5-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
हम कल्प-कल्प की विजयी आत्मा हैं, विजय का तिलक मस्तक पर सदा चमकता रहे तो यह विजय का तिलक औरों को भी खुशी दिलायेगा क्योंकि विजयी आत्मा का चेहरा सदा ही हर्षित रहता है। जब अन्त में किसी के पास सुनने का समय नहीं होगा तब आपका आकर्षण मूर्त...
3-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जैसे बाप परम आत्मा है, वैसे विशेष पार्ट बजाने वाले बच्चे भी हर बात में परम यानी श्रेष्ठ हैं। सिर्फ चलते-फिरते, खाते-पीते विशेष पार्टधारी समझकर ड्रामा की स्टेज पर पार्ट बजाओ। हर समय अपने कर्म अर्थात् पार्ट पर अटेन्शन रहे। - ॐ शान्ति। ...
31-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
समय प्रमाण लव और लॉ दोनों का बैलेन्स चाहिए। लॉ में भी लव महसूस हो, इसके लिए आत्मिक प्यार की मूर्ति बनो तब हर समस्या को हल करने में सहयोगी बन सकेंगे। शिक्षा के साथ सहयोग देना ही आत्मिक प्यार की मूर्ति बनना है। - ॐ शान्ति। ...
30-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
कर्म में, वाणी में, सम्पर्क व सम्बन्ध में लव और स्मृति व स्थिति में लवलीन रहना है, जो जितना लवली होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है। अभी आप बच्चे बाप के लव में लवलीन रह औरों को भी सहज आप-समान व बाप-समान बना देते हो। - ॐ...
29-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
परमात्म प्यार इस श्रेष्ठ ब्राह्मण जन्म का आधार है। कहते भी हैं प्यार है तो जहान है, जान है। प्यार नहीं तो बेजान, बेजहान है। प्यार मिला अर्थात् जहान मिला।तो सदा प्यार के सागर में लवलीन रहो। - ॐ शान्ति। ...
28-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
विश्व परिवर्तन के लिए सूक्ष्म शक्तिशाली स्थिति वाली आत्मायें चाहिए। जो अपनी वृत्ति द्वारा श्रेष्ठ संकल्प द्वारा अनेक आत्माओं को परिवर्तन कर सकें। तो सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं लेकिन औरों को भी शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करो। तो भावना और ज्ञान, स्नेह और योग के...
27-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
कभी भी अपनी स्नेही मूर्त, स्नेह की सीरत, स्नेही व्यवहार, स्नेह के सम्पर्क-सम्बन्ध को छोड़ना, भूलना मत। चाहे कोई व्यक्ति, चाहे प्रकृति, चाहे माया कैसा भी विकराल रूप, ज्वाला रूप धारण कर सामने आये लेकिन उसे सदा स्नेह की शीतलता द्वारा परिवर्तन करते रहना। स्नेह की दृष्टि, वृत्ति और...
20-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जीवन में उड़ती कला वा गिरती कला का आधार दो बातें हैं - भावना और भाव। सर्व के प्रति कल्याण की भावना, स्नेह-सहयोग देने की भावना, हिम्मत-उल्लास बढ़ाने की भावना, आत्मिक स्वरूप की भावना वा अपने पन की भावना ही सद्भावना है, ऐसी भावना वाले ही अव्यक्त स्थिति में...
5-1-2022 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli
The consciousness of being a instrument easily finishes all burdens. “It is my responsibility. I alone have to look after it. I have to think about it.” It then become a burden. It is the Father’s responsibility and the Father has made me a trustee, that is, an instrument....
12-12-2021 ”Avyakt-BapDada” Madhuban Murli
In the memorials, a third eye is shown on the forehead of a yogi. You true yogi children must constantly stay in the company of the one Father with your intellects in order to grant a vision of the third eye through your foreheads. One is the Father, the...