Tag: Bhagwanu Vach

14-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “यह रावण की शोकवाटिका है अभी तुम रावण को भगा रहे हो”

बिन्दु स्वरूप बाप और बिन्दु स्वरूप आत्मा - दोनों की स्मृति फुलस्टॉप अर्थात् बिन्दु लगाने में समर्थ बना देती है। समर्थ आत्मा के पास स्व के ऊपर कन्ट्रोल करने की कन्ट्रोलिंग पावर होती है। समर्थ आत्मा यही समझती कि यह मरना नहीं लेकिन स्वर्ग में स्वराज्य लेना है। -...

परमात्मा के महावाक्य – “मैं इस आसुरी दुनिया का विनाश कर दैवी सृष्टि की स्थापना करता हूँ”

"नई दुनिया के लिये सप्ताह कोर्स करो क्योंकि नई दुनिया की स्थापना होगी अर्थात् जीते रहेंगे तो अपने लिये यह दुनिया है ही नहीं।"- ओम् शान्ति।...

13-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम आपस में भाई-भाई हो, तुम्हें रूहानी स्नेह से रहना है”

ब्राह्मण जीवन का फाउण्डेशन पवित्रता है। ये फाउण्डेशन मजबूत है तो सम्पूर्ण सुख-शान्ति की अनुभूति होती है। यदि अतीन्द्रिय सुख वा स्वीट साइलेन्स का अनुभव कम है तो जरूर पवित्रता का फाउण्डेशन कमजोर है। ये व्रत धारण करना कम बात नहीं है। - ओम् शान्ति।...

11-9-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 8-4-1992: “ब्रह्मा बाप से प्यार की निशानी है – अव्यक्त फरिश्ता बनना”

यथार्थ वा सच्चा योगी वह है जो अपनी बुद्धि को एक सेकण्ड में जहाँ और जब लगाना चाहे वहाँ लगा सके। परिस्थिति हलचल की हो, वायुमण्डल तमोगुणी हो, माया अपना बनाने का प्रयत्न कर रही हो फिर भी सेकण्ड में एकाग्र हो जाना - यह है याद की शक्ति।...