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10-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

जो सदा भरपूर वा सम्पन्न रहते हैं, वे तृप्त होते हैं। ऐसी आत्मा ही रहमदिल बन शुभ भावना और शुभ कामना द्वारा उनको भी परिवर्तन करने का प्रयत्न करेगी। रूहानी रॉयल आत्मा का यही श्रेष्ठ कर्म है। - ॐ शान्ति। ...

8-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

श्रेष्ठ पुरूषार्थी वह हैं जो सेकण्ड में कन्ट्रोंलिंग पावर द्वारा रांग को राइट में परिवर्तन कर दे। जब समझते हो कि यह सत्य नहीं है, अयथार्थ वा व्यर्थ है, तो उसी समय ब्रेक लगा देना - यही श्रेष्ठ पुरूषार्थ है। - ॐ शान्ति। ...

7-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

हम सर्व श्रेष्ठ आत्मायें हैं, ऊंचे ते ऊंचे भगवान के बच्चे हैं - यह शान सर्वश्रेष्ठ शान है। सर्व प्राप्तियों की लिस्ट सामने रखो तो अपना श्रेष्ठ शान सदा स्मृति में रहेगा और यही गीत गाते रहेंगे कि पाना था वो पा लिया...सर्व प्राप्तियों की स्मृति से मास्टर सर्वशक्तिमान्...

6-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:22/02/90.

ड्रामा में जो भी होता है - वह कल्याणकारी युग के कारण सब कल्याणकारी है, अकल्याण में भी कल्याण दिखाई दे तब कहेंगे निश्चयबुद्धि। परिस्थिति के समय ही निश्चय के स्थिति की परख होती है। निश्चय का अर्थ है - संशय का नाम-निशान न हो। - ॐ शान्ति। ...

4-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

इस बेगरी जीवन में पूरा-पूरा देही-अभिमानी बनना है। किसी भी चीज़ का जास्ती लोभ नहीं रखना है, जो मिले सो अच्छा। मांगने से मरना भला। - ॐ शान्ति। ...

3-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

परमात्म प्यार धरनी की आकर्षण से ऊपर उड़ने का साधन है। जो धरनी अर्थात् देह-अभिमान की आकर्षण से ऊपर रहते हैं उन्हें माया अपनी ओर खींच नहीं सकती। कितना भी कोई आकर्षित रूप हो लेकिन माया की आकर्षण आप उड़ती कला वालों के पास पहुंच नहीं सकती। इसकी विधि...

2-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

स्वराज्य अधिकारी आत्मायें अपने योग की शक्ति द्वारा हर कर्मेन्द्रिय को ऑर्डर के अन्दर चलाती हैं। न सिर्फ यह स्थूल कर्मेन्द्रियां लेकिन मन-बुद्धि-संस्कार भी राज्य अधिकारी के डायरेक्शन अथवा नीति प्रमाण चलते हैं। स्वराज्य अधिकारी आत्मा को स्वप्न में भी धोखा नहीं मिल सकता।- ॐ शान्ति। ...

1-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

एवररेडी का अर्थ ही है - नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप। उस समय कोई भी संबंधी अथवा वस्तु याद न आये। किसी में भी लगाव न हो, सबसे न्यारा और सबका प्यारा। इसका सहज पुरुषार्थ है निमित्त भाव। निमित्त समझने से “निमित्त बनाने वाला'' याद आता है। - ॐ शान्ति। ...

28-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

बोल से भाव और भावना दोनों अनुभव होती हैं। अगर हर बोल में शुभ वा श्रेष्ठ भावना, आत्मिक भाव है तो उस बोल से जमा का खाता बढ़ता है। समर्थ बोल का अर्थ है - जिस बोल में प्राप्ति का भाव वा सार हो। - ॐ शान्ति। ...