27-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
कभी भी अपनी स्नेही मूर्त, स्नेह की सीरत, स्नेही व्यवहार, स्नेह के सम्पर्क-सम्बन्ध को छोड़ना, भूलना मत। चाहे कोई व्यक्ति, चाहे प्रकृति, चाहे माया कैसा भी विकराल रूप, ज्वाला रूप धारण कर सामने आये लेकिन उसे सदा स्नेह की शीतलता द्वारा परिवर्तन करते रहना। स्नेह की दृष्टि, वृत्ति और...
26-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
लौकिक सम्बन्धों में सेवा करते हुए सदा यही स्मृति रहे कि ये मेरे नहीं हैं, सभी बाप के बच्चे हैं। बाप ने इनकी सेवा अर्थ हमें निमित्त बनाया है। घर में नहीं रहते लेकिन सेवा-स्थान पर रहते हैं। मेरा सब तेरा हो गया। शरीर भी मेरा नहीं। मेरे में...
25-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
सेवा वा स्वंय की चढ़ती कला में सफलता का मुख्य आधार है - एक बाप से अटूट प्यार। बाप के सिवाए और कुछ दिखाई न दे। संकल्प में भी बाबा, बोल में भी बाबा, कर्म में भी बाप का साथ, ऐसी लवलीन स्थिति में रह एक शब्द भी बोलेंगे...
“God creates our fortune and we human souls ourselves who spoil our fortune.”
“It is God alone who awakens our fortune and this is why the memorials of His temples exist all the time.” - Om Shanti ....
“किस्मत बनाने वाला परमात्मा, किस्मत बिगाड़ने वाला खुद मनुष्य है”
“तकदीर को जगाने वाला एक ही परमात्मा है तभी तो उन्हों का यादगार मन्दिर कायम है।“ - ॐ शान्ति। ...
24-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
कर्मातीत अर्थात् न्यारा और प्यारा। कर्म किया और करने के बाद ऐसा अनुभव हो जैसे कुछ किया ही नहीं, कराने वाले ने करा लिया। ऐसी स्थिति का अनुभव करने से सदा हल्कापन रहेगा।कर्म अपनी तरफ आकर्षित न करे, मालिक होकर कर्मेन्द्रियों से कर्म कराना और संकल्प में भी हल्के-पन...
23-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली [रिवाइज: 29/12/89]
बाप से सच्चा प्यार है तो प्यार की निशानी है - समान, कर्मातीत बनो। ‘करावनहार' होकर कर्म करो, कराओ। कभी भी मन-बुद्धि वा संस्कारों के वश होकर कोई भी कर्म नहीं करो। - ॐ शान्ति। ...
22-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
लौकिक सब इच्छायें छोड़ ईश्वरीय कुल की वृद्धि करने में मददगार बनना है, कोई भी डिससर्विस का काम नहीं करना है। लेन-देन का कनेक्शन एक बाप से रखना है, किसी देहधारी से नहीं। - ो,ॐ शान्ति। ...
21-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जैसे गुलाब का पुष्प बदबू की खाद से खुशबू धारण कर खुशबूदार गुलाब बन जाता है। ऐसे आप विश्व परिवर्तक श्रेष्ठ आत्मायें अशुभ, व्यर्थ, साधारण भावना और भाव को श्रेष्ठता में, अशुभ भाव आर भावना को शुभ भाव और भावना में परिवर्तन करो, तब ब्रह्मा बाप समान अव्यक्त फरिश्ता...
20-1-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली
जीवन में उड़ती कला वा गिरती कला का आधार दो बातें हैं - भावना और भाव। सर्व के प्रति कल्याण की भावना, स्नेह-सहयोग देने की भावना, हिम्मत-उल्लास बढ़ाने की भावना, आत्मिक स्वरूप की भावना वा अपने पन की भावना ही सद्भावना है, ऐसी भावना वाले ही अव्यक्त स्थिति में...