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13-11-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 10-12-1992: “पूर्वज और पूज्य की स्मृति में रहकर सर्व की अलौकिक पालना करो

ह संगमयुग स्मृति का युग है और कलियुग विस्मृति का युग है। अगर अपने श्रेष्ठ पार्ट, श्रेष्ठ भाग्य की सदा स्मृति है तो हीरे समान वैल्युबुल हो और अगर विस्मृति है तो पत्थर हो। संगमयुग के रहवासी कभी कलियुग में चक्कर लगाने जा नहीं सकते। अगर थोड़ा भी बुद्धि...

12-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “एक दो को दु : ख देना घोस्ट का काम है तुम्हें किसी को भी दु : ख नहीं देना है।”

बच्चा बनना अर्थात् अधिकार लेना। मेरा माना और अधिकार मिला। तो वाह मैं श्रेष्ठ अधिकारी आत्मा! इसी बेहद के अधिकार की खुशी में रहो। यह अविनाशी अधिकार निश्चित ही है और जहाँ निश्चित होता है वहाँ निश्चिन्त रहते हैं। - ओम् शान्ति।...

11-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बाप को तुम भूलो मत श्रीमत पर सदा चलते रहो”

बापदादा का वरदान है-जहाँ दृढ़ता है वहाँ सफलता है। तो दृढ़ता से कोई भी गुण वा शक्ति के प्रयोग का प्रोग्राम बनाओ और पहले स्वयं में सन्तुष्टता का अनुभव करो। त्रिकालदर्शी पन की स्थिति के आसन पर बैठ-कर जैसा समय वैसी विधि से पहले स्वयं सिद्धि स्वरूप बनो।- ओम्...

10-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें इस रुद्र ज्ञान यज्ञ का बड़ा कदर होना चाहिए क्योंकि इस यज्ञ से ही भारत स्वर्ग बनता है”

हर रोज़ की मुरली मन को बिजी रखने का साधन है, मुरली की कोई भी पाइंट पर मनन करते रहो तो मन बिजी रहेगा और व्यर्थ स्वत: खत्म हो जायेगा। मन को मन्सा-वाचा और कर्मणा सेवा में इतना बिजी कर दो जो व्यर्थ संकल्प आवे ही नहीं, तभी...

9-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “बाप की गति सद्गति करने की मत वा राय सबसे न्यारी है”

वर्तमान समय सभी को अविनाशी खुशी की आवश्यकता है, सब खुशी के भिखारी हैं, आप दाता के बच्चे हो। दाता के बच्चों का काम है देना। जो भी संबंध-सम्पर्क में आये उसे खुशी देते जाओ। कोई खाली न जाये, इतना भरपूर रहो।- ओम् शान्ति।...