“यह ईश्वरीय ज्ञान सारी सृष्टि का रचता, ऊंचे ते ऊंचा परमात्मा हमको पढ़ाता है।”
इस ईश्वरीय ज्ञान से अपने को अपनी जीवन बनानी है जिस कारण ईश्वर से वो शक्ति लेनी है।
- ओम् शान्ति।...
30-6-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli.
It is said: Give one and receive a thousand fold. When you give perishable treasures, they diminish, but when you give imperishable treasures, they increase. However, only those who are full can give to others. Those who have true remembrance receive all attainments automatically. They do not need to...
30-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
कहा जाता है - एक दो हजार पाओ, विनाशी खजाना देने से कम होता है, अविनाशी खजाना देने से बढ़ता है। लेकिन दे वही सकता है जो स्वयं भरपूर है।- ओम् शान्ति।...
29-6-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli.
Whatever doors there are for Maya to enter, put a double lock of remembrance and service on them. If Maya comes even when you do stay in remembrance and do service, there is then definitely something missing in your remembrance and service. Real service is that in which there...
“What is your real aim?”
People ask for happiness, peace and purity, they can only be attained when they stay fully in yoga..... – Om Shanti....
“अपना असली लक्ष्य क्या है?”
मनुष्य चाहते हैं हमको सुख शान्ति पवित्रता चाहिए, वो भी जब पूर्ण योग होगा तब ही प्राप्ति होगी ....- ओम् शान्ति।...
“Difference between souls and the Supreme Soul.”
There is the one who fulfils the desire and this is why you remember that One. – Om Shanti....
“आत्मा और परमात्मा में फर्क”
जिस द्वारा वो इच्छा पूर्ण होती है वो अवश्य कोई देने वाला है, तभी तो उनको याद किया जाता है। - ओम् शान्ति।...
27-6-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli.
The Godly shrimat that you elevated, fortunate souls receive at the confluence age is your most elevated sustenance. You cannot take even one step without shrimat, that is, without God’s sustenance. You cannot receive such sustenance in the golden age. – Om Shanti....
27-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
संगमयुग पर आप श्रेष्ठ भाग्यवान आत्माओं को जो परमात्म श्रीमत मिल रही है - यह श्रीमत ही श्रेष्ठ पालना है। बिना श्रीमत अर्थात् परमात्म पालना के एक कदम भी उठा नहीं सकते। ऐसी पालना सतयुग में भी नहीं मिलेगी। - ओम् शान्ति...