28-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बेहद के बाप से तुम बहुत ऊंची पढ़ाई पढ़ रहे हो”

शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – बेहद के बाप से तुम बहुत ऊंची पढ़ाई पढ़ रहे हो, बुद्धि में है पतित-पावन गॉड फादर के हम स्टूडेन्ट हैं, नई दुनिया के लिए पढ़ रहे हैं” 

प्रश्नः रूहानी गवर्मेन्ट से इज़ाफा किन बच्चों को मिलता है?

उत्तर:- जो बहुतों को आप समान बनाने की मेहनत करते हैं। सर्विस का सबूत निकालते हैं उन्हें रूहानी गवर्मेन्ट बहुत बड़ा इज़ाफा देती है। वह भविष्य 21 जन्मों के लिए ऊंच पद के अधिकारी बनते हैं।

गीत:- “भोलेनाथ से निराला……………!”

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Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव
Shiv God Supreem, परमपिता परमात्मा शिव

-: ज्ञान के सागर और पतितपावन निराकार शिव भगवानुवाच :-

अपने रथ प्रजापिता ब्रह्मा द्वारा सर्व ब्राह्मण कुल भूषण ब्रह्मा मुख वंशावली ब्रह्माकुमार कुमारियों प्रति – “मुरली( यह अपने सब बच्चों के लिए “स्वयं भगवान द्वारा अपने हाथो से लिखे पत्र हैं।”)

ओम् शान्ति

शिव भगवानुवाच बाप कहते हैं बच्चों को कि मेरे द्वारा तुम मीठेमीठे बच्चे पढ़ाई पढ़ रहे हो। यह पढ़ाई है ही नई दुनिया के लिए और कोई ऐसा कह सके कि हम नई दुनिया के लिए पढ़ रहे हैं। जितना अच्छी रीति पढ़ेंगे उतनी प्रालब्ध 21 जन्मों के लिए तुम्हारी जमा हो जायेगी। बेहद के बाप से बेहद की पढ़ाई पढ़ रहे हैं। यह बेहद की बहुत ऊंची पढ़ाई है। बाकी तो सब पाई-पैसे की पढ़ाई है।

तो इस बेहद की पढ़ाई में जितना तुम पुरुषार्थ करेंगे उतना ऊंच पद पायेंगे। तुम्हारी बुद्धि में सदैव यह बातें रहनी चाहिए कि हम पतितपावन गॉड फादर के स्टूडेन्ट हैं और नई दुनिया के लिए पढ़ रहे हैं तो तुमको कितना अच्छा पुरुषार्थ करना चाहिए कि हम पढ़कर पहले बाबुल के पास जायेंगे फिर अपनीअपनी पढ़ाई अनुसार जाकर नई दुनिया में पद पायेंगे। वह है लौकिक पढ़ाई, यह है पारलौकिक पढ़ाई अर्थात् परलोक के लिए पढ़ाई। यह तो पुराना पतित लोक है।

तुम जानते हो हम नर्कवासी से स्वर्गवासी बन रहे हैं। यह घड़ीघड़ी याद पड़ना चाहिए तब तुम्हारे दिमाग में खुशी चढ़ेगी। शादी आदि में जाने से बहुत बच्चे भूल जाते हैं। पढ़ाई कभी भूलना नहीं चाहिए और ही खुशी रहनी चाहिए। हम भविष्य 21 जन्मों के लिए स्वर्ग के मालिक बनते हैं। जो अच्छी तरह बहुतों को आप समान बनाते हैं, वह फिर जरूर ऊंच पद पायेंगे। यह राज़ और कोई की बुद्धि में बैठ सके। सर्विस करने का भी अक्ल होता है।

डिपार्टमेंट अलगअलग होती हैं। स्लाइड बनाने वालों को भी बाबा कहते हैं कि स्लाइड एक ही साइज़ में हो जो कोई भी प्रोजेक्टर में चल सके। पहलेपहले स्लाइड हो परमपिता परमात्मा से तुम्हारा क्या सम्बन्ध है? तो वह समझ जायें कि परमपिता परमात्मा हमारा बाप है। उनसे वर्सा क्या मिलता है?

त्रिमूर्ति चित्र , Trimurti -Three Deity Picture
त्रिमूर्ति चित्र , Trimurti -Three Deity Picture

फिर दिखाना है त्रिमूर्ति ब्रह्मा द्वारा हमको यह सूर्यवंशी पद मिलता है। तुम भी पुरुषार्थ कर रहे हो नई दुनिया के लिए। अभी तुम हो संगम पर, पावन दुनिया बनाते हो। तुम्हारी बुद्धि में अब स्मृति गई है। बरोबर हम 5 हजार वर्ष पहले देवीदेवता थे। फिर राज्य गँवाया। बाकी यह राजाई आदि लेते हैं। वह सब हद की बातें हैं।

तुम्हारी है बेहद की लड़ाई, श्रीमत पर तुम 5 विकार रूपी रावण के साथ लड़ते हो। तुम जानते हो ड्रामा में हार जीत का पार्ट है। हर 5 हजार वर्ष के बाद यह ड्रामा का चक्र फिरता है। तो अब तुम बच्चों को श्रीमत पर चलना पड़े, जिसको जो डायरेक्शन मिले। बच्चे कहते हैं हम समझते हैं परन्तु किसको समझा नहीं सकते। यह तो ऐसे हुआ जैसे समझा नहीं हैजितना खुद समझा हुआ है उतना ही पद पायेंगे।

बुद्धि में स्वदर्शन चक्र फिरता ही रहे। स्वदर्शन चक्रधारी तुम बनते हो। दूसरे को अगर आप समान नहीं बनाया तो सर्विसएबुल नहीं ठहरे, इसलिए पूरा पुरुषार्थ करना चाहिए। औरों को भी सिखाना है। ब्राह्मणियों को हर एक के ऊपर मेहनत करनी है। टीचर्स बहुत मेहनत करती हैं तब तो इज़ाफा मिलता है। तुमको तो बहुत बड़ी गवर्मेंन्ट से इज़ाफा मिलता है। सर्विस का सबूत निकालना है। ग़फलत नहीं करनी चाहिए।

यहाँ एक क्लास में हर प्रकार की पढ़ाई होती है। तुम जानते हो हम भविष्य में जाकर देवीदेवता बनेंगे। विनाश भी जरूर होना है। जैसे कल्प पहले स्वर्ग में मकान आदि बनाये थे वही फिर बनायेंगे। ड्रामा मदद करते हैं। वहाँ तो बड़ेबड़े महल बड़ेबड़े तख्त बनाते हैं। यहाँ थोड़ेही इतने बड़े महल सोनेचाँदी आदि के हैं। वहाँ तो हीरेजवाहरात पत्थरों के मिसल होंगे। भक्ति में ही इतने हीरेजवाहरात होते हैं तो सतयुग आदि में क्या नहीं होगा। भल करके साहूकार लोग यहाँ राधेकृष्ण अथवा लक्ष्मीनारायण आदि को सजाते हैं। सोने के जेवर आदि पहनाते हैं।

Paradice Ruler- Laxmi-Narayan, मधुबन - स्वर्ग महाराजा- लक्ष्मी-नारायण
Paradice Ruler- Laxmi-Narayan, मधुबन – स्वर्ग महाराजा- लक्ष्मी-नारायण

बाबा को याद हैएक सेठ था उसने बोला लक्ष्मीनारायण का मन्दिर बनाता हूँ, उसके लिए नये जेवर बनाने हैं। उस समय तो बहुत सस्ताई थी। तो सतयुग में क्या होगा। भक्ति मार्ग में बहुत माल थे, जो सब लूटकर ले गये। अब तुम बच्चों को सारा मालूम पड़ गया है।

यह पढ़ाई है बहुत ऊंची। छोटेछोटे बच्चों को भी सिखलाना चाहिए। राजविद्या के साथ यह भी विद्या देते रहो। शिवबाबा की याद दिलाते रहो। चित्रों पर समझाओ। बच्चों का भी कल्याण करो। शिवबाबा स्वर्ग का रचयिता है। तुम शिवबाबा को याद करेंगे तो स्वर्ग के मालिक बनेंगे। अविनाशी ज्ञान का विनाश तो होता नहीं है। थोड़ा भी सुनाने से राजधानी में आ जायेंगे।

सतयुग में लक्ष्मीनारायण का राज्य था। वह फिर कहाँ गया? हम तुमको समझाते हैं गोया तुमको उस स्वर्ग के मालिक बना देंगे। सिखाने से सीख जायेंगे, मेहनत करनी है। फालतू बातों में टाइम वेस्ट नहीं करना चाहिए। ग़फलत करने से बहुत पछतायेंगे। बाप धन कमाकर बच्चों को देकर जाते हैं।

अभी तो सबका विनाश होना है। अभी भी कितने लड़ाईझगड़े मौत आदि होते रहते हैं। यह कुछ नहीं है। अभी करोड़ों की अन्दाज़ में विनाश होगा, सब जल मर खत्म हो जाने हैं। कब्रिस्तान बनना है तब फिर परिस्तान बनेगा। कब्रिस्तान तो बड़ा है परिस्तान तो छोटा होगा।

मुसलमान भी कहते हैं सब कब्रदाखिल हैं। खुदा आकर सबको जगाते हैं और वापिस ले जाते हैं। इस समय सब आत्मायें कोई कोई रूप में हैं। कब्र में शरीर पड़ा है, बाकी आत्मा जाकर दूसरा शरीर लेती है। इस समय माया ने सबको कब्रदाखिल कर रखा है। सब मरे पड़े हैं। खत्म होने वाले हैं इसलिए किसी से दिल नहीं लगानी है। दिल लगानी है एक के साथ। आखरीन में तुम्हारा सबसे ममत्व मिट जायेगा।

विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel
विश्व सृष्टि चक्र , World Drama Wheel

एक बाप को याद करना है बस। तुम समझते हो हम यह पढ़ाई भविष्य 21 जन्मों के लिए पतितपावन बाप के द्वारा पढ़ रहे हैं। परमपिता परमात्मा मनुष्य सृष्टि का बीजरूप है, चैतन्य है। आत्मा भी चैतन्य है। जब तक आत्मा शरीर में आये तो शरीर जड़ है। आत्मा ही चैतन्य है। अभी आत्मा को ज्ञान मिला है। हर एक आत्मा में अपनाअपना पार्ट नूँधा हुआ है। हर एक की एक्ट अपनीअपनी हैवन्डरफुल ड्रामा है, इसको कुदरत कहा जाता है। इतनी छोटी सी आत्मा में कितना पार्ट नूँधा हुआ है।

यह रूहानी बातें जो सुप्रीम रूह बैठ तुमको समझाते हैं। सैर कराते हैं, यह भी ड्रामा बना हुआ है, जो ड्रामा में नूँध है, उसका साक्षात्कार कराते रहते हैं। भल खेल पहले से ही अनादि बना हुआ है परन्तु मनुष्य नहीं जानते यह अनादि है। तुम तो सब कुछ जानते हो। जो कुछ होता है, एक सेकण्ड के बाद वह पास्ट हो जायेगा। जो पास्ट हो जाता है, तुम समझते हो यह ड्रामा में था।

बाप ने समझाया हैसतयुग से लेकर क्याक्या पार्ट हुआ है। यह बातें दुनिया नहीं जानती। बाप कहते हैं मेरी बुद्धि में जो नॉलेज है, वह तुमको दे रहा हूँ। तुमको भी आप समान बनाता हूँ। यह तो जानते हो सारी दुनिया भ्रष्टाचारी है। अब पहलेपहले पावन बनना और बनाना है। तुम्हारे सिवाए कोई पवित्र बना न सके।

अब बाप की श्रीमत पर चल दैवीगुण धारण करने हैं। बहुत मीठा बोलना है। कोई भी कड़ुआ बोल निकले। सब पर रहम करना है। तुम सबको सिखला सकते होभगवानुवाच मनमनाभव। उनको यह पता नहीं है कि भगवान कौन है और उसने कब गीता सुनाई। तुम अभी समझते हो भगवानुवाचअशरीरी बनो। देह के सब धर्म, मैं मुसलमान हूँ, पारसी हूँ, यह सब छोड़ दो। यह कौन कहते हैं? आत्मायें तो सभी आपस में भाईभाई हैं। एक बाप के बच्चे हैं।

84 जन्मों कि सीढ़ी , Ladder of 84 Human Births
84 जन्मों कि सीढ़ी , Ladder of 84 Human Births

आत्मायें अपने भाईयों को समझाती हैं कि बाप कहते हैं मामेकम् याद करो तो तुम मुक्तिधाम में जायेंगे। सब निर्वाणधाम जाने वाले हैं। दो अक्षर भी याद कर समझाना चाहिए। भगवान सबका एक है। श्रीकृष्ण तो हो सके। अब बाप कहते हैं देह के सभी धर्म त्याग मामेकम् याद करो। आत्मा प्रकृति का आधार लेकर यहाँ पार्ट बजाती है। क्राइस्ट के लिए भी कहते हैं कि अभी वह बेगर है। सभी की पुरानी जुत्ती है। क्राइस्ट ने भी जरूर पुनर्जन्म लिया होगा। अभी तो लास्ट जन्म में होगा।

इन मैसेन्जर्स को भी बाप ही आकर जगाते हैं। पतितों को पावन बनाने वाला एक ही बाप है। सभी को पुनर्जन्म लेतेलेते नीचे आना ही है। अभी कलियुग का अन्त है। आगे चलकर यह भी मानेंगे। आवाज निकलेगा कि बाप आया हुआ है। महाभारी लड़ाई में भगवान का नाम है ना। परन्तु नाम बदली कर दिया है। विनाश और स्थापना यह तो भगवान का ही काम है। बाप ही आकर स्वर्ग के द्वार खोलेंगे। तुम बुलाते हो बाबा आओ, आकर वैकुण्ठ का द्वार खोलो। तुम्हारे द्वारा बाप आकर द्वार खोलते हैं। तुम्हारा नाम बाला हैशिव शक्ति सेना। तुमको पाण्डव क्यों कहते हैं क्योंकि तुम रूहानी पण्डे हो, स्वर्ग का रास्ता बताते हो। बाप बैठ सभी शास्त्रों का सार बताते हैं।

इन बातों को समझेंगे वही जिन्होंने कल्प पहले समझा है। हम आत्मायें पण्डे हैं सबको शान्तिधाम में ले जायेंगे फिर सुखधाम में आना है। दु:खधाम का विनाश होना हैइसके लिए यह महाभारत लड़ाई है। तुम्हारी बुद्धि में सारी डिटेल है। मनमनाभव, मध्याजीभव इनमें सारा ज्ञान जाता है। जैसे बाबा नॉलेजफुल है, तुम बच्चे भी बनते हो।

KRISHNA-Satyug Prince , सतयुग राजकुमार
KRISHNA-Satyug Prince , सतयुग राजकुमार

सिर्फ दिव्य दृष्टि की चाबी मैं अपने पास रखता हूँ। इसके बदले फिर तुमको विश्व का मालिक बनाता हूँ। मैं नहीं बनता हूँ। यह फ़र्क रहता है। दिव्य दृष्टि का पार्ट भी तुम्हारे काम में आता है। भावना के भूगरे (चने) दे देते हैं। बाबा ने समझाया हैजगत अम्बा का कितना मेला लगता है। लक्ष्मी का इतना मेला नहीं लगता। कितना फ़र्क है। लक्ष्मी के चित्र को तिजोरी में रखते हैं कि धन मिलेगा। भक्ति मार्ग में मिलते हैं भूगरे (चने) ज्ञान में मिलते हैं हीरे। लक्ष्मी से सिर्फ धन मांगते हैं। उनको ऐसे नहीं कहेंगे कि बच्चा दो, तन्दरूस्ती दो। जगत अम्बा के पास सब आशायें ले जाते हैं।

अभी तुम समझते हो हम पूज्य थे, अब पुजारी बने हैं फिर पूज्य बनते हैं। ज्ञान से रोशनी मिल गई है बच्चों को। तुम कितने निराले बन गये हो। ज्ञान अंजन सतगुरू दियातुम ड्रामा के आदिमध्यअन्त को जान गये हो। बुद्धि में गया है तो तुमको इस पढ़ाई का कितना कदर रहना चाहिए। वह पढ़ाई तुम जन्मजन्मान्तर पढ़ते आये हो, मिलता क्या है? भूगरे (चने) यह पढ़ाई एक जन्म पढ़ने से तुमको हीरेजवाहरात मिलते हैं।

अब पुरुषार्थ करना तो तुम बच्चों का काम है। नहीं पढ़ते हैं तो इसमें टीचर क्या करेंगे? कृपा की तो यहाँ बात ही नहीं। संगम पर देवताओं की सारी राजधानी स्थापन हो रही है। योगबल से तुम अपने विकर्मों का विनाश करते हो और ज्ञान बल अर्थात् नॉलेज से तुम कितना ऊंच बनते हो। ज्ञान सागर और ज्ञान नदियों द्वारा स्नान करने से सद्गति होती है। बच्चों को समझाने की युक्तियाँ मिलती रहती हैं।

ड्रामा प्लैन अनुसार जो कल्प पहले समझाया है वही समझाते रहते हैं। बच्चे भी नम्बरवार आते रहते हैं। ब्राह्मण कुल की वृद्धि होनी ही है। तुम बच्चों को महादानी बनना है। जो कोई आये उनको कुछ कुछ समझाते रहो। शंखध्वनि करनी है। यहाँ जितनी तुम धारणा कर सकते हो उतनी घर में नहीं होती। शास्त्रों में भी मधुबन का गायन है वहाँ मुरली बजती है। अच्छा!

मीठेमीठे सिकीलधे बच्चों प्रति मातपिता बापदादा का यादप्यार और गुडमार्निग। रूहानी बाप की रूहानी बच्चों को नमस्ते। ओम् शान्ति।

धारणा के लिए मुख्य सार :-

1) पढ़ाई का बहुत कदर रखना है। बाप से कृपा आदि नहीं मांगनी है। ज्ञान और योगबल जमा करना है।

2) रहमदिल बनना है। मुख से कभी कड़ुवे बोल नहीं बोलने हैं। सदा मीठा बोलना है। आप समान बनाने की सेवा जरूर करनी है।

वरदान:-        विकारों रूपी सांपों को गले की माला बना देने वाले सच्चे तपस्वी भव

ये पांच विकार लोगों के लिए जहरीले सांप हैं लेकिन आप योगी तपस्वी आत्माओं के लिए ये सांप गले की माला बन जाते हैं इसलिए आप ब्राह्मणों के और ब्रह्मा बाप के अशरीरी, तपस्वी शंकर स्वरूप के यादगार में सांपों की माला गले में दिखाते हैं। सांप आपके लिए खुशी में नाचने की स्टेज बन जाते हैं, यह अधीनता की निशानी दिखाई है। स्थिति ही स्टेज है। तो जब विकारों पर इतनी विजय हो तब कहेंगे सच्चे तपस्वी।

स्लोगन:-       “पुराने संसार वा संस्कारों से मरना ही जीते जी मरना है। ओम् शान्ति।

मधुबन मुरली:- सुनने के लिए Video को सेलेक्ट करे।  

अच्छा – ओम् शान्ति।

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नोट: यदि आपमुरली = भगवान के बोल को समझने में सक्षम नहीं हैं, तो कृपया अपने शहर या देश में अपने निकटतम ब्रह्मकुमारी राजयोग केंद्र पर जाएँ और परिचयात्मक “07 दिनों की कक्षा का फाउंडेशन कोर्स” (प्रतिदिन 01 घंटे के लिए आयोजित) पूरा करें।

खोज करो:ब्रह्मा कुमारिस ईश्वरीय विश्वविद्यालय राजयोग सेंटर” मेरे आस पास.

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