्ति के सिवाए और कुछ है ही नहीं, अब सोचना है सुख शान्ति मिलेगी कैसे?
सुख और शान्ति यह दो शब्द जो निकले हैं, वो जरूर इसी दुनिया में कब हुए होंगे, तभी तो इन चीज़ों की मांगनी करते हैं। अगर कोई मनुष्य ऐसे कहे कि हमने ऐसी दुनिया देखी ही नहीं तो फिर उस दुनिया को तुम कैसे मानते हो?
इस पर समझाया जाता है कि यह दिन और रात जो दो शब्द हैं, तो जरुर रात और दिन चलता होगा। ऐसे कोई नहीं कह सकते कि हमने देखी ही रात है तो दिन को मानूं कैसे? लेकिन जब दो नाम हैं, तो उनका पार्ट भी होगा।
वैसे हमने भी सुना है, कि इस कलियुग से कोई ऊंची स्टेज भी थी जिसको सतयुग कहा जाता है! अगर ऐसा ही समय चलता रहे तो फिर उस समय को सतयुग नाम क्यों दिया गया! तो यह सृष्टि अपनी स्टेज बदलती रहती है, जैसे किशोर, बाल, युवा, वृद्ध… बदलते रहते हैं, वैसे सृष्टि भी बदलती रहती है। आज की जीवन और उस जीवन में कितना फर्क है। तो उस श्रेष्ठ जीवन को बनाने का प्रयत्न करना है।
2) “निराकारी दुनिया, आकारी दुनिया और साकारी दुनिया का विस्तार”
इस पूरे ब्रह्माण्ड के अन्दर तीन दुनियायें हैं – एक है निराकारी दुनिया, दूसरी है आकारी, तीसरी है साकारी। अब यह तो जान लिया कि निराकार सृष्टि में तो आत्मायें निवास करती हैं और साकार सृष्टि में साकार मनुष्य सम्प्रदाय निवास करते हैं।
बाकी है आकारी सूक्ष्म सृष्टि, अब विचार चलता है क्या यह आकारी सृष्टि सदा ही है या कुछ समय उसका पार्ट चलता है? दुनियावी मनुष्य तो समझते हैं सूक्ष्म दुनिया कोई ऊपर है, वहाँ फरिश्ते रहते हैं, उसको ही स्वर्ग कहते हैं। वहाँ जाकर सुख भोगेंगे लेकिन अब यह तो स्पष्ट है कि स्वर्ग और नर्क इस सृष्टि पर ही होता है।
बाकी यह जो सूक्ष्म आकारी सृष्टि है, जहाँ शुद्ध आत्माओं का साक्षात्कार होता है, वो तो द्वापर से लेकर शुरू हुए हैं। जब भक्तिमार्ग शुरू होता है तो इससे सिद्ध है निराकार सृष्टि और साकार सृष्टि सदा है ही है। बाकी सूक्ष्म दुनिया सदा तो नहीं कहेंगे, उसमें भी खास ब्रह्मा, विष्णु, शंकर का साक्षात्कार इसी समय हमको होता है क्योंकि इसी समय परमात्मा तीन कर्तव्य करने के लिए तीन रूप रचते हैं।
अच्छा – ओम् शान्ति।
[SOURSE: 2-10-2021 Morning Murli ”Avyakt-BapDada” Madhuban.]
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