Tag: Spiritual Gyan

27-6-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli.

The Godly shrimat that you elevated, fortunate souls receive at the confluence age is your most elevated sustenance. You cannot take even one step without shrimat, that is, without God’s sustenance. You cannot receive such sustenance in the golden age. – Om Shanti....

27-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

संगमयुग पर आप श्रेष्ठ भाग्यवान आत्माओं को जो परमात्म श्रीमत मिल रही है - यह श्रीमत ही श्रेष्ठ पालना है। बिना श्रीमत अर्थात् परमात्म पालना के एक कदम भी उठा नहीं सकते। ऐसी पालना सतयुग में भी नहीं मिलेगी। - ओम् शान्ति...

“यह ईश्वरीय सतसंग कॉमन सतसंग नहीं है”

जैसे रोज़ाना स्कूल में मास्टर पढ़ाए डिग्री देता है, वैसे यहाँ भी स्वयं परमात्मा गुरु, पिता, टीचर के रूप में हमको पढ़ाए सर्वोत्तम देवी देवता पद प्राप्त कराते हैं - ओम् शान्ति।...

26-06-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli. Revised:26-10-1991.

You Brahmin children have received this alokik birth directly from the eternal Father and the original Father. Those who have taken this birth from the Bestower of Fortune are so fortunate. By keeping your elevated fortune constantly in your awareness, you remain cheerful and you will then be said...

26-6-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:26-10-1991. “तपस्या का प्रत्यक्ष-फल – खुशी”.

आप ब्राह्मण बच्चों को डायरेक्ट अनादि पिता और आदि पिता द्वारा यह अलौकिक जन्म प्राप्त हुआ है। जिसका जन्म ही भाग्यविधाता द्वारा हुआ हो, वह कितना भाग्यवान हुआ। अपने इस श्रेष्ठ भाग्य को सदा स्मृति में रखते हुए हर्षित रहो- तब कहेंगे श्रेष्ठ भाग्यवान आत्मा। - ओम् शान्ति।...

25-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

जैसे बाप बड़े से बड़े परिवार वाला है लेकिन जितना बड़ा परिवार है, उतना ही न्यारा और सर्व का प्यारा है, ऐसे फालो फादर करो। संगठन में रहते सदा निर्विघ्न और सन्तुष्ट रहने के लिए जितनी सेवा उतना ही न्यारा पन हो। कितना भी कोई हिलावे,लेकिन संकल्प में भी...

25-6-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli.

The Father has the largest family of all, but the larger the family, the more He is detached and loving to all Follow the Father in the same way. While being in a gathering, in order to be constantly free from obstacles and stay content, be just as detached...