11-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
हमको शान्ति चाहिए। अब हमको शान्ति यहाँ कहाँ से आ सकती है? कर्म तो करना है ना? शान्ति तो मिलेगी - शान्तिधाम में। अगर घर में एक अशान्त होगा तो भी सारे घर को अशान्त कर देगा। शान्ति मिलती है - स्वीट होम में। - ॐ शान्ति। ...
10-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
कल्प-कल्प भारत में बाबा आते हैं। यह सबको बताना है, निमन्त्रण देना है। रचना की नॉलेज को कोई भी जानते नहीं। तो ऐसा सर्विसएबुल बनकर अपना नाम बाला करना चाहिए। - ॐ शान्ति। ...
9-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
बाबा आया है - भक्ति का फल देने। ज्ञान सुना रहे हैं। अब हमको पतित से पावन भी जरूर बनना ही है क्योंकि पतित तो वापिस जा नहीं सकते। मुक्तिधाम में भी सब पावन आत्मायें रहती हैं। सुखधाम में भी सब पवित्र रहती हैं। - ॐ शान्ति। ...
8-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जितना जो सभी को रिगार्ड देता है उतना ही अपने रिकार्ड को ठीक रख सकता है। वैसे कहते हैं छोटों को प्यार और बड़ों को रिगार्ड दो लेकिन जो सभी को बड़ा समझकर रिगार्ड देते हैं वह सबके स्नेही बन जाते हैं। - ॐ शान्ति। ...
7-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
चित के अन्दर यह प्रश्न उत्पन्न होने वाले को प्रश्नचित कहा जाता है और प्रश्नचित कभी सदा प्रसन्न नहीं रह सकता। उसके चित में सदा ‘क्यों'की क्यू लगी रहती है इसलिए उस क्यू को समाप्त करने में ही समय चला जाता है। - ॐ शान्ति ...
6-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जब बुद्धि सर्व आकर्षणों से मुक्त हो एक परमात्मा पर टिक जाती है, हलचल समाप्त हो जाती है तब एकरस अवस्था बनने से अतीन्द्रिय सुख की अनुभूति होती है। - ॐ शांति। ...
5-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
भक्ति मार्ग में गणेश को विघ्न-विनाशक कहकर पूजते हैं, साथ-साथ उन्हें मास्टर नॉलेजफुल अर्थात् विद्यापति भी मानते हैं। तो जो बच्चे मास्टर नॉलेजफुल बनते हैं वे कभी विघ्नों से हार नहीं खा सकते क्योंकि नॉलेज को लाइट-माइट कहा जाता है, जिससे मंजिल पर पहुंचना सहज हो जाता है। -...
4-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जैसे दीपावली पर श्रीलक्ष्मी का आह्वान करते हैं, ऐसे आप बच्चे स्वयं में दिव्यगुणों का आह्वान करो तो अवगुण आहुति रूप में खत्म होते जायेंगे। फिर नये संस्कारों रूपी नये वस्त्र धारण करेंगे। उसी का ही यादगार यह दीपावली है। - ॐ शान्ति। ...
3-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
सतयुगी राजधानी के लिए राजयोग जरूर संगम पर ही सिखलायेंगे। सभी पतितों को पावन बनाते हैं। कहते हैं मैं आता हूँ बहुत जन्मों के अन्त के जन्म के अन्त में। जिसने पूरे 84 जन्म लिए हैं, उनके रथ में ही आकर समझाता हूँ। नई दुनिया तो है ही नहीं।...
2-11-2021 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
चाहते भी हैं कि वन वर्ल्ड, वन राज्य, वन रिलीजन, वन भाषा हो। तुम समझा सकते हो - आज से 5 हजार वर्ष पहले एक राज्य, एक धर्म था, जिसको स्वर्ग कहा जाता है। - ॐ शान्ति। ...