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1-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

चारों ओर आवाज का वायुमण्डल हो लेकिन आप एक सेकण्ड में फुलस्टॉप लगाकर व्यक्त भाव से परे हो जाओ, एकदम ब्रेक लग जाए तब कहेंगे अव्यक्त फरिश्ता वा अशरीरी। बुद्धि और कहाँ भी नहीं जाये, बस बाप और मैं, बुद्धि को जहाँ लगाने चाहें वहाँ लग जाए। -ॐ शान्ति।...

31-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

समय प्रमाण लव और लॉ दोनों का बैलेन्स चाहिए। लॉ में भी लव महसूस हो, इसके लिए आत्मिक प्यार की मूर्ति बनो तब हर समस्या को हल करने में सहयोगी बन सकेंगे। शिक्षा के साथ सहयोग देना ही आत्मिक प्यार की मूर्ति बनना है। - ॐ शान्ति। ...

30-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

कर्म में, वाणी में, सम्पर्क व सम्बन्ध में लव और स्मृति व स्थिति में लवलीन रहना है, जो जितना लवली होगा, वह उतना ही लवलीन रह सकता है। अभी आप बच्चे बाप के लव में लवलीन रह औरों को भी सहज आप-समान व बाप-समान बना देते हो। - ॐ...

29-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

परमात्म प्यार इस श्रेष्ठ ब्राह्मण जन्म का आधार है। कहते भी हैं प्यार है तो जहान है, जान है। प्यार नहीं तो बेजान, बेजहान है। प्यार मिला अर्थात् जहान मिला।तो सदा प्यार के सागर में लवलीन रहो। - ॐ शान्ति। ...

28-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

विश्व परिवर्तन के लिए सूक्ष्म शक्तिशाली स्थिति वाली आत्मायें चाहिए। जो अपनी वृत्ति द्वारा श्रेष्ठ संकल्प द्वारा अनेक आत्माओं को परिवर्तन कर सकें। तो सिर्फ स्वयं के प्रति भावुक नहीं लेकिन औरों को भी शुभ भावना, शुभ कामना द्वारा परिवर्तित करो। तो भावना और ज्ञान, स्नेह और योग के...

27-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

कभी भी अपनी स्नेही मूर्त, स्नेह की सीरत, स्नेही व्यवहार, स्नेह के सम्पर्क-सम्बन्ध को छोड़ना, भूलना मत। चाहे कोई व्यक्ति, चाहे प्रकृति, चाहे माया कैसा भी विकराल रूप, ज्वाला रूप धारण कर सामने आये लेकिन उसे सदा स्नेह की शीतलता द्वारा परिवर्तन करते रहना। स्नेह की दृष्टि, वृत्ति और...

26-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

लौकिक सम्बन्धों में सेवा करते हुए सदा यही स्मृति रहे कि ये मेरे नहीं हैं, सभी बाप के बच्चे हैं। बाप ने इनकी सेवा अर्थ हमें निमित्त बनाया है। घर में नहीं रहते लेकिन सेवा-स्थान पर रहते हैं। मेरा सब तेरा हो गया। शरीर भी मेरा नहीं। मेरे में...

25-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

सेवा वा स्वंय की चढ़ती कला में सफलता का मुख्य आधार है - एक बाप से अटूट प्यार। बाप के सिवाए और कुछ दिखाई न दे। संकल्प में भी बाबा, बोल में भी बाबा, कर्म में भी बाप का साथ, ऐसी लवलीन स्थिति में रह एक शब्द भी बोलेंगे...

24-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली

कर्मातीत अर्थात् न्यारा और प्यारा। कर्म किया और करने के बाद ऐसा अनुभव हो जैसे कुछ किया ही नहीं, कराने वाले ने करा लिया। ऐसी स्थिति का अनुभव करने से सदा हल्कापन रहेगा।कर्म अपनी तरफ आकर्षित न करे, मालिक होकर कर्मेन्द्रियों से कर्म कराना और संकल्प में भी हल्के-पन...

23-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली [रिवाइज: 29/12/89]

बाप से सच्चा प्यार है तो प्यार की निशानी है - समान, कर्मातीत बनो। ‘करावनहार' होकर कर्म करो, कराओ। कभी भी मन-बुद्धि वा संस्कारों के वश होकर कोई भी कर्म नहीं करो। - ॐ शान्ति। ...