10-7-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:04-12-1991.
ब्राह्मण अर्थात् हर समय उत्साह भरे जीवन में उड़ने और उड़ाने वाले, उनके पास कभी निराशा आ नहीं सकती क्योंकि उनका आक्यूपेशन है “निराशावादी को आशावादी बनाना,'' यही सच्ची सेवा है। सच्चे सेवाधारियों का उत्साह कभी कम नहीं हो सकता।...
9-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो स्वदर्शन चक्रधारी बच्चे स्व का दर्शन कर लेते हैं उन्हें सृष्टि चक्र का दर्शन स्वत: हो जाता है। ड्रामा के राज़ को जानने वाले सदा खुशी में रहते हैं, जो स्व को देखते, स्वदर्शन चक्रधारी बनते वह सहज ही आगे बढ़ते रहते हैं।- ओम् शान्ति।...
8-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
सर्व शक्तियां बाप का खजाना हैं और उस खजाने पर बच्चों का अधिकार है। अधिकार वाले को जैसे भी चलाओ वैसे वह चलेगा। ऐसे ही सर्वशक्तियां जब अधिकार में होंगी तब नम्बरवन विजयी बन सकेंगे।शक्तियों रूपी रचना को कार्य में लगाने का अभ्यास हो तब कहेंगे मास्टर सर्वशक्तिमान्।- ओम्...
7-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
विश्वास की नांव सत्यता है। दिल और दिमाग की ऑनेस्टी है तो उसके ऊपर बाप का, परिवार का स्वत: ही दिल से प्यार और विश्वास होता है। विश्वास के कारण फुल अधिकार उसको दे देते हैं। वे स्वत: ही सबके स्नेही बन जाते हैं इसलिए सत्यता की हिम्मत से...
6-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
बापदादा ने बच्चों को सर्व खजाने प्रयोग के लिए दिये हैं। जो जितना प्रयोगी बनते हैं, प्रयोगी की निशानी है प्रगति। अगर प्रगति नहीं होती है तो प्रयोगी नहीं। योग का अर्थ ही है प्रयोग में लाना। ब्लकि उसे कार्य में लगाकर एक से दस गुना बढ़ाना, कम खर्च...
5-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
हर कर्म में, श्रीमत के इशारे प्रमाण चलने वाली आत्मा को ही ऑनेस्ट अर्थात् ईमानदार और वफादार कहा जाता है। ब्राह्मण जन्म मिलते ही दिव्य बुद्धि में बापदादा ने जो श्रीमत भर दी है, ऑनेस्ट आत्मा हर सेकण्ड हर कदम उसी प्रमाण एक्यूरेट चलती रहती है। चाहे लाइट द्वारा,...
4-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो अतीन्द्रिय सुख के अधिकारी हैं वे सदा बाप के साथ सुखों के झूलों में झूलते हैं। उन्हें कभी यह संकल्प नहीं आ सकता कि फलाने ने मुझे बहुत दु:ख दिया। उनका वायदा है - न दु:ख देंगे, न दु:ख लेंगे। अगर कोई जबरदस्ती भी दे तो भी उसे...
3-7-2022-”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज:10-1-1991.
ब्राह्मणों का संसार भी न्यारा है तो दृष्टि-वृत्ति सब न्यारी है। जो चलते-फिरते आत्मिक दृष्टि, आत्मिक वृत्ति में रहते हैं उनके पास दु:ख का नाम-निशान नहीं रह सकता क्योंकि दु:ख होता है शरीर भान से। वे सदा सुख की शैया पर सोते हैं और सुख स्वरूप रहते हैं। -...
2-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
जो मन से भरपूर रहता है उसके पास स्थूल वस्तु या साधन नहीं भी हो फिर भी मन भरपूर होने के कारण वे कभी अपने में कमी महसूस नहीं करेंगे। वे सदा यही गीत गाते रहेंगे कि सब कुछ पा लिया, उनमें मांगने के संस्कार अंश मात्र भी नहीं...
1-7-2022- ”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली.
महान आत्मायें वह हैं जिनमें सत्यता की शक्ति है। लेकिन सत्यता के साथ सभ्यता भी जरूर चाहिए। अगर सभ्यता नहीं तो सत्यता नहीं। सत्यता कभी सिद्ध करने से सिद्ध नहीं होती। उसे तो सिद्ध होने की सिद्धि प्राप्त है। सत्यता के सूर्य को कोई छिपा नहीं सकता।- ओम् शान्ति।...