“परमात्मा एक है बाकी सर्व मनुष्य आत्माये हैं”
अब यह सारी महिमा एक परमात्मा की है, अब मनुष्य इतना समझते हुए फिर भी कहते हैं ईश्वर सर्वत्र है। अहम् आत्मा सो परमात्मा है, अगर सभी परमात्मा ठहरे फिर एकोंकार ....यह महिमा किस परमात्मा की करते हैं? - ओम् शान्ति।...
30-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
संगमयुग पर बाप द्वारा जो वरदानों का खजाना मिला है उसे जितना बढ़ाना चाहो उतना दूसरों को देते जाओ। जैसे बाप मर्सीफुल है ऐसे बाप समान मर्सीफुल बनो, जब थोड़े समय में सारे विश्व की सेवा सम्पन्न करनी है तो तीव्रगति से सेवा करो। जितना स्वयं को सेवा में...
29-5-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:25-02-1991.
जब आप विश्व परिवर्तक आत्मायें संगठित रूप में सम्पन्न, सम्पूर्ण स्थिति से विश्व परिवर्तन का संकल्प करेंगी तब यह प्रकृति सम्पूर्ण हलचल की डांस शुरू करेगी। साथ-साथ इतनी पावरफुल तपस्या की ऊंची स्थिति हो जो सबका एक साथ संकल्प हो “परिवर्तन'' और प्रकृति हाजिर हो जाए।- ओम् शान्ति।...
“परमात्मा सुख दाता है न कि दु:ख दाता”
परमात्मा कहते हैं "बच्चे, बिगड़ी हुई तकदीर मैं बनाता हूँ, तो मैं तकदीर को बनाने वाला हूँ। बाकी जो मनुष्य अपने आप विस्मृत करते हैं, वो अपनी तकदीर आपेही बिगाड़ते हैं।" - ओम् शान्ति।...
28-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
सन्तुष्टमणि उन्हें कहा जाता जो स्वयं से, सेवा से और सर्व से सन्तुष्ट हो। तपस्या द्वारा सन्तुष्टता रूपी फल प्राप्त कर लेना - यही तपस्या की सिद्धि है। ऐसी सन्तुष्टमणियां स्वयं को सर्व की दुआओं के विमान में उड़ता हुआ अनुभव करेंगी।- ओम् शान्ति।...
27-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
संगमयुग पर विशेष खुशियों भरी बधाईयों से ही सर्व ब्राह्मण वृद्धि को प्राप्त कर रहे हैं। ब्राह्मण जीवन की पालना का आधार बधाईयां हैं। बाप के स्वरूप में हर समय बधाईयां हैं, इसलिए पदमापदम भाग्यवान हो जो भाग्यविधाता भगवान के बच्चे, सम्पूर्ण भाग्य के अधिकारी बन गये।- ओम् शान्ति।...
26-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो महान आत्मायें हैं वह सदैव ऊंची स्थिति में रहती हैं। ऊंची स्थिति ही ऊंचा आसन है। जब ऊंची स्थिति के आसन पर रहते हो तो माया आ नहीं सकती। वो आपको महान समझकर आपके आगे झुकेगी, वार नहीं करेंगी, हार मानेंगी। - ओम् शान्ति।...
“भगवान के आने का अनादि रचा हुआ प्रोग्राम”
परमात्मा कहते हैं मैं एक हूँ और एक ही बार कलियुग का विनाश कर सतयुग की स्थापना करता हूँ तो मेरे आने का समय संगमयुग है।- ओम् शान्ति।...
“निराकारी दुनिया अर्थात् आत्माओं के रहने का स्थान”
जब हम निराकारी दुनिया कहते हैं तो निराकार का अर्थ यह नहीं कि उनका कोई आकार नहीं है, परन्तु कोई दुनिया जरूर है, तो जब हम दुनिया अक्षर कहते हैं, तो इससे सिद्ध है वो दुनिया है और वहाँ कोई रहता है तभी तो दुनिया नाम पड़ा है। .......
25-5-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
सिर्फ वाणी की सेवा ही सेवा नहीं है, शुभ भावना, शुभ कामना रखना भी सेवा है। ब्राह्मणों का आक्यूपेशन ही है ईश्वरीय सेवा। कहाँ भी रहते सेवा करते रहो। अपने खजाने से, शुभ-भावना, शुभ-कामना की अंचली जरूर दो, तब कहेंगे सच्चे सेवाधारी।- ओम् शान्ति।...