26-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हारा उद्देश्य है मनुष्य से देवता बनना और बनाना”
संगमयुग की ही विशेषता है जो एक की पदमगुणा प्राप्ति होती है और प्रत्यक्षफल भी मिलता है। अभी-अभी सेवा की और अभी-अभी खुशी रूपी फल मिला। तो जो प्रत्यक्षफल अर्थात् ताजा फ्रूट खाने वाले हैं वह शक्तिशाली वा तन्दरूस्त होते हैं। कोई कमजोरी उनके पास आ नहीं सकती। अलर्ट...
25-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “सच्चाई और पवित्रता का गुण धारण करो तो सेवा में सफलता मिलती रहेगी”
जो बच्चे दूर बैठे भी सदा बाप की दिल के समीप हैं उन्हें सहयोग का अधिकार प्राप्त है और अन्त तक सहयोग मिलता रहेगा। बाप कम्बाइन्ड है इसलिए सदा उमंग-उत्साह से तीव्र पुरूषार्थी बन आगे बढ़ते रहना। कमजोरी वा दिलशिकस्त-पन बाप के हवाले कर दो, अपने पास सिर्फ...
24-11-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Morning Murli: “Children remember Me imbibe knowledge and serve others.”
In order to become a natural yogi, keep your mind and intellect completely free from all waste. For this, as well as being knowledge-full, also become powerful. Knowledge means understanding and someone who knows how to understand, how to finish and how to transform is considered to be sensible....
“बदनसीबी और खुशनसीबी यह दो शब्दों का मदार किस पर चलता है?”
खुशनसीब बनाने वाला परमात्मा और बदनसीब बनाने वाला खुद ही मनुष्य है। - ओम् शान्ति।...
23-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “आसुरी सोसायटी को दैवी सोसायटी बनाने की सेवा करो”
जैसे वाणी द्वारा सेवा करते हो ऐसे वाणी के साथ वृत्ति द्वारा सेवा करो तो फास्ट सेवा होगी क्योंकि बोल तो समय पर भूल जाते हैं लेकिन वायब्रेशन के रूप में मन और बुद्धि पर छाप लग जाती है।इसलिए मन-बुद्धि को व्यर्थ वायब्रेशन से मुक्त रखो - तब डबल...
21-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पहले अपना भला करो फिर दूसरों का भला करने के लिए सेवा करो”
महानता की निशानी निर्मानता है, जितना निर्मान बनेंगे उतना सबके दिल में महान स्वत: बनेंगे। निर्मानता निरंहकारी सहज बनाती है। निर्मानता महिमा योग्य बना देती है। निर्मानता सबके मन में प्यार का स्थान बना देती है, वह बाप समान मास्टर सुखदाता बन जाते हैं।- ओम् शान्ति।...
20-11-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 20-12-1992: “आज्ञाकारी ही सर्वशक्तियों के अधिकारी”
अभिमान अर्थात् अंहकार, नशा, रोब - ये सूक्ष्म देह-अभिमान है। तो यह अभिमान कभी भी आकारी फरिश्ता वा निराकारी बनने नहीं देगा, इसलिए इसके अंश मात्र का भी त्याग करो तो सहज ही आकारी सो निराकारी बन सकेंगे। - ओम् शान्ति।...
19-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “पावन बनने वालों को ही सद्गति प्राप्त होगी”
सम्पूर्ण पवित्र वह है जिसमें अपवित्रता का अंश-मात्र भी न हो। पवित्रता ही ब्राह्मण जीवन की पर्सनैलिटी है। यह पर्सनैलिटी ही सेवा में सहज सफलता दिलाती है।जैसे पवित्रता के साथ सुख-शान्ति है, ऐसे अपवित्रता के साथ पांचों विकारों का गहरा संबंध है, इसलिए एक भी विकार का अंश न...
18-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुमने जीते जी बेहद के बाप की गोद ली है उनकी सन्तान बने हो तो श्रीमत पर जरूर चलना है”
जैसे ब्राह्मण फैमली बढ़ाने की प्लैनिंग करते हो, ऐसे अब यह भी प्लैन करो जो कोई भी आत्मा ब्राह्मण परिवार से किनारे नहीं हो जाए। किले को ऐसा मजबूत बनाओ जो कोई जा ही नहीं सके। जब इस यज्ञ के किले को अपने योग के पावरफुल वायब्रेशन द्वारा मजबूत...
17-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें जितना बाबा कहने से सुख फील होता है उतना भक्तों को भगवान वा ईश्वर कहने से नहीं फील हो सकता।”
जब भी अकेलेपन का अनुभव हो तो उस समय बिन्दू रूप को याद नहीं करो। वह मुश्किल होगा, उससे बोर हो जायेंगे। उस समय अपने रमणीक अनुभवों की कहानी को स्मृति में लाओ, अपने स्वमान की, प्राप्तियों की लिस्ट सामने लाओ। कम्बाइन्ड बन सर्व सम्बन्धों के स्नेह का रस...