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23-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “कोई भी उल्टे कर्म वा विकर्म नहीं करने हैं”

होलीहंस की विशेषता है -होलीहंस अर्थात् सदा स्वच्छ,- सदा ज्ञान रत्न चुगना, स्वच्छता अर्थात् पवित्रता, हर समय बुद्धि में ज्ञान रत्न चलते रहें, ज्ञान का मनन चलता रहे तो व्यर्थ नहीं चलेगा। इसको कहा जाता है रत्न चुगना।। - ओम् शान्ति।...

22-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “जितना समय मिले सच्ची कमाई करो”

माया की छाया से बचने का साधन है-बाप की छत्रछाया। छत्रछाया में रहना अर्थात् खुश रहना। सब फिक्र बाप को दे दिया। जिनकी खुशी गुम होती है, कमजोर हो जाते हैं उन पर माया की छाया का प्रभाव पड़ ही जाता है क्योंकि कमजोरी माया का आह्वान करती है।...

21-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “तुम गरीब बच्चे ही बाप से ज्ञान की मुट्ठी ले साहूकार बनते हो”

प्रकृति की हलचल में जब आत्मायें चिल्लाती हैं, मर्सी और रहम मांगती हैं तो अपने मर्सीफुल स्वरूप को इमर्ज कर उनकी पुकार सुनो। दुख दर्द की दुनिया को परिवर्तन करने के लिए स्वयं को सम्पन्न बनाओ। परिवर्तन की शुभ भावना को तीव्र करो। - ओम् शान्ति।...

20-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “बाप समान पतितों को पावन बनाने का पुरूषार्थ करो”

जो अपने निज़ी लाइट स्वरूप की स्मृति में रहते हैं उनमें व्यर्थ को समर्थ में परिवर्तन करने की शक्ति होती है। वे व्यर्थ समय, व्यर्थ संग, व्यर्थ वातावरण को सहज परिवर्तन कर डबल लाइट रहते हैं। ऐसे तीव्र पुरूषार्थी बच्चे सहज ही फरिश्ते पन की स्थिति को प्राप्त कर...

19-9-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली – “अपनी एम-आब्जेक्ट सदा याद रखो”

ब्राह्मण जन्म ही विशेष जन्म है, तो जन्म भी श्रेष्ठ, धर्म भी श्रेष्ठ और कर्म भी श्रेष्ठ है। इसी श्रेष्ठता अर्थात् विशेषता की जीवन स्मृति में नेचरल रहे तो सहज पुरूषार्थी बन जायेंगे। विशेष जीवन वाली आत्मायें कभी साधारण कर्म नहीं कर सकती। - ओम् शान्ति।...