“ज्ञान, योग और दैवी गुणों की धारणा जीवन का आधार है”, “भारत का प्राचीन योग परमात्मा द्वारा सिखाया हुआ है”
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मातेश्वरी जी के अनमोल महावाक्य:-
1) “ज्ञान, योग और दैवी गुणों की धारणा जीवन का आधार है”
यह तो अपने को निश्चय है कि परमपिता परमात्मा द्वारा हमें नॉलेज मिल रही है, इस नॉलेज मे मुख्य तीन प्वाइन्ट हैं जिसके लिये अपने को पूरा पुरुषार्थ करने का ध्यान रखना है।
- इसमें पहले है – योग अथवा ईश्वरीय निरंतर याद, जिससे विकर्मों का विनाश होता है।
- दूसरा है – ज्ञान माना इस सारे ब्रह्माण्ड, सृष्टि की आदि-मध्य-अन्त कैसे होती है, जब यह नॉलेज हो तब ही इस लाइफ में प्रैक्टिकल चेंज आ सकती है और हम भविष्य प्रालब्ध अच्छी बना सकते हैं।
- तीसरी प्वाइन्ट है – क्वालिफिकेशन तो हमको सर्वगुण सम्पन्न, 16 कला सम्पूर्ण अवश्य बनना है तब ही देवता बन सकते हैं।
“तो अपने आपको चलते-फिरते, खाते-पीते इन तीनों प्वाइन्ट पर ध्यान देना जरुरी है। इस एक ही जन्म में ज्ञान बल, योग बल और दैवी गुणों की धारणा की जाती है।“
तीनों का आपस में कनेक्शन है – ज्ञान बिगर योग नहीं लग सकता और योग बिगर दैवी गुणों की धारणा नहीं होती, इन तीनों प्वाइन्ट पर सारी जीवन का आधार है, तब ही विकर्मों का खाता खलास हो अच्छे कर्म बनते हैं। इसे ही ईश्वरीय जीवन कहा जाता है।
2) “भारत का प्राचीन योग परमात्मा द्वारा सिखाया हुआ है”
अपना यह ईश्वरीय योग भारत में प्राचीन योग के नाम से मशहूर है। इस योग को अविनाशी योग क्यों कहते हैं? क्योंकि अविनाशी परमपिता परमात्मा द्वारा सिखाया गया है। भल योग और मनुष्य आत्मायें भी सिखाती हैं इसलिये योगाश्रम वगैरा खोलते रहते हैं परन्तु वो प्राचीन योग सिखला नहीं सकते। अगर ऐसा योग होता तो फिर वो बल कहाँ! भारत तो दिन प्रतिदिन निर्बल होता जाता है इससे सिद्ध है वह योग अविनाशी योग नहीं है, जिसके साथ योग लगाना है वह खुद ही सिखला सकता है।
बाकी औरों से तो योग लगाना ही नहीं है तो फिर सिखलायेंगे कैसे? यह तो स्वयं परमात्मा ही कार्य कर सकता है, वही हमें पूरा भेद बता सकता है। बाकी तो सब तरफ कहते रहते हैं, हम योग सिखलायेंगे।
“यह तो हम जानते हैं कि सच्चा योग तो खुद परमात्मा ही सिखलाए सूर्यवंशी चन्द्रवंशी घराना व दैवी राज्य स्थापन करते हैं। अब वो प्राचीन योग परमात्मा आकर कल्प-कल्प हमें सिखलाते हैं। कहते हैं हे आत्मा मुझ परमात्मा के साथ निरन्तर योग लगाओ तो तुम्हारे पाप नष्ट हो जायेंगे।“
अच्छा। ओम् शान्ति।
[SOURSE: 7-10-2021 प्रात: मुरली ओम् शान्ति ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन.]
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