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13-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “अब तुम्हारे सुख के दिन आये कि आये”

इस कल्याणकारी युग में, कल्याणकारी बाप के साथ-साथ आप बच्चे भी कल्याणकारी हो। आपकी चैलेन्ज है कि हम विश्व परिवर्तक हैं। दुनिया वालों को सिर्फ विनाश दिखाई देता इसलिए समझते हैं - यह अकल्याण का समय है लेकिन आपके सामने विनाश के साथ स्थापना भी स्पष्ट है और मन...

“हम ईश्वर के दरबार में कुछ भी जमा कैसे कर सकते?“

"जब तक अपनी प्रैक्टिकल जीवन में कर्म श्रेष्ठ नहीं बने हैं तब तक कितनी भी मेहनत करेंगे तो भी मुक्ति जीवनमुक्ति प्राप्त नहीं करेंगे।" - ओम् शान्ति।...

12-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें रूहानी कमाई में बहुत-बहुत ध्यान देना है”

आप तपस्वी बच्चों का आसन है - एकरस स्थिति, फरिश्ता स्थिति। इन्हीं श्रेष्ठ स्थितियों के आसन पर स्थित होकर तपस्या करो। जैसे स्थूल आसन पर शरीर बैठता है ऐसे श्रेष्ठ स्थिति के आसन पर मन-बुद्धि को बिठा दो - ओम् शान्ति।...

11-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “आपस में मिलकर राय निकालो कि कैसे सभी को सत्य बाप का परिचय दें”

एक तरफ राज्य और दूसरे तरफ ऋषि अर्थात् बेहद के वैरागी। ऐसे राजऋषि का कहाँ भी - चाहे अपने में, चाहे व्यक्ति में, चाहे वस्तु में..... लगाव नहीं हो सकता। इसलिए स्वयं को राजऋषि समझना अर्थात् राजा के साथ-साथ बेहद के वैरागी बनना।- ओम् शान्ति।...

10-10-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “भारत को पाक (पावन) बनाने की सेवा पर रहना है”

जो बच्चे तीव्र पुरूषार्थी हैं वह हर घड़ी को अन्तिम घड़ी समझकर एवररेडी रहते हैं। यही सोचो कि अपनी अन्तिम घड़ी का कोई भरोसा नहीं इसलिए एवररेडी, अपनी स्थिति सदा उपराम रहे। सबसे न्यारे और बाप के प्यारे, नष्टोमोहा। सदा निर्मोही और निर्विकल्प, निरव्यर्थ, व्यर्थ भी न हो तब...