29-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
कम से कम 95 परसेन्ट आत्मायें सन्तुष्टता का सर्टीफिकेट दें, सबके मुख से निकले कि हाँ यह नम्बरवन है, ऐसा सबके दिल से दुआओं का सर्टीफिकेट प्राप्त करने वाले ही बाप समान बनते हैं। - ॐ शान्ति।...
28-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
संगमयुग पर ब्राह्मणों को ब्राह्मण से फरिश्ता बनना है, फरिश्ता अर्थात् जिसका पुरानी दुनिया, पुराने संस्कार, पुरानी देह के प्रति कोई भी आकर्षण का रिश्ता नहीं। तीनों से मुक्त, तो फरिश्ता अर्थात् मुक्त और मुक्त फरिश्ता ही जीवनमुक्त देवता बनेंगे। - ॐ शान्ति। ...
27-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.रिवाइज:07/03/90.
यथार्थ सेवाधारी उन्हें कहा जाता है जो स्व की और सर्व की सेवा साथ-साथ करते हैं। स्व की सेवा में सर्व की सेवा समाई हुई हो। “प्लेन बुद्धि” अर्थात् कोई भी बात बुद्धि को टच नहीं करे, सिवाए निमित्त और निर्माण भाव के। हद का नाम, हद का मान...
26-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो ज्ञान स्वरूप योगी तू आत्मायें हैं वे सदा सर्वशक्तियों की अनुभूति करते हुए विजयी बनती हैं। ज्ञानयुक्त भावना और स्नेह सम्पन्न योग - इन दोनों का बैलेन्स उड़ती कला का अनुभव कराते हुए बाप समान बना देता है। - ॐ शान्ति। ...
25-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
संगमयुगी ब्राह्मण आत्माओं का कर्तव्य है सदा खुश रहना और खुशी बांटना लेकिन इसके लिए खजाना भरपूर चाहिए। सदा खुश रहो और खुशी बांटते चलो - तब कहेंगे हीरो हीरोइन पार्टधारी। - ॐ शांति।...
24-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो बच्चे त्रिकालदर्शी हैं वे कभी किसी बात में मूंझ नहीं सकते क्योंकि उनके सामने तीनों काल क्लीयर हैं। जब मंजिल और रास्ता क्लीयर होता है तो कोई मूंझता नहीं। त्रिकालदर्शी आत्मायें कभी कोई बात में सिवाए मौज के और कोई अनुभव नहीं करती। ...
23-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
पास विद आनर का सर्टीफिकेट प्राप्त करने के लिए मुख और मन दोनों की आवाज से परे शान्त स्वरूप की स्थिति में स्थित होने का अभ्यास चाहिए। आत्मा शान्ति के सागर में समा जाये। शरीर का कोई भी खेल चल रहा है, अशरीरी बन आत्मा साक्षी (न्यारा) हो अपने...
22-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जैसे शरीर और आत्मा कम्बाइन्ड है, भविष्य विष्णु स्वरूप कम्बाइन्ड है, ऐसे बाप और हम आत्मा कम्बाइन्ड हैं इस स्वरूप की स्मृति में रहकर स्व सेवा और सर्व आत्माओं की सेवा साथ-साथ करो तो सफलता मूर्त बन जायेंगे। सेवा में वृद्धि का साधन ही है स्व और सर्व की...
21-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जैसे हंस सदा पानी में तैरते भी हैं और उड़ने वाले भी होते हैं, ऐसे आप सच्चे होलीहंस बच्चे उड़ना और तैरना जानते हो। ज्ञान मनन करना अर्थात् ज्ञान अमृत वा ज्ञान जल में तैरना और उड़ना अर्थात् ऊंची स्थिति में रहना। ऐसे होलीहंस कभी भी दिलशिकस्त वा नाउम्मींद...
20-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:01/02/90.
प्रकृति चाहे हलचल करे या अपना सुन्दर खेल दिखाये - दोनों में प्रकृतिपति आत्मायें साक्षी होकर खेल देखती हैं। खेल देखने में मजा आता है, घबराते नहीं।– “ॐ शान्ति”।...