10-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम रूहानी अश्व हो – तुम्हें विजयी रत्न बनने की रेस करनी है”
कर्मयोगी आत्मा का हर कर्म योगयुक्त, युक्तियुक्त होगा।निरन्तर योग अर्थात् याद का आधार है प्यार। जो प्यारा लगता है वह स्वत: याद रहता है। प्यार वाली चीज़ अपनी ओर आकर्षित करती है। तो हर सेकण्ड, हर संकल्प, हर बोल सदा श्रेष्ठ हो और एक बाप से दिल का प्यार...
9-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “आत्मा का स्वधर्म शान्ति है – इसलिए शान्ति नहीं मांगनी है स्वधर्म में टिकना है”
पवित्रता सिर्फ ब्रह्मचर्य नहीं लेकिन मन्सा संकल्प में भी किसी के प्रति निगेटिव संकल्प नहीं हो, बोल में भी कोई ऐसे शब्द न निकलें, सम्बन्ध-सम्पर्क भी सबसे अच्छा हो, किसी में जरा भी अपवित्रता खण्डित न हो तब कहेंगे पूज्य आत्मा। तो पवित्रता के फाउण्डेशन को चेक करो। ...
8-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम रूहानी आशिक हो – एक माशुक परमात्मा के तुम्हें एक को ही दिल से याद करना है”
कैसी भी आत्मायें हों लेकिन अपनी दृष्टि, अपनी भावना प्यार की हो - इसको कहा जाता है सर्व के प्यारे। कोई इनसल्ट करे या घृणा सबके प्रति प्यार हो। चाहे संबंधी क्या भी कहें, क्या भी करें लेकिन आपकी भावना शुद्ध हो, सर्व के प्रति कल्याण की हो -...
“तुम मात पिता हम बालक तेरे… अब यह महिमा किसके लिये गाई हुई है?”
अवश्य पर-मात्मा के लिये गायन है क्योंकि परमात्मा खुद माता पिता रूप में आए इस सृष्टि को अपार सुख देता है। जरूर परमात्मा ने कब सुख की सृष्टि बनाई है तभी तो उनको माता पिता कहकर बुलाते हैं।- ओम् शान्ति।...
7-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “तुम्हें अच्छे संस्कार धारण कर पतितों को पावन बनाने की सर्विस करनी है”
मेरेपन का विस्तार ही बोझ है।संकल्प में भी मेरे पन का भान आया तो समझो मैले हो गये। किसी भी चीज़ पर मैल चढ़ जाए तो मैल का बोझ हो जायेगा। तो सब बोझ बाप हवाले कर मेरेपन की मैल को समाप्त करो तो फरिश्ता बन जायेंगे।- ओम् शान्ति।...
6-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “जब तक बेहद बाप को पहचानकर पावन नहीं बने हैं तब तक वर्सा मिल नही सकता”
वर्तमान समय विशेष माया का प्रभाव मन में निगेटिव भाव और भावना पैदा करने वा यथार्थ महसूसता को समाप्त करने का चल रहा है इसलिए पहले से ही सेफ्टी का साधन अपनाओ। इसका विशेष साधन है सिर्फ एक “पाइंट'' शब्द। कोई भी संकल्प, बोल वा कर्म व्यर्थ है तो...
5-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “जितना ज्ञान रत्नों का दान करेंगे उतना खजाना भरता जायेगा”
वर्तमान समय प्रकृति की तमोगुणी शक्ति और माया की सूक्ष्म रॉयल समझदारी की शक्ति अपना कार्य तीव्रगति से कर रही है। बच्चे प्रकृति के विकराल रूप को जान लेते हैं लेकिन माया के अति सूक्ष्म स्वरूप को जानने में धोखा खा लेते हैं इसलिए “अटेन्शन'' शब्द को अन्डरलाइन कर...
04-12-2022 -”अव्यक्त-बापदादा” मधुबन मुरली. रिवाइज: 09-1-1993: “अव्यक्त वर्ष मनाना अर्थात् सपूत बन सबूत देना”
ज्ञान अर्थात् नॉलेज और नॉलेज इज़ लाइट, माइट कहा जाता है। जब लाइट अर्थात् रोशनी है कि ये रांग है, ये राइट है, ये अंधकार है, ये प्रकाश है, ये व्यर्थ है, ये समर्थ है तो लाइट और माइट से सम्पन्न आत्मा कभी अंधकार में नहीं रह सकती।-ज्ञानी तू...
1-12-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “योगेश्वर बाप आये हैं तुम्हें राजयोग सिखलाने”
जो सदा बापदादा के दिलतख्तनशीन रहते हैं वे बेफिक्र बादशाह बन जाते हैं क्योंकि इस तख्त की विशेषता है कि जो तख्तनशीन होगा वह सब बातों में बेफिक्र होगा।तो दिलतख्त की विशेषता है कि फिक्र आ नहीं सकता। यह दिलतख्त को वरदान मिला हुआ है, इसलिए कोई भी कार्य...
30-11-2022 “अव्यक्त-बापदादा” मधुबन प्रात: मुरली : “विशाल बुद्धि बन पूरे विश्व को दु:खधाम से सुखधाम – पतित से पावन बनाने की सेवा करनी है”
अभी के श्रेष्ठ संस्कारों से ही भविष्य संसार बनेगा। एक राज्य, एक धर्म के संस्कार ही भविष्य संसार का फाउण्डेशन हैं। स्वराज्य का धर्म वा धारणा है - मन-वचन-कर्म, सम्बन्ध-सम्पर्क में सब प्रकार की पवित्रता।जहाँ पवित्रता है वहाँ अपवित्रता अर्थात् व्यर्थ वा विकल्प का नामनिशान नहीं रहता, उन्हें ही...