10-11-2024-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:14-11-2024. “ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन और सफलता का आधार – निश्चयबुद्धि”
"किसी भी प्रकार का मेरापन - मेरा स्वभाव, मेरा संस्कार, मेरी नेचर...कुछ भी मेरा है तो बोझ है और बोझ वाला उड़ नहीं सकता। यह मेरा-मेरा ही मैला बनाने वाला है इसलिए अब तेरा-तेरा कह स्वच्छ बनो। फरिश्ता माना ही मेरे पन का अंशमात्र नहीं।"- ओम् शान्ति...
26-04-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – शरीर निर्वाह अर्थ कर्म करते हुए बेहद की उन्नति करो, जितना अच्छी रीति बेहद की पढ़ाई पढ़ेंगे, उतनी उन्नति होगी”
प्रश्नः तुम बच्चे जो बेहद की पढ़ाई पढ़ रहे हो, इसमें सबसे ऊंच डिफीकल्ट सब्जेक्ट कौन-सी है? उत्तर:- इस पढ़ाई में सबसे ऊंची सब्जेक्ट है भाई-भाई की दृष्टि पक्की करना। बाप ने ज्ञान का जो तीसरा नेत्र दिया है उस नेत्र से आत्मा भाई-भाई को देखो। जरा भी आंखे...
19-04-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – बाप आये हैं सारी दुनिया का हाहाकार मिटाकर जयजयकार करने – पुरानी दुनिया में है हाहाकार, नई दुनिया में है जयजयकार”
प्रश्नः कौन-सा ईश्वरीय नियम है जो गरीब ही बाप का पूरा वर्सा लेते, साहूकार नहीं ले पाते? उत्तर:- ईश्वरीय नियम है – पूरा बेगर बनो, जो कुछ भी है उसे भूल जाओ। तो गरीब बच्चे सहज ही भूल जाते हैं परन्तु साहूकार जो अपने को स्वर्ग में समझते हैं...
11-04-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – यह बना-बनाया नाटक है, इस नाटक से एक भी आत्मा छूट नहीं सकती, मोक्ष किसी को मिल नहीं सकता”
प्रश्नः ऊंचे ते ऊंचा पतित-पावन बाप भोलानाथ कैसे है? उत्तर:- तुम बच्चे उन्हें चावल मुट्ठी दे महल ले लेते हो, इसलिए ही बाप को भोलानाथ कहा जाता है। तुम कहते हो शिवबाबा हमारा बेटा है, वह बेटा ऐसा है जो कभी कुछ लेता नहीं, सदा ही देता है। भक्ति...
17-02-2024 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – तुम्हें याद के बल से पावन बन ऊंच पद पाना है”
प्रश्नः बाप रूहानी सर्जन है, वह तुम्हें कौन-सा धीरज देने आये हैं? उत्तर:- जैसे वह सर्जन रोगी को धीरज देते हैं कि अभी बीमारी ठीक हो जायेगी, ऐसे रूहानी सर्जन भी तुम बच्चों को धीरज देते हैं – बच्चे, तुम माया की बीमारी से घबराओ नहीं, सर्जन दवा देते...
21-12-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – शिवबाबा के सिवाए तुम्हारा यहाँ कुछ भी नहीं”
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – शिवबाबा के सिवाए तुम्हारा यहाँ कुछ भी नहीं, इसलिए इस देह के भान से भी दूर खाली बेगर होना है, बेगर ही प्रिन्स बनेंगे” प्रश्नः ड्रामा की यथार्थ नॉलेज कौन-से ख्यालात समाप्त कर देती है? उत्तर:- यह बीमारी क्यों आई, ऐसा नहीं...
23-9-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – आत्मा और परमात्मा का यथार्थ ज्ञान तुम्हारे पास है”
शिव भगवानुवाच : “मीठे बच्चे – आत्मा और परमात्मा का यथार्थ ज्ञान तुम्हारे पास है, इसलिए तुम्हें ललकार करनी है, तुम हो शिव शक्तियां” प्रश्नः सबसे ऊंची मंज़िल कौन सी है, जिसका ही तुम बच्चे पुरुषार्थ कर रहे हो? उत्तर:- निरन्तर याद में रहना – यह है सबसे ऊंची...
4-1-2023 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम लकी सितारे हो क्योंकि स्वयं ज्ञान सूर्य बाप तुम्हें सम्मुख पढ़ा रहे हैं”
जैसे अमृतवेले उठने की आज्ञा है तो उठकर बैठ जाते हैं लेकिन विधि से सिद्धि को प्राप्त नहीं करते, स्वीट साइलेन्स के साथ निद्रा की साइलेन्स मिक्स हो जाती है। ऐसी छोटी-छोटी अवज्ञायें मन को भारी कर देती हैं। अब इन्हें समाप्त कर आज्ञाकारी चरित्र का चित्र बनाओ तब...
31-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “सबको बाप का परिचय देना है”
महानता की निशानी निर्मानता है। जितना महान उतना निर्मान क्योंकि सदा भरपूर हैं। जैसे वृक्ष जितना भरपूर होगा उतना झुका हुआ होगा। तो निर्मानता ही सेवा करती है और जो निर्मान रहता है वह सर्व द्वारा मान पाता है। - ओम् शान्ति।...
14-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “मीठे बच्चे – तुम्हें ज्ञान का तीसरा नेत्र मिला है”
संगमयुग परमात्म स्नेह का युग है। इस युग के महत्व को जानकर स्नेह की अनुभूतियों में समा जाओ। स्नेह का सागर स्नेह के हीरे मोतियों की थालियां भरकर दे रहे हैं, तो अपने को सदा भरपूर करो।ये परमात्म प्यार के हीरे-मोती अनमोल हैं, इससे सदा सजे सजाये रहो...