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16-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बाप को और चक्र को याद करो – मुख से कुछ भी बोलने की दरकार नहीं”

ब्राह्मण जन्म की विशेष सौगात दिव्य बुद्धि है। इस दिव्य बुद्धि द्वारा बाप को, अपने आपको और तीनों कालों को स्पष्ट जान सकते हो। दिव्य बुद्धि से ही याद द्वारा सर्व शक्तियों को धारण कर सकते हो। दिव्य बुद्धि त्रिकालदर्शी स्थिति का अनुभव कराती है, उनके सामने तीनों ही...

15-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “किसी में भी मोह नहीं रखना है – मोह जीत बनना है”

संगमयुगी ब्राह्मण अर्थात् दु:ख का नाम-निशान नहीं क्योंकि सुखदाता के बच्चे मास्टर सुखदाता हो। जो मास्टर सुखदाता, सुख स्वरूप हैं वह स्वयं दु:ख में कैसे आ सकते हैं। बुद्धि से दु:खधाम का किनारा कर लिया। वे स्वयं तो सुख स्वरूप रहते ही हैं लेकिन औरों को भी सदा सुख...

14-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है”

संगमयुग परमात्म स्नेह का युग है। इस युग के महत्व को जानकर स्नेह की अनुभूतियों में समा जाओ। स्नेह का सागर स्नेह के हीरे मोतियों की थालियां भरकर दे रहे हैं, तो अपने को सदा भरपूर करो।ये परमात्म प्यार के हीरे-मोती अनमोल हैं, इससे सदा सजे सजाये रहो...

13-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “शिवजयन्ती का त्योहार बड़े ते बड़ा त्योहार है इसे तुम बच्चों को बहुत धूमधाम से मनाना है”

स्नेह की शक्ति मेहनत को सहज कर देती है, जहाँ मोहब्बत है वहाँ मेहनत नहीं होती। मेहनत मनोरंजन बन जाती है।रमात्म स्नेही आत्मायें सहज ही मेहनत से मुक्त हो जाती हैं। यह स्नेह का वरदान सदा स्मृति में रहे तो कितनी भी बड़ी परिस्थिति हो, प्यार से, स्नेह से...

12-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हारा बुद्धि-योग सदा ऊपर लटका रहे”

यदि सेवा योगयुक्त और यथार्थ है तो सेवा का फल खुशी, अतीन्द्रिय सुख, डबल लाइट की अनुभूति अथवा बाप के कोई न कोई गुणों की अनुभूति प्रत्यक्षफल के रूप में जरूर होती है। और जो प्रत्यक्षफल खाते हैं वह मन-बुद्धि से सदा तन्दरूस्त रहते हैं।प्रत्यक्षफल सदा हेल्दी बनाता है...

11-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “प्रत्यक्षता का आधार – दृढ़ प्रतिज्ञा”

श्रेष्ठ कर्म की निशानी है - स्वयं भी सन्तुष्ट और दूसरे भी सन्तुष्ट। ऐसे नहीं मैं तो सन्तुष्ट हूँ, दूसरे हों या नहीं। योगी जीवन वाले का प्रभाव दूसरों पर स्वत: पड़ता है। योगी जीवन के तीन सर्टीफिकेट हैं - एक स्व से सन्तुष्ट, दूसरा - बाप सन्तुष्ट और...

10-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम रूहानी अश्व हो – तुम्हें विजयी रत्न बनने की रेस करनी है”

कर्मयोगी आत्मा का हर कर्म योगयुक्त, युक्तियुक्त होगा।निरन्तर योग अर्थात् याद का आधार है प्यार। जो प्यारा लगता है वह स्वत: याद रहता है। प्यार वाली चीज़ अपनी ओर आकर्षित करती है। तो हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर बोल सदा श्रेष्ठ हो और एक बाप से दिल का प्यार...

9-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “आत्मा का स्वधर्म शान्ति है – इसलिए शान्ति नहीं मांगनी है स्वधर्म में टिकना है”

पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं लेकिन मन्सा संकल्प में भी किसी के प्रति निगेटिव संकल्प नहीं हो, बोल में भी कोई ऐसे शब्द न निकलें, सम्बन्ध-सम्पर्क भी सबसे अच्छा हो, किसी में जरा भी अपवित्रता खण्डित न हो तब कहेंगे पूज्य आत्मा। तो पवित्रता के फाउण्डेशन को चेक करो। ...

8-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम रूहानी आशिक हो – एक माशुक परमात्मा के तुम्हें एक को ही दिल से याद करना है”

कैसी भी आत्मायें हों लेकिन अपनी दृष्टि, अपनी भावना प्यार की हो - इसको कहा जाता है सर्व के प्यारे। कोई इनसल्ट करे या घृणा सबके प्रति प्यार हो। चाहे संबंधी क्या भी कहें, क्या भी करें लेकिन आपकी भावना शुद्ध हो, सर्व के प्रति कल्याण की हो -...

7-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें अच्छे संस्कार धारण कर पतितों को पावन बनाने की सर्विस करनी है”

मेरेपन का विस्तार ही बोझ है।संकल्प में भी मेरे पन का भान आया तो समझो मैले हो गये। किसी भी चीज़ पर मैल चढ़ जाए तो मैल का बोझ हो जायेगा। तो सब बोझ बाप हवाले कर मेरेपन की मैल को समाप्त करो तो फरिश्ता बन जायेंगे।- ओम् शान्ति।...