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4-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

इस बेगरी जीवन में पूरा-पूरा देही-अभिमानी बनना है। किसी भी चीज़ का जास्ती लोभ नहीं रखना है, जो मिले सो अच्छा। मांगने से मरना भला। - ॐ शान्ति। ...

3-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

परमात्म प्यार धरनी की आकर्षण से ऊपर उड़ने का साधन है। जो धरनी अर्थात् देह-अभिमान की आकर्षण से ऊपर रहते हैं उन्हें माया अपनी ओर खींच नहीं सकती। कितना भी कोई आकर्षित रूप हो लेकिन माया की आकर्षण आप उड़ती कला वालों के पास पहुंच नहीं सकती। इसकी विधि...

2-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

स्वराज्य अधिकारी आत्मायें अपने योग की शक्ति द्वारा हर कर्मेन्द्रिय को ऑर्डर के अन्दर चलाती हैं। न सिर्फ यह स्थूल कर्मेन्द्रियां लेकिन मन-बुद्धि-संस्कार भी राज्य अधिकारी के डायरेक्शन अथवा नीति प्रमाण चलते हैं। स्वराज्य अधिकारी आत्मा को स्वप्न में भी धोखा नहीं मिल सकता।- ॐ शान्ति। ...

1-3-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

एवररेडी का अर्थ ही है - नष्टोमोहा स्मृति स्वरूप। उस समय कोई भी संबंधी अथवा वस्तु याद न आये। किसी में भी लगाव न हो, सबसे न्यारा और सबका प्यारा। इसका सहज पुरुषार्थ है निमित्त भाव। निमित्त समझने से “निमित्त बनाने वाला'' याद आता है। - ॐ शान्ति। ...

27-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

कई बच्चे चलते-चलते यह बहुत बड़ी गलती करते हैं - जो दूसरों के जज बन जाते हैं और अपने वकील बन जाते हैं।अब दूसरों के लिए ऐसी रिमार्क देने के बजाए स्वयं के जज बनो। स्वचिंतक बन स्वयं को देखो और स्वयं को परिवर्तन करो तब विश्व परिवर्तन होगा।...

26-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

समय की समीपता प्रमाण वर्तमान समय के वायुमण्डल में बेहद का वैराग्य प्रत्यक्ष रूप में होना आवश्यक है। यथार्थ वैराग्य वृत्ति का अर्थ है - सर्व के सम्बन्ध-सम्पर्क में जितना न्यारा, उतना प्यारा। जो न्यारा-प्यारा है वह निमित्त और निर्मान है, उसमें मेरेपन का भान आ नहीं सकता। तो...

24-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

इस पुरानी दुनिया से उपराम रहना है। स्वच्छ बुद्धि बन ज्ञान धारण करके फिर दूसरों को धारण कराना है। विचार सागर मंथन करना है।बाप समान रहमदिल बन सबको आसुरी मत से छुड़ाना है।- ॐ शान्ति। ...

23-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

यदि कोई भी गलती हो जाती है तो गलती होने के बाद क्यों, क्या, कैसे, ऐसे नहीं वैसे...यह सोचने में समय नहीं गंवाओ। व्यर्थ संकल्पों के तेज बहाव को परिवर्तन शक्ति द्वारा सेकण्ड में स्टॉप कर दो तो निर्विकल्प स्थिति बन जायेगी। जब यह संस्कार इमर्ज हो तब कहेंगे...

22-2-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.

सारे विश्व की आत्मायें परमात्मा को बाप कहती हैं लेकिन पालना और पढ़ाई के पात्र नहीं बनती हैं। सारे कल्प में आप थोड़ी सी आत्मायें अभी ही इस भाग्य के पात्र बनती हो। तो इस पालना का प्रैक्टिकल स्वरूप है - सहजयोगी जीवन। -ॐ शान्ति। ...