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21-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

ब्राह्मण बनने से सभी में रंग भी आ गया है और रूप भी परिवर्तन हो गया है लेकिन खुशबू नम्बरवार है। आकर्षण मूर्त बनने के लिए रंग और रूप के साथ सम्पूर्ण पवित्रता की खुशबू चाहिए। पवित्रता अर्थात् तन से भी ब्रह्मचारी, सम्बन्ध में भी ब्रह्मचारी और संस्कारों में...

20-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

कभी भी पुरूषार्थ में निराश नहीं बनो। करना ही है, होना ही है, विजय माला मेरा ही यादगार है, इस स्मृति से विजयी बनो। अभिमान और निराशा - यह दोनों महाबलवान बनने नहीं देते हैं।इसलिए इन दोनों बातों से मुक्त बन निर्मान बनो तो नव निर्माण का कार्य करते...

19-6-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:06-04-1991.

सिद्धि स्वरूप आत्माओं के हर संकल्प अपने प्रति वा दूसरों के प्रति सिद्ध होने वाले होते हैं। उन्हें हर कर्म में सिद्धि प्राप्त होती है। वे जो बोल बोलते हैं वह सिद्ध हो जाते हैं इसलिए सत वचन कहा जाता है। - ओम् शान्ति।...

18-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

पवित्रता की रॉयल्टी अर्थात् रीयल्टी वाली आत्मायें सदा खुशी में नाचती हैं। उनकी खुशी कभी कम, कभी ज्यादा नहीं होती। दिनप्रतिदिन हर समय और खुशी बढ़ती रहेगी, उनके अन्दर वृत्ति, दृष्टि, बोल और चलन सब सत्य व हर्षितचित, हर्षितमुख अविनाशी होगा। - ओम् शान्ति।...

17-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

जो अचल स्थिति वाले हैं उनके अन्दर यही शुभ भावना, शुभ कामना उत्पन्न होती है कि यह भी अचल हो जाएं। अचल स्थिति वालों का विशेष गुण होगा - रहमदिल। हर आत्मा के प्रति सदा दाता-पन की भावना होगी। उनका विशेष टाइटल ही है विश्व कल्याणकारी। - ओम् शान्ति।...

16-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

कोई भी कमजोरी तब आती है जब सत के संग से किनारा हो जाता है और दूसरा संग लग जाता है। इसलिए भक्ति में कहते हैं सदा सतसंग में रहो। सतसंग अर्थात् सदा सत बाप के संग में रहना।तो सदा सतसंग में रह कमजोरियों को समाप्त करने वाले सहज...

15-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

माया कितने भी रंग दिखाये, मैं मायापति हूँ, माया रचना है, मैं मास्टर रचयिता हूँ - इस स्मृति से माया का खेल देखो, खेल में हार नहीं खाओ। साक्षी बनकर मनोरंजन समझकर देखते चलो तो फर्स्ट नम्बर में आ जायेंगे।सदा साक्षी और सदा बाप के साथ की स्मृति से...

14-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

जो बच्चे सदा एक बाप दूसरा न कोई - इसी स्मृति में रहते हैं उनका मन-बुद्धि सहज एकाग्र हो जाता है। वह सेवा भी निमित्त बनकर करते हैं इसलिए उसमें उनका लगाव नहीं रहता। इसलिए सब जिम्मेवारियां बाप को अर्पण कर ट्रस्टी वा निमित्त बनकर सम्भालो तो लगावमुक्त बन...

13-6-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

पवित्रता की पर्सनैलिटी व रायॅल्टी वाले मन-बुद्धि से किसी भी बुराई को टच नहीं कर सकते।तो किसी भी बुराई को संकल्प में भी टच न करना - यही सम्पूर्ण वैष्णव व सफल तपस्वी की निशानी है। - ओम् शान्ति।...

12-6-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:03-04-1991.

जो भी कर्म करो उसमें दुआयें लो और दुआयें दो। श्रेष्ठ कर्म करने से सबकी दुआयें स्वत: मिलती हैं। सबके मुख से निकलता है कि यह तो बहुत अच्छे हैं। वाह! उनके कर्म ही यादगार बन जाते हैं। भल कोई भी काम करो लेकिन खुशी लो और खुशी...