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11-4-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – जीते जी मरजीवा बनो”

जो बच्चे बाप को पहचान कर दिल से एक बार भी “मेरा बाबा'' कहते हैं तो रहम के सागर बापदादा ऐसे बच्चों को रिटर्न में पदमगुणा उसी रूहानी प्यार से देखते हैं। रहम और स्नेह की दृष्टि उन्हें सदा आगे बढ़ाती रहती है। यही रूहानी मेरे पन की स्मृति...

10-4-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – श्रेष्ठ बनने के लिए सदा श्रीमत पर चलते रहो”

नम्बरवन की निशानी है हर बात में विन करने वाले। किसी भी बात में हार न हो, सदा विजयी। यदि चलते-चलते कभी हार होती है तो उसका कारण है मर्यादाओं में नीचे ऊपर होना। लेकिन यह संगमयुग है मर्यादा पुरुषोत्तम बनने का युग। - ओम् शान्ति।...

9-4-2023 – ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 9-03-1994: “न्यारा-प्यारा वन्डरफुल स्नेहऔरसुखभराअवतरण – शिवजयन्ती”

जैसे स्थूल रोशनी (लाइट) पर परवाने स्वत: आते हैं, ऐसे आप चमकते हुए सितारों पर भटकी हुई आत्मायें फास्ट गति से आयेंगी। इसके लिए अभ्यास करो - हर एक के मस्तक पर सदा चमकते हुए सितारे को देखने का। शरीरों को देखते भी न देखो। सदा नज़र चमकते हुए...

25-1-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – बाप को याद करने की खूब मेहनत करो”

एक दो के साथ सम्बन्ध वा सम्पर्क में आते हर एक की विशेषता को देखो। विशेषता देखने की ही दृष्टि धारण करो। जैसे आजकल का फैशन और मजबूरी चश्मे की है। तो विशेषता देखने वाला चश्मा पहनो। तो विशेषता के चश्में द्वारा कीचड़ को न देख कमल को देखने...

24-1-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – यही संगमयुग है जब आत्मा और परमात्मा का संगम (मेल) होता है”

इस विशेष युग में विशेषता के बीज का सबसे श्रेष्ठ फल है “सन्तुष्टता''। सन्तुष्ट रहना और सर्व को सन्तुष्ट करना - यही विशेष आत्मा की निशानी है, इसलिए विशेषताओं के बीज अथवा वरदान को सर्व शक्तियों के जल से सींचो तो बीज फलदायक हो जायेगा। तो विधिपूर्वक शक्तिशाली बीज...